By Deepak Ansuia Prasad
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यदि आप फेसबुक पर शशांक सैनी को खोजें , चलिए उनका लिंक दे देता हूँ। https://www.facebook.com/shashank.saini.1614 उन्होंने गुज्जरों के गाँव को बड़ी ख़ूबसूरती से अपने कैमरे में कैद किया हैं , उनके इस पेज पर घिटोरनी की शानदार तस्वीरें हैं , गाँव के लोगों के साथ खाते , पीते , खेलते कूदते , मस्तियाँ काटते , या फिर उनकी घोड़े , गाड़ी , सवारी , शशांक ठेठ उनके लिविंग रूम , किचन , बैडरूम तक पहुँच कर एक फ्रेम आपको दिखाते हैं , एक दम मस्त काम कियेला हैं भाई ! आप देखेंगे तो आपको दिल्ली देहात के बारे में बहुत अच्छी नॉलेज मिलेगी। घिटोरनी दक्षिण दिल्ली का एक विकसित गाँव हैं , गाँव की विशेषता हैं खेलों के प्रति गाँव वासियों का प्रेम। यह गाँव पहलवानो के गाँव के नाम से भी जाना जाता हैं। इस गाँव ने देश को बेहतरीन मिटटी और मैट के पहलवान दिए हैं। साथ ही इस गाँव में धीरज पहलवान जी की अध्यक्षता में प्रतिवर्ष दंगल होता हैं और उसके बाद रागनियों का शानदार प्रोग्राम होता हैं। 100 फूटा रोड घिटोरनी गाँव पर होने वाले कुश्ती के इस शानदार प्रोग्राम को देखने दूर दूर से लोग आते हैं। देश भर के शानदार पहलवान आकर इस दंगल में भाग लेते हैं । बढ़िया कुश्तियां होती हैं। फिर रात को रागनी कम्पटीशन इस तरह घिटोरनी गाँव में ये दिन और ये रात मनोरंजन से भरपूर होती हैं ।
मैंने दंगल से पहले लिखा था की घर से निकलिए खुले में आइये और कुश्ती देखिये , इस लिहाज से घिटोरनी का यह दंगल अभूतपूर्व था। दंगल में छोटे बच्चों की अनगिनत कुश्तियां हुई , उसके बाद जूनियर्स की और फिर सीनियर्स के कांटेदार मुकाबले । देश भर के चिर परिचित नाम , जिनमे ललित गुरु जसराम और सुमित गुरु हनुमान , कुलदीप छत्रसाल और ज्ञानेंदर , आकाश पहलवान और भोला , बराबर रहे , जितेंदर सोहना जीते , अजय लाखुवास ने कृष्ण डेसु को हराया , जीतू ने अमित गुरु हनुमान को , छुट्टी की दूसरी कुश्ती पे गुल्लू पहलवान घिटोरनी ने सेना के पहलवान को हरा कर दंगल लूट लिए , और छुट्टी की कुश्ती में नवीन मोर ने युधिस्ठिर को। दंगल बेहतरीन रहा . स्वर्गीय गुरु पहलवान हरि सिंह जी की याद में यह ३२ वां दंगल बड़ी धूम धाम और शानो शौकत से संपन्न हुआ। दंगल के आयोजक व् करता धर्ता वीर सिंह , धीरज पहलवान , मनुदेव पहलवान व् विजय वीर पवार भाई और उनकी टीम ने आज कुश्ती के वो नज़ारे दर्शकों को दिखाए जो अन्यत्र संभव नहीं। लोगों की ही जुबानी है की तबियत से कुश्तियां हुई , दिल खोल के इनाम बाटें गए और कोई भी पहलवान बिना लड़े वापस नहीं गया। दंगल में देश के सर्वश्रेष्ठ पह्व्लान , अर्जुन अवार्डी चैंपियन व् 36 - 36 बार भारत केसरी बने राजीव तोमर पहलवान , उनके गुरु व् कोच द्रोणाचार्य अवार्डी महा सिंह राव जी का विशिष्ट सम्मान किया गया। उन्हें घिटोरनी गाँव के प्रसिद्ध पहलवान अनंत राम जी के पुत्र व् राष्ट्रिय पहलवान मनुदेव जी ने स्वयं सम्मानित किया।
इस दंगल में पहली कुश्ती नवीन मोर व् युधिस्ठिर पहलवान के बीच हुई। युधिस्ठिर पिछले साल भारत केसरी बने और नवीन मोर चोट से अभी अभी उबरे , इस मायने में युधिस्ठिर कुछ भारी पड़ते दिखे , पर नवीन ने युधिस्ठिर को चित्त किया तो उनके ऊपर कुछ लिखना बनता हैं।
हिन्दुस्तान के रॉकी बल्बोआ और उससे बढ़ कर हैं गुरु हनुमान अखाड़े और हरयाणा पुलिस के इंस्पेक्टर नवीन मोर पहलवान।
आज घिटोरनी के दंगल में बेहतरीन कुश्ती दिखाते हुए , छुट्टी पर , उन्होंने जनेऊ दांव गेर कर युधिस्ठिर पहलवान को किया चित्त। एक लाख रूपये नकद और गुर्ज लेकर बने रुस्तम। देश के उम्दा और बेहतरीन पहलवानो में हैं नवीन मोर , अखाड़े के बराबर ही चौड़ी छाती लिए हुए इस पहलवान का कोई जवाब नहीं।
जान जोखिम में डाल कर कुश्ती लड़ने और कई कई बार गंभीर चोट खाने और फिर अखाड़े की दुनिया में वापस लौट कर अपना लोहा मनवाने वाले इस पहलवान की कहानी हॉलीवुड के करैक्टर सीलवेस्टर स्टेलोन के पांच छह फिल्मो में निभाये किरदार रॉकी बल्बोआ से जस की तस मिलती हैं। रॉकी बार चोट खाते हैं और रिंग से बाहर हो जाते हैं लेकिन उन्हें मजा नहीं आता , वे वापस तयारी कर अपने से बड़े और धुरंधर हैवीवेट चैंपियनों को ललकार देते हैं और जीत उठते हैं।
फर्क इतना है की रॉकी बल्बोआ नकली हैं और नवीन मोर असली। कैमरे पर ऐसे ही सच्चे खिलाडियों के किरदार को जिया रॉकी उर्फ़ स्टैलोन ने। उन्होंने किरदार जी कर अरबों डॉलर खोंसे। नवीन मोर अपनी हरयाणा पुलिस की नौकरी से संतुष्ट तो लगते हैं लेकिन मुझे लगता हैं ये शानदार पहलवान भी ऐसे ही बड़े इनाम का हकदार हैं।
अभी अभी चोट से उभरे नवीन मोर के दिलों दिमाग में कुश्ती लड़ने की फितरत हैं , जूनून हैं। इसका प्रत्यक्ष रूप से घिटोरनी गाँव में दर्शकों ने अपनी आँखों से देखा। जिस शिद्दत से , कारीगरी से और मर्दानगी से पहलवान ने कुश्ती लड़ी , ऐसा शायद ही कोई कर पाये। अपनी माँ का दूध पिया हैं मिटटी के इस लाल ने , इसके अखाड़े में उतरते हुए ही पहलवान तो क्या भूत प्रेत और जीन जिन्नात भी भाग खड़े होते हैं। ऐसे पहलवान के पट खींच दर्शकों को हैरत में डालने वाला , वाकई में, युधिस्ठिर पहलवान भी कोई कम नहीं था। जिसे काबू में कर , एक रियल फाइट दिखा कर , नवीन मोर ने दर्शकों को मस्ती में सराबोर कर दिया। रुस्तम पहलवान नवीन का जवाब नहीं ।
परंपरा अनुसार सभी गुरु खलीफाओं , कोच व् कुश्ती से जुड़े मौजिस व्यक्तियों को पगड़ी देकर स्वागत व् सम्मान किया गया।
ENGLISH VERSION
Naveen Mor is the Rocky Balboa of Indian kushti. After a long absence due to an injury, he returned to the wrestling arena to face Yudhisthir in the grand prize match at the 32nd Hari Singh Memorial Dangal at Ghitorni Village.
The stakes were high – the two wrestlers were battling for a cash prize of Rs 151000/-. Yudhisthir, of Ghodi Chant Village, near Palwal, is a powerful wrestler who recently won the Bharat Kesri title. Naveen Pahlwan, of Guru Hanuman Akhada, meanwhile, was out of commission for almost a year. So it was expected to be a very tough match for him. Naveen works as an inspector for the Haryana Police and his comrades turned out in force to witness his comeback. He didn’t disappoint them. Naveen fought through the pain of his injury and overpowered Yudhisthir, pinning the champion wrestler easily with an Indian technique called Janeu. The crowd cheered his victory and the entire Haryana Polcie Department took great pride in Naveen’s successful return to wrestling.
The second Prize match of Rs. 100000/- was played between Gullu Pahalwan, a local wrestler, and a wrestler from Punjab. Gullu comes from a great family of wrestlers. Every day he goes to Guru Hanuman Akhada and practices the art of wrestling. In fact, Gullu’s own family organized the dangal, so he wanted to make them proud. And so he did. He pinned the wrestler from Punjab easily and all the people of Ghitorni cheered for him.
In another exciting match, the star wrestler Jeetu Pahlwan (also a Ghitorni Village wrestler) of Guru Shyam lal akhara faced off against Amit of Kadolia Village. Amit is a disciple of Guru Hanuman Akhada, and is a mighty wrestler. But Jeetu proved that he was better. He caught Amit in a cradle, or jholi, as it is called in Hindi, and pinned him. Amit was stunned by his defeat and the crowd went wild, cheering Jeetu’s amazing victory.
Lalit of Guru Jasram and Sumit of Guru Hanuman Akhada fought a pitched battle , they however remained equal.
In another match, Ajay Lakhuwas he pinned Krishan of Desu Akhada in a great upset. Meanwhile, wrestler Jitender of Sohna also won a great match.
Several matches ended in draws. Kuldeep, a very good senior wrestler of Chhatrasaal Stadium was paired against Gyanender Pahlwan of Guru Jasram. It was great to see Gyanender battle the mighty wrestler.
Another great wrestler, Bhola of Chhatrsaal fought with Akash Yadav Pahlwan of Guru Jasram Akhada, they also remained equal.
The dangal was organized by Mr. Veer Singh, Dheeraj Pahlwan, Rashtriya Pahlwan ManuDev, Vijayveer Pawar and their team of village people. It is held every year and is followed by a traditional music competition at night called Ragni Competition.
I have always been asking people to come out and see kushti, and the dangal didn’t disappoint those who did. The wrestling competition started with junior wrestlers’ bouts -- more than 100. And then the senior competition started.
All the matches were magnificent, the referees were great and the announcer did his work well while announcing the bout or giving a brief history about the Dangal.
There were many dignitaries related to the field of traditional wrestling present, including: Manudev Pahlwan , Dronachary Awardee Mahasingh Rao ji , Prakash Pahlwan Kulhi Puria, Hind Kesri Rajiv Tomar, Charan Singh Khalifa, Bedu Pahlwan’s father, Ashom Pahlwan Railway, Bishambhar Khalifa, and many others. They were honored with headgear Pagadi as a mark of respect.
If you want to see more pictures of Village Ghitorni, log into Facebook and view the photos of Shashank Saini https://www.facebook.com/shashank.saini.1614. His beautiful pictures depict daily life in the village.