Feb 9, 2015

KUSHTI WRESTLING: Bharat Kesri Dangal of Rajsamand, Mahabir Navyuvak Mandal

By Deepak Ansuia Prasad












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राजसमन्द का विराट भारत केसरी दंगल !
सौजन्य से :- महावीर नवयुवक मंडल।
कौन जाने कितनी मधुर है , चंद लम्हों की ये ये मुलाक़ात ,
की वे जो महके तो हम गुलाब हो लिए !

कुश्ती की पत्रकारिता अपने लिए जीवन - यापन का माध्यम नहीं , इसलिए ये शेर लिखा ! ये भावानात्मक हैं। पेड पत्रकारिता या आलोचनात्मक या ख़बरों का सनसनीखेज प्रस्तुतीकरण अपने लिए मजबूरी नहीं। न ही हमने हर कीमत पे हर खबर का ठेका लिया हुआ हैं। हाँ ,अपनी एक कम्युनिटी हैं , जाति हैं , धर्म हैं , या यूँ कहां एक अभीष्ट हैं , कुश्ती। अपने भाई ,पाठक , प्रेमी भी ज्यादातर वहीँ मिलेंगे ! यहाँ हिन्दुस्तान टाइम्स या डेल्ही टाइम्स जैसी भी कोई चीज़ नहीं। यहाँ तो देश भर की कुश्ती की खोज का प्रयास भर हैं . कुश्ती सर्व व्यापक हैं , सर्वत्र हैं , कुश्ती प्रेमियों का कोई धर्म नहीं , कोई क्षेत्र नहीं , ये तो देश और काल की सीमाओं से भी परे हैं। आज भी भूतकाल हो चुके , गुलाम , गामा पहलवान की , या अलेक्सडेंडर मेददेव की बातें कुश्ती प्रेमी ऐसे करते हैं जैसे कल की ही बात हो। कहने का आशय ये हैं ,की अपनी लिखी खबर कोई खबर नहीं होती , वो तो अपनी कुश्ती बिरादरी के बीच गुजरे समय , ब्यवहार और कर्मफलों की दास्ताँ हैं। हाँ ये न्यूज़ भी हैं , जो आज कुश्ती की ओर आकर्षित हुए हैं या होने हैं , कुश्ती जोड़ने का काम करे , इसीलिए भी लिखता हूँ। उदहारण देता हूँ , अपनी बाते वैसी ही हैं जैसे खेती करने वाले एक परिवार में रोज बातचीत होती हैं। आज खेत बो दिया , पानी दे दिया , निराई - गुड़ाई कर ली , फसल पक रही ,हैं काटनी हैं , मंडी ले जानी हैं , फसल के पैसे ले कर कर्ज चुकाना हैं। मतलब सब जानते हैं , लेकिन आज की बात करनी हैं। आज खेत में क्या हुआ। उन्हें औरों से मतलब नहीं। यूँ ही मुझे तो कुश्ती प्रेमियों से बात करनी हैं , आज खेत में क्या हुआ।

पिछले बरस भीलवाड़ा के विशाल दंगल में , शिवा जाट मिले , तो उन्होंने कहा , भाई हम भी भारत केसरी दंगल करा रहे हैं , और आपके बुलाएंगे ! तो वहीँ राजसमन्द दंगल आने का विचार बना था , तै समय पर उनका इनविटेशन भी आया । पूरे साल शिवा जाट , उनके महावीर नवयुवक मंडल संस्था , और संस्था के अध्यक्ष कमल जैन , सेक्टरी शंकर कुमावत , उप अध्यक्स पंकज मिश्रा , खजांची शिव सिंह चौधरी या शिवा जाट , टीटू दास और उनके छोटे बड़े भाई , बुजुर्ग सब लोग इसी तैयारी में जुटे रहे। यह प्रतियोगिता स्वर्गीय श्री बड़े लाला सनाढ्य, स्वर्गीय रविन्द्र गुर्जर अप्पू नाथद्वारा एवं तिलक सिंह चौधरी कांकरोली की स्मृति में आयोजित की गई।

राजसमन्द पहुँचने पर सबका स्वागत हुआ , कोई दिल्ली से , कोई हरयाणा, कोई पंजाब भारत केसरी दंगल जो था। राजस्थान के तो कोने कोने से पहलवानो का तांता लगा हुआ जान पड़ा , और राजसमन्द जो की मेवाड़ का भी हिस्सा हैं , वहां से तो दूध मुंहा पहलवान भी दंगल में शरीक होने पहुंचा था। हज़ारों हज़ार दर्शक दंगल देखने पहुंचे। भाई शिवा जाट , उनके मित्रों और कमल जैन जी ने प्रेम से आवभगत की तो ही ये शेर लिख पाया।
कौन जाने कितनी मधुर है , चंद लम्हों की ये ये मुलाक़ात ,
की वे जो महके तो हम गुलाब हो लिए !

दंगल के मैदान की तैयारियां तो देखते ही बनती थी , लगता था इस पर काफी काम किया गया हैं , पूरे मेवाड़ में लगे दंगल के पोस्टरों से ये अंदाजा तो हो ही गया था की दंगल की खूब तैयारियां की गई हैं , लेकिन वास्तविकता में उससे कहीं अधिक देखने को मिला। ऊँचा अखाड़ा , मैट ऑफिसियल्स के लिए सिटींग , बड़ा अतिथि गृह , दर्शकों के लिए कुर्सियां , और पंडाल , अच्छा साउंड , लाइट , और म्यूजिक सिस्टम। सब कुछ परफेक्ट , रंग बिरंगी बिजली की लड़ियों से सजाये अखाड़े में दिवाली के दिन जैसा आभाष हुआ।

कुश्तियों का जब दौर चला तो थमते न रुका , मानो निरंतर बहती गंगा में आज बरसात का ही नहीं , कहीं दूर फटे बादलों का पानी भी आ मिला हो। और ऐसा हो भी क्यों न ? देश भर के बढ़िया पहलवान , रेफरी , गुरु , खलीफा सब तो मौजूद थे यहाँ , देश के श्रेष्ट अखाड़े के गुरु , दोर्णाचार्य अवार्डी गुरु महासिंह राव मैट चेयरमैन , वहीँ राजस्थान के , बेहतरीन कुश्ती गुरु , मैट संचालक , अंतर्राष्ट्रीय रेफरी सत्यप्रकाश भी मौजूद थे। जहाँ गुरु महा सिंह जी की आँखों से किसी भी निर्णय की अनदेखी न होती , वहीँ सत्यप्रकाश जी की मनोरंजक कमेंट्री दर्शकों को पेट पकड़ने पर मजबूर कर देती। दंगल में मुख्य अतिथि टीटू दाजी (उस्ताद नाथद्वारा अखाड़ा), राजस्थान कुश्ती संघ प्रदेश अध्यक्ष आरके धाभाई, द्वारीकाधीश मंदिर के अधीकारी भगवती लाल पालीवाल, पहलवान विनोद सनाढ्य अनेकों अनेक गणमान्य व्यक्ति रहे।

यूँ तो दंगल में कुश्ती के एक के बाद एक भयंकर मुकाबले हुए , पर भारत केसरी की कुश्ती में बहादूरगढ़ (हरियाणा) के प्रवेश कुमार ने सतीश आर्मी (सेना) को हरा कर इस भारत केसरी कुश्ती दंगल प्रतियोगिता के विजेता बने। विजेता पहलवान बहादूरगढ़ (हरियाणा) निवासी प्रवेश कुमार को एक लाख रूपयै की नकद राशि, सात किलो वजनी चांदी की गदा (गुर्ज), भारत केसरी विजेता का पट्टा उपस्थित अतिथियों द्वारा प्रदान कर सम्मान किया गया। उप विजेता सतीश आर्मी को इक्यावन हजार रूपये नकद, उप विजेता का पट्टा एवं शिल्ड प्रदान की गई एवं तृतीय विजेता हितेश बहादुर गढ़ रहे जिनको इक्कीस हजार रूपये नकद एवं पट्टा एवं शिल्ड प्रदान की गई। अंतीम विजेता अनुप कुमार रोहतक को भी अच्छे प्रदर्शन के लिए आयोजन समिति द्वारा ग्यारह हजार रूपये नकद एवं पट्टा एवं शिल्ड प्रदान कर सम्मान किया गया। प्रतियोगिता में मेवाड़ केसरी खिताब के प्रथम विजेता भीलवाड़ा निवासी अवीनाश गुर्जर, द्वितीय विजेता भागीरथ गुर्जर भीलवाड़ा एवं तीसरे विजेता आशीष जोशी भीलवाड़ा रहे। इसके साथ ही आयोजन समिति द्वारा राजस्थान कुमार खिताब भी रखा गया जिसमें प्रथम विजेता आशीष जोशी भीलवाड़ा, द्वितीय विजेता बबलु गुर्जर भीलवाड़ा एवं तृतीय विजेता निर्मल विश्नोई भीलवाड़ा रहे इसके अलावा आयोजन समिति द्वारा राजस्थान केसरी प्रतियोगिता खिताब भी रखा जिसमें दलबीर (हाथी) भरतपूर ने प्रथम स्थान पर अपना कब्जा जमाया। सबसे अधिक बार राजस्थान केसरी बनने का रेकार्ड भी उनके ही नाम हैं। द्वितीय अनील कुमार (भीम) अलवर एवं तृतीय स्थान पर जीतेन्द्र गोला अलवर रहे। महावीर नवयुवक मंडल के संरक्षक मुरलीधर उस्ताद, टीटू दाजी, कमलेश हिंगड़, राधेश्याम गुर्जर, राजेश चौधरी, श्यामसिंह चौहान, दीपक गुर्जर ने स्मृति चिन्ह देकर व् पगड़ी माला पहनाकर अतिथियों का स्वागत किया। कुश्ती के रेफरी सत्यप्रकाश कोच, ओम प्रकाश सेन, जगदीश जाट रहे। दंगल की यादगार कुश्तियों में बबलू गुर्जर और निर्मल बिश्नोई की कुश्ती हमेशा के लिए याद की जायेगी।

जैसा मैंने बताया अपनी पहलवान बिरादरी का प्रोग्राम था , और खाने पीने की व्यवस्था का वही ढंग था , आज सुबह दूध जलेबी , दिन में देसी घी का खाना , रात में ठेठ राजस्थानी व्यंजन , भोजन का मजा लिया सबने , और एक दिन अपने अमित अग्रवाल पलवान भाई की तरफ से रिसोर्ट में कॉन्टिनेंटल खाने की व्यवस्था , सब कुछ एक दम झक्कास।

दंगलों की परंपरा हैं गुरु खलीफाओं का , विशिष्ट अतिथियों का सम्मान , यहाँ भी पगड़ी , मोमेंटो , दुशाला , तरह - तरह के गिफ्ट पैक , और खासतौर पर श्रीनाथ मंदिर नाथुद्वारा का लड्डू प्रसाद। याद रहे , ये लड्डू खासतौर पर मंदिर समिति द्वारा मंदिर के अंदर , श्रीनाथ जी की भोगप्रसाद का हिस्सा होने से अति महत्वपूर्ण व् दुर्लभ होते हैं। यूँ तो दुर्लभ श्रीनाथ जी के दर्शन भी हैं। हाँ सनाढ्य ब्राह्मणो के अखाड़े के पहलवान ही मंदिर की व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालते हैं , सो भारद्वाज होने के नाते मैंने तो एकदम VIP स्टाइल में दर्शन किये , और कमोबेश यही सुविधा सब पहलवानो को हासिल होगी , यदि आप वहां पहुंचे। हाँ सोने पर सुहागा ये रहा की दंगल कमिटी ने हम लोगों के लिए हल्दी घाटी , रक्त तलाई , कुम्भलगढ़ जैसे दर्शनीय स्थानो को देखने की व्यवस्था की।

इस प्रकार राजसमन्द का भारत केसरी दंगल संपन्न हुआ , आने वाली पीढ़ी में खेल भावना को जगाने , और भारत केसरी बंनाने का इतिहास समेटे राजसमन्द की मिटटी को प्रणाम किया , सब लोगों खासतौर पर कमल जैन जी , शिवा जाट व् उनके सहयोगियों को धन्यवाद दिया। राजसमन्द संगेमरमर की सबसे बड़ी मंडी भी हैं , और कोसों तक हाईवे पर संगेमरमर की दुकाने देखि जा सकती हैं। उनमे एक कमल जैन जी की भी हैं। उन्होंने वचन दिया दीपक भाई यहाँ से पचास किलोमीटर तक संगे मर्मर की दुकाने हैं सबसे रेट पूछना और सबसे कम रेट के पर भी मै आपको और आपके मित्रों को डिस्काउंट दूंगा चाहे आप एक पत्थर का टुकड़ा खरीदें या एक ट्रोला। मै गरीब तो झोपडी में रहता हूँ , उसमे संगेमरमर लगा कर क्या करूँगा , लेकिन जिन मित्रों को जरूरत होगी उनके लिए जरूर कह दूंगा।


ENGLISH VERSION
I was at Bheelwada last year when I met Shiva Jat, who told me about a huge wrestling competition he was helping to organize. It would be a three day competition with wrestlers competing for three prestigious titles: Bharat Kesri (Lion of India), Rajasthan Kesri (Lion of Rajasthan) and Mewar Kesri (Lion of Mewar).
The event was in honot of Late Sh. Bade Lala Sanadhy, Late Sh. Ravinder Gurjar, Appu Nathudwayra and Tilak Singh Choudhary Kankroli.
The Dangal committee Mahaveer Navyuvak Mandal and it is officials comprising president Kamal K. Jain, Secretary Shankar Kumavat , VP Pankaj Mishtra , treasurer Shiv Singh Choudhry or Shiva Jat , Teetu Das, their family members , friends and relatives put a lot of effort to make this event successful.
Spectators from all walk of life flocked to the stadium of Rajsamand, where the competition was held. While the wrestling would take place in the traditional sand wrestling pit, the rules would be based on freestyle wrestling rules.
Trumpets blared and dhol were beaten while the bouts were fought and colorful lights glimmered over the arena. It was almost like Diwali.
Wrestling Guru and the Dronacharya Awardee Mahasingh Rao ji acted as mat chairman, while Satyparkash ji, Om Parkash Sen, Jagdish Jat, were the main referees. The announcer was Satyparkash ji who entertained the crowd with his jokes and commentary.
Parvesh the mighty wrestler from Haryana, defeated the Army wrestler Satish to win the Bharat Kesri title. The third prize went to Hitesh who defeated Anoop of Rohtak.
All the wrestler were honored with Pagri, silver maces and certificates. Rs. one lakh and a silver mace was presented to Parvesh, Rs 51000/- and a Silver mace to Satish, Rs 31000/- and a silver mace to Hitesh and Rs, 21000/- and a silver Mace to Anoop was presented by the Dangal committee.
Avinash Gujar of Bheelwada won the Mewad Kesri title, while Bhagirath Gurjar placed second. Third prize went to Ashish Joshi Bheelwada. All were presented with cash prizes, maces and certificates, and their coaches were given full honors before the crowd.
The title of Rajasthan Kesri went to Dalbir Hathi. The second prize in this segment went to Bheem of Alwar, and the third prize went to Jitender Gola of Alwar.
The committee members, including Murlidhar guru, Teetu Daji, Kamlesh Hingad, Radheshyam Gurjar, Rajesh choudhry, Shyam Singh chauhan, Deepak gurjar and other guests honored the wrestlers with Pagri, garlands, cash prizes and maces.
It was a great competition and I thank the president of the Mahabir Navyuvak Mandal Kamal K Jain, Shiva Jat and their committee.
The Shreenath ji (Lord Krishna) temple here is very famous and revered. The temple is managed by sanaadhya Brahmins, from Bhardwaj descent. Many of them are wrestlers. I was fortunate enough to see the deity then the akhada and talk with the guru there. Wrestlers from all over India are welcome and get special treatment from their wrestler brothers here. Last year Champion wrestler Sushil Kumar came here to pay respects to Shreenath ji.


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