Sep 27, 2014

INDIAN WRESTLING कुश्ती - KUSHTI DANGAL AT HATHRAS

By Deepak Ansuia Prasad




हाथरस दंगल

जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ तो भगवन शिव व् पार्वती भी ब्रज भूमि पर पधारे। जहाँ पर माता पार्वती रुकी वहां एक मंदिर बनाया गया है। यह मंदिर हाथरसी देवी के नाम से विख्यात हैं। शायद यही वजह हैं की ब्रज के इस भाग को हाथरस के नाम से जाना जाता हैं। यहीं काका हाथरसी भी पैदा हुए और ख्यातिप्राप्त कवि बने। राजा भोज व् उनकी अगली पीढ़ियों में राजा सदन व् उनके बेटे भूरि ने यहाँ पर भगवान कृष्ण के बड़े भाई दाऊ जी का एक विशाल काय मंदिर बनवाया। तब से यहाँ पर एक विशाल मेला लगता हैं जिसे हम हाथरस का मेला, दाऊ जी का मेला या लक्खी मेला के नाम से भी जानते हैं। मेले में सभी प्रकार के खेल - खिलोने , मेवे , मिठाइयां, खान, पान , खेल कूद , झूले , मनोरंजन आदि की बेहद भरपूर व्यवस्था रहती हैं। इसके अलावा आजकल काका हाथरसी ऑडिटोरियम में मनोरंजन के लिए नृत्य, नाटक, कव्वाली, शेरो शायरी , कविता पाठ, इत्यादि के अनेकों अनेक रंगारंग कार्यकर्म होते हैं। 100 वर्ष से भी पहले इस मेले में दंगल की शुरुआत की गई थी। इस दंगल की विशेषता है की यह दंगल रात भर चलता हैं , और 3 दिनों तक , दिन रात कुश्ती का प्रोग्राम चलता रहता हैं। कुश्ती की कवरेज करने मै दंगल के तीसरे और आखिरी दिन पहुंचा। दंगल के दूसरे दिन बिरजू ने मनीष को करासुल पर चित्त किया जिसकी काफी चर्चा हो रही थी। बिरजू ने साबित किया के वे आले दर्जे के उम्दा पहलवान हैं। तीसरे दिन कुश्ती रात भर होनी थी और मेरे लिए ये पहला अवसर था जब मै रात भर कुश्ती की कवरेज करता ।
दंगल की पहली कुश्ती नवीन मोर व् हितेन्दर बेनीवाल के बीच हुई। नवीन मोर गुरु हनुमान के शिष्य हैं , कुश्ती कला में पारंगत , भारत केसरी और अनेकों अनेक राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता। देश दुनिया में कुश्ती की कला और कौशल का प्रदर्शन कर उन्होंने हज़ारों हज़ार लोगों को रोमांचित किया हैं , समूचे कुश्ती जगत और देश को अपने इस लाडले सपूत पर गर्व हैं। पुलिस विभाग में उच्च अफसर के पद पर आसीन नवीन मोर को कुश्ती प्रेमी एक सभ्य और सज्जन पुरुष के रूप में भी जानते हैं। कुश्ती में उन्हें वर्षों का अनुभव हैं , और कुश्ती की बारीकियों से पूरी तरह वाकिफ हैं। उन्होंने वर्ल्ड पुलिस गेम्स की एक ही इवेंट में ग्रीको रोमन और फ्रीस्टाइल का स्वर्ण पदक जीता। इसी तरह हितेन्दर बेनीवाल कुश्ती पटल पर तूफ़ान की तरह अपनी जगह बनाने वाले , यंग जनरेशन के भारत केसरी पहलवान हैं। जिन गुरुजनो ने भारत माता को ओलिंपिक चैंपियन सुशील कुमार, योगेश्वर , बजरंग , अमित जैसे विश्व प्रसिद्ध पहलवान दिए , उन्होंने ही हितेन्दर बेनीवाल को आज तूफानी पहलवान बना दिया हैं। कुश्ती में माहिर, हौसलों के बुलंद , अखाड़े में चट्टान की तरह खड़े होने वाले हितेन्दर बेनीवाल , इस बार हाथरस में गुरु हनुमान के शिष्य नवीन मोर से भिड़े , और कुश्ती ऐसी की कभी भी कहीं भी देखने को न मिले। दोनों पहलवान इतना भिड़े की शरीर से पसीना पानी की तरह बहने लगा, मिटटी शरीर के पसीने में मिलकर बह रही थी, जिससे पहलवानो को अटैक लगाने में परेशानी हो रही थी, उन्हें बार बार मिटटी लगानी पड़ती , कुश्ती आधा घंटे से ऊपर चली , कुछ अटैक हितेन्दर ने कुछ नवीन मोर ने लगाये , पर दोनों पहलवानो एक दूसरे के आक्रमणों को बचा गए , कुश्ती को आधा घंटे के बाद बराबर घोसित करना पड़ा। छुट्टी की दूसरी कुश्ती हरकेश व् हितेश पहलवान के बीच हुई। हरकेश उत्तर प्रदेश के स्टार पहलवान हैं, और हितेश भारत केसरी पहलवान दोनों की कुश्ती देखने की लगों में बड़ी उत्सुकता थी , ये कुश्ती भी बराबर रही। दंगल की तीसरी कुश्ती अमित नैन व् अमित बंटी गुरु हनुमान के बीच हुई , अमित नैन एक बेहतरीन पहलवान हैं और मेहरसिंघ अखाडा रोहतक में जोर करते हैं,वहीँ अमित बंटी गुरु हनुमान अखाड़े के पहलवान हैं। दोनों पहलवानो के बीच जबरदस्त भिड़ंत हुई , कुश्ती अमित गुरु हनुमान ने अपने नाम की , कुछ लोगों ने रेफ़री के निर्णय का विरोध किया , लेकिन दंगलों में रेफ़री का निर्णय अंतिम होता हैं।
इस तरह दंगल बहुत देखे पर पूरी रात भर दंगल हाथरस में ही देखा , सपा के बहुत बड़े नेता जी श्याम सुन्दर बंटी भैया ने पूरी रात कुश्तियां कराई। छुट्टी की कुश्ती सुबह 4 बजे हुई , बंटी भइया ने दंगल में सभी गुरु , खलीफाओं , कार्यकर्ताओं , विशिष्ट अतिथियों का मान सम्मान किया। दंगल में रात भर कुश्तियां चली। पण्डत जी श्याम सुन्दर बंटी भाई को बहुत बहुत बधाइयां।


ENGLISH VERSION


Long ago, King Bhoori Singh of Hathras and around constructed the temple of Balram, lovingly called dau ji. Every year a fair, or mela, is held that lasts 30 days. One can watch dance recitals, concerts, magic shows and many other things.

And for over 100 years a wrestling competition has been a big part of the festivities, with wrestlers from all over India coming here to participate. The dangal lasts for 3 days and wrestlers compete round the clock. This was my first chance to watch a wrestling competition from 9 pm till 6 am.
The first prize match was between Naveen Mor and Hitender Beniwal. Naveen is a disciple of Guru Hanuman. He is a very skilled traditional wrestler as well as a freestyle and Greco-roman wrestler. Last year he won gold medals in both greco and freestyle wrestling at the world police games. Hitender is a disciple of Guru Satpal at Chhtrsaal Akhda. Their match went on for more than 30 minutes with neither able to secure a fall. It was a hot night and both wrestlers were covered in mud by the time the referee declared the match a draw.
The second prize match was between Harkesh Pahlwan and Hitesh. Harkesh is known as Khali of Uttar Pardesh and he is big and heavy, while Hitesh is a Bharat kesri wrestler.
In the third prize match, Amit Nain of Mehar Singh Akhada and Amit Bunty of Guru Hanuman Akhada fought well. Amit Bunty succeeded in pinning Amit Nain.

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