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Apr 26, 2014

INDIA vs. PAKISTAN - Vishwkarma Wrestling Academy Kushti Dangal

By Deepak Ansuia Prasad


















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हनुमान जयंती दंगल ,
सौजन्य से ,
विश्वकर्मा अखाडा , मुल्लापुर गरीब दास।

भगवन हनुमान ज्ञान, शक्ति , त्याग, तपस्या , ब्रह्मचर्य और निस्वार्थ कल्याण और सेवा भावना के प्रतीक हैं। शिव के अवतार हैं। प्रतिवर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा को शुक्ल पक्ष के पन्द्रवें दिन उनके जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता हैं।
हिन्दुस्तान के सभी अखाड़ों में हनुमान जी के लिए एक स्थान जरूर होता हैं जहाँ उनकी मूर्ति या तस्वीर रखी जाती हैं और पहलवान हनुमान जी की पूजा अर्चना और अपनी कुश्ती की साधना में रत रहते हैं। आजन्म ब्रह्मचारी रहे, और श्री रामचन्द्र जी में अटूट निष्ठा रखने वाले हनुमान जी को सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां प्रदान की थी और अत्यंत बलशाली थे और अनेकों विधाओं में प्रवीण थे। उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में दंगल करने से पहलवानो को कुश्ती कला के प्रदर्शन का तो मौका ही मिला साथ ही में हनुमान जी के जीवन से प्रेरणा भी मिली।
गाँव मुल्लापुर गरीबदास के पंचायत भवन के खेल प्रांगण में दंगल का आयोजन था। जहाँ मैट के आकार के ५-६ अखाड़े सफेदी से चिन्हित किये गए थे , इनके अंदर ही कुश्तियां होनी थी। अखाड़े के चारों और गोलाकार लोहे की रेलिंग थी जिसके दूसरी और दर्शक आराम से बैठ कर कुश्ती का आनंद ले सकते थे। खास मेहमानो के लिए दो बड़े स्टेज बनाये गए थे। और उनके सामने भी कुर्सियां लगाईं गई थी जिन पर विशिष्ट अतिथि आराम से बैठ कर दंगल देख सकते थे। गोलाकार बैरिकेड के अंदर और बाहर दरियाँ बिछाई गई थी जिन पर एक और दर्शक और दूसरी ओर पहलवानो के दलों के बैठने की व्यवस्था की गई थी। दंगल में दिन भर देसी घी का भंडारा , खीर , पूड़ी चलता रहा और मेहमानो के लिए चाय , पानी, पेप्सी व् नाश्ते की व्यवस्था भी चलती रही। आधुनिक साउंड सिस्टम, अनुभवी रेफरी , उद्घोषक व् खुद गोलू पहलवान दंगल की व्यवस्था में तैनात रहे।

दंगल कमिटी में प्रधान सेठ सिंह जी, रवि शर्मा जी , विनोद शर्मा जी गोलू पहलवान व् धर्मेंदर राणा जी ने दंगल का कुशल प्रबंधन व् आयोजन किया। व् दंगल में चंडीगढ़ पुलिस से राजा पहलवान जी, जोगा पहलवान जी , कैनोर , सुभाष मालिक जी पटियाला , सीनियर कोच R .S. कुंडू जी रहे।

दंगल का अंदाज खास रहा इसमें दो प्रकार से कुश्तियों की व्यवस्था थी जूनियर पहलवानो के लिए चैंपियन शिप वजन के आधार पर और कुश्तियों का फैसला अंकों के आधार पर तथा भारतीय शैंली में दंगल। दंगलों में अधिकांशतः कुश्तियां बराबरी पर छूट जाती हैं , जिससे कुंडू कोच साहब खुश न थे सो उन्होंने घोषणा की , यदि कुश्ती समय खत्म होने पर बराबर रही तो फिर 5 मिनट अंकों के आधार पर दुबारा शुरू की जायेगी। इस पर दर्शकों व् सभी गुरु खलीफाओं ने सहमति दी और दंगल में कुश्ती बराबर होने पर स्वयं कोच कुंडू जी , सुभाष मालिक , राजा पहलवान व् गोलू पहलवान ने अंकों के आधार पर कुश्ती के फैसले दिए।

दंगल में उद्धोषक दलवीर पह्वान कैनोर व् जीता ककरली ने शानदार कमेंट्री की , उन्होंने पहलवानो का जनता से परिचय कराया , कुश्ती की हार जीत की घोषणा की , व् बीच -२ शानदार शेरो शायरी भी की।

दंगल कमिटी में चैंपियन शिप जीते पहलवानो को गदा भेंट की , इस अवसर पर विश्वकर्मा अखाड़े मुल्लापुर में आये जॉर्जियन कोच को भी गदा भेंट की गई. सभी जीते पहलवानो को नकद इनाम व् हारे पहलवानो को सांत्वना पुरष्कार दिए गए। दंगल में कुछ विशिष्ट अतिथियों को सोने की अंगूठियाँ भेंट की गई जिसमे काला पहलवान , दर्शन लाल शर्मा जी , कोच आर एस कुंडू , गोलू पहलवान इत्यादि रहे।

पाकिस्तान से आया कुश्ती दल।
पाकिस्तान से पहलवानो का ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत किया गया और उन्होंने भी अपने चिर परिचित ख़ास अंदाज में अखाड़े की सलामी ली। मै भी पाकिस्तानी पहलवानो का स्वागत करने पहुंचा और उनसे मिलकर जितनी प्रशंशा मुझे हुई उतनी ही उन्हें भी। कुछ पहलवान कुश्ती के प्रति मेरे काम के बारे में परिचित भी थे। दंगल में आई साड़ी जनता बेसब्री से पाकिस्तान से आये पहलवानो की कुश्ती देखने के लिए इंतज़ार कर रही थी। उन्होंने पाकिस्तान से आये इन पहलवानो के लिए तालिया बजाई और चिल्ला कर उनकी हौसला अफजाई की , कुछ हारे और कुछ जीते लेकिन इसकी परवाह किसे थी ? पाकिस्तान से आये पहलवानो ने अपनी कुश्ती कला दिखा कर वास्तव में जनता का मन मोह लिया।

नवनीत आलमगिरिया ते बिंदा बिशनपुरिया।
दोनों ही पहलवान अच्छे मल्ल हैं , आधे घंटे कुश्ती लड़ कर भी फैसला न कर सके तो कुंडू साहब ने पांच मिनट अंकों के आधार पर कुश्ती कराने का फैसला किया जिसमे जिसमे बिंदा ने नवनीत को 3 -1 से पछाड़ कर कुश्ती अपने नाम की

गौरव ऊना ते गुरसेवक गुड्डू खन्ना
गौरव तेज कुश्ती लड़ते हैं , उनके तीव्र अटैक सामने वाले पहलवानो को बदहवास करते हैं जिसका फायदा लेकर वे आसानी से कुश्ती मार लेते हैं , लेकिन जब गुरसेवक जैसा इंटरनेशनल पहलवान सामने हो तो मुश्किल की बात जरूर हैं गौरव के एक तेज अटैक को फुर्ती से बचा कर गुरसेवक ने काउंटर अटैक पर गौैरव को चित्त किया , दो मिनट से भी काम चली तेज कुश्ती में हार कर गौरव ने हैरानी जाहिर की।

सुनील जीरक पुर ते सनी लल्लियन

सुनील पंजाब के कुश्ती सर्किल में शानदार उभरते पहलवान हैं , उन्होंने अभी हाल ही में उन में भारत कुमार का ख़िताब जीता है। सनी पुराने मंझे वजन दार खिलाडी हैं बेमेल इस जोड़ में सनी ने सुनील को दबा रखा और अंत में पुट्ठी दांव पे चित्त दे मारा।

कमलजीत डूमछेड़ी और कृष्ण लम्बू सोनीपत

सात फुट लम्बे कृष्ण अब किसी भी अच्छे पहलवान को चुनौती देने लगे हैं , कमल जीत अभी चोट से उभर कर आये यहीं दोनों की पहले इनाम की कुश्ती चर्चा में थी , और लोगों में कुश्ती देखने की बड़ी बैचेनी साफ़ देखि जा सकती थी। किर्शन ने हालांकि कमलजीत को नीचे लाने में कोई कसर न छोड़ी लेकिन कमलजीत चित्त होने वाॅलो में से न हैं , कुश्ती यूँ ही काफी देर तक चलती रही। अँधेरा गहरा चूका था अतः कुश्ती को रोक कर बराबर घोसित किया गया।

इस प्रकार हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में इस दंगल को कराने में गोलू पहलवान व् उनकी कमिटी ने कोई कसर न छोड़ी। और दंगल एक अच्छे सफल दंगल के रूप में इतिहास के पन्नो में लिखा जाएगा। दंगल के इंतजामात और दंगल में कुश्तियां करवाने के ख़ास अंदाज जिसमे भारतीय शैली में कुश्ती फाइनल न होने पर अंकों के आधार पे कुश्ती करा कर गोलू पहलवान ने एक नए युग का आरम्भ किया हैं उम्मीद हैं पंजाब की दंगल कमेटियां इस परिवर्तन को नोटिस करेंगी। और दंगल में सभी गुरु , खलीफाओं , विशिष्ट मेहमानो का स्वागत परम्परानुसार करने , मुझे भी दंगल में आमंत्रित करने के लिए गोलू पहलवान धन्यवाद के पात्र हैं , उनकी नेकनीयती और दरियादिली ही वो वजह है की आप ये रिपोर्ट पढ़ और देख सके हैं।


ENGLISH VERSION


All wrestlers are devoted to Hanuman. He is the embodiment of knowledge, strength, energy, sacrifice, and purity. Every akhada in India has at least one shrine where wrestlers to pray to Hanuman before the daily practice. To celebrate the birthday of Hanuman, the Vishwkarma Mullapur Gareebdas Wrestling Academy organised a dangal to commemorate the deeds of Hanuman ji and promoted sporting culture as well.

One very special part of the dangal was a contingent of 6 wrestlers from Pakistan who came to compete. They entered the arena amid much fanfare and drumming. People were very much excited to watch them compete here. They received a warm welcome and their visit was a testament to the power of wrestling to bridge the divide between the two neighbors, despite all the political tension. I also welcomed the Pakistani pahlwans and found out that people know about my work in Pakistan also. Three of the visiting wrestlers won their bouts and three lost to their Indian counterparts. Their matches were quite special and everyone enjoyed them.

The competition was at Panchayat stadium, a big open sports ground. So many wrestlers came to take part that in order to give them all an opportunity to wrestle, 5-6 wrestling areas were partitioned off and spectators gathered around the outside of the area to watch the bouts.

The Vishwakarma Akhada Mullapur Garibdas committe members included Seth singh, Pradhan JI, Ravi Sharma ji, Vinod Sharma alias Golu Pahlwan and Dharmender Rana. They deserve great praise for putting on such a huge competition.

The competition was of different than most traditional dangals. There were championship matches for the championship for 65kg and 70kg weight classes which were wrestled on the basis of traditional wrestling rules and then on the basis of points.

Secondly, there was a winner declared for every bout in the kushti competition, rather than having matches end in draws. Senior Coach R.S. Kundu announced that if a bout remains equal it will be wrestled again on the basis of points. He himself refereed and made the competition a huge success.

The referees in the competition were Raja pahlwan chandigarh police,Joga pahlwan kainor, Subhash coach patiyala, R.S. Kundu coach refree,

The Dangal committee made great arrangements for the competition. There was a community kitchen (desi ghi ka langar) running whole day for all the people visiting the competition.

The announcer, Dalveer pahlwan Kainor, and Jita Kakrali offered commentary on the bouts and recited poetry in between matches. The wrestlers were paired by Hans pahlwan mamupur, Golu pahlwan mullapur.

Prizes and honors conferred
The dangal committee gave maces to the top 5 winning wrestlers. They also paid good cash prizes to the winning wrestlers and consolation prizes to the losers as well. The prominent personalities of wrestling were given gold rings as gifts. Coach R.S. Kundu received a gold ring and gifted it to one poor wrestler whose mother died recently.

Navneet Alamgeer vs Binda Bishan Puria.
Two great wrestlers of Punjab, they they fought according to Indian style rules till the time allotted for them ended. Coach R.S. Kundu was not pleased with them, he asked the public if they want to see the match decided on the basis of points to which public shouted in affirmative. The match resumed on the basis of points again and Binda bishanpuria defeated Navneet of Alamgir by 3-1 points. Coach R.S. Kundu said that if this format was adopted by all the Dangal committees of Punjab, wrestling would see a phenomenal change for good.

Gaurav Una vs Gursewak khanna alias guddu.
Gaurav of Una is a wrestler who fights for big prizes. He is fast and keeps his opponent on the defensive by attacking continuously. But as he tried to take Gursewak down, Gaurav stumbled and Gusewak pounced and pinned him leaving Gaurav stunned by his quick defeat.

Sunil Zirakpur vs Sunny Lallian
Sunil of zerak pur guru R.S. Kunud is a rising star in punjab kushti circles. He recently won Bharat Kumar Title at Himachal. He was paired against a big and experienced wrestler named Sunny. The whole bout remained one sided and went on for a long time in which sunny remained in control. In the dying moments of the match Sunny picked Sunil up, slammed him to the ground and pinned him with a technique called Putthi.

Kamal Jit Doomchedi vs Krishan Sonipat (Lamboo)
Kamalji returned to the fray after almost a month after an injury. He battled for first prize against Krishan of Sonipat. The match was according to Indian Style rules and it went on for more than half an hour. The light faded. It was hard to see anything so the fight was called a draw.

Vinod Sharma alias Golu pahlwan did everything to make the competition a huge success. And it really was one of the best kushti events. He honored the gurus, dignitaries, special invitees with a saropa (headgear), gold ring and mace.