रविवार , 1 जुलाई २०१२
मदन पुर खादर उत्तर परदेश की सीमा से लगा दिल्ली का एक गाँव है ! इसी गांवे के कृषण पहलवान , नरेश पहलवान , सोनू पहलवान ने एक शानदार दंगल का आयोजन किया ! हरयाणा, पंजाब , राजस्थान और उत्तर परदेश के कई पहलवान दंगल में भाग लेने पहुंचे ! पूछने पर अशोक पहलवान ने बताया की गाँव और आस पास के बच्चों में कुश्ती के प्रति रूचि जागृत करने, बच्चों का उत्साह बढाने , और पहलवानी की परंपरा को आगे बढाने के लिए दंगल का आयोजन किया गया ! दंगल में भाग लेनें पहुंचे खलीफा नूर मोहम्मद ने बताया की मिटटी की कुश्ती से ही भारत के बड़े से बड़े रुस्तम निकले हैं, और मिटटी पर ही भारत में कुश्तियों की शुरुआत होती है ! दंगल देख कर लोगों में कुश्ती के प्रति रूचि बढती है इसलिए इस प्रकार दंगल का आयोजन करने वाले महान लोग सचमुच बधाई के पात्र हैं ! सोनू पहलवान ने बताया ही हाल में गाँव के विक्रम पहलवान, किशन पहलवान उज्बेकिस्तान में कुश्ती लड़ कर लौटे हैं, विक्रम पहलवान ने वहां ११० किलो भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीता , गाँव और आस पास के लोग इस ख़ुशी को मनाने के लिए दंगल का आयोजन करना चाहते थे इसलिए भी दंगल का आयोजन किया गया ! परंपरा अनुसार पूजा अर्चना, और छोटे बच्च्चों के कुश्ती से दंगल की शुरूआत हुई, फिर जूनियर और सीनियर पहलवानों की ! ज्यादा तर कुश्तिया गुरु जसराम के शिष्यों ने जीती , गुरु होते लाल के शिष्य भी खूब रहे , गुरु राजू राणा के एक शिष्य सोना ने एक बहुत अछि कुश्ती मारी ! दंगल की आखिरी कुश्ती १ लाख की हुई जिसे किरशन पहलवान ने अपने नाम कर , इनाम और गदा हासिल की ! दंगल में सभी गुरु खलीफाओं और बड़े बुजुर्गों का पगड़ी पहना कर स्वागत किया गया ! दंगल में कुश्ती देर से शुरूं हुई, जिस वजह से लड़कियों के कुश्ती ना हो सकी ! और इसी प्रकार गुरु हनुमान के शिष्य राजेश भाटी की कुश्ती भी न हो सकी , हालाँकि जनता उसकी कुश्ती देखने की बड़ी उत्सुक थी ! दंगल देर रात से ख़तम हुआ, किशन पहलवान और नरेश गुर्जर भाई प्रोपर्टी वालों ने चाय पानी पिला कर घर भेजा , उनका बहुत -२ शुक्रिया
ENGLISH VERSION
Madan Pur Khadar is a village of in Delhi near the border with Uttar Pradesh, and it is home to some great wrestlers. Krishan Pahlwan, Vikram Pahlwan, Sonu Pahlwan, Naresh Pahlwan, and Ashok Pahlwan all call this village home and they want to make sure it remains a hotbed of wrestling talent. These five pahalwans recently organized a very good local wrestling competition to promote awareness of the sport. Vikram Pahlwan says it’s important to get kids involved to keep the tradition alive.
Khalifa Noor Mohammad of Baghpat, Uttar Pradesh, told me that all the great wrestlers of India got their start in traditional Indian wrestling. The Great Gama, Bheem Pahlwan, Master Chandagi Ram ji are the legends of traditional wrestling, but even today’s wrestling stars like Sushil Kumar, Rajeev Tomar, or Parvinder Doomchedi got their start at akharas and learned to wrestle in the soil, not on the mat. He said that without traditional wrestling, the sport couldn’t survive in India. He said that dangals are vital because they motivate people to join wrestling. And he also told me that had there been anyone like me in past to write about and promote the sport, Indian wrestling would be in a better position today. I thanked him for his comments.
The dangal started with a pooja, and sanctifying the wrestling area. Then the kid wrestlers started off, then junior and senior categories. Most of the wins were from the pupils of Guru Jasram. Other champions included a wrestler of Khalifa Hote lal, and a wrestler named Sona of Raju Rana Akhara. Many wrestlers came from Samandar Akhara.
The first prize match of rs. one lakh was won by Krishan Pahalwan. Rajesh Bhati, who is a very good wrestler, could not find a suitable challenger so he didn’t wrestle.
The dangal ended late in the night; the organizers invited me to the Naresh Properties office where refreshments were served. I thanked Krishan Pahalwan for being so kind, and called it a night.
Excellent coverage by pics by Deepakji. But his each report also has some video clips. Surprisingly, no clips this time. Anyhow thnaks for the nice coverage. It is only through this site, we know what is happening in the world of traditional wrestling i.e. Kishti.
ReplyDeletev.good its motivation for me too need more stuff from you.....vandematram
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