प्रताप मेमोरियल स्कूल , खरखौदा , हरियाणा
मुझे कुश्तियों से जुड़े हुए एक लम्बा अरसा हो गया है ! और लम्बे समय से ही कुश्ती प्रतियोगिताओं में जाता रहा हूँ ! पिछले ७-८ सालों से मैंने प्रताप स्कूल का नाम कुश्ती प्रतियोगिताओं मे सुना था और स्कूल के बच्चों को कुश्ती दंगल में भाग लेते देखा था , मेरी इच्छा थी की मै इस स्कूल को देखूं और दुनिया को दिखाऊँ ! पिछले दिनों यह अवसर प्राप्त हुआ ! मेरे मित्र सूरज पहलवान ने प्रताप - स्कूल के खेल अधीक्षक से मेरी फ़ोन पर मुलाक़ात कराई और उन्होंने मुझे स्कूल देखने का निमंत्रण दिया
प्रताप स्कूल दिल्ली से लगभग ४० किलोमीटर पश्चिम की ओर, बहादुरगढ़ के पास है ! दिल्ली से बहार निकलते ही ताज़ी हवा, लहलहाते खेत, हलकी बारिश ने सफ़र को आन्दमय बना दिया ! जब हम स्कूल पहुंचे तो ४ बज चुके थे , और स्कूल की दिनचर्या समाप्त हो चुकी थी पर अभी खेल कूद का अभ्यास शुरू होना था ! हमने स्कूल के प्राचार्य से मुलाक़ात की , उन्होंने हमारा स्वागत किया और प्रताप स्कूल के विषय में जानने के लिए हमें सहयोग करने का निर्णय लिया ! उनके इस सहयोग के लिए मैं उनका अत्यंत आभारी हूँ!
प्राचार्य धर्म प्रकाश जी ने बताया की उनके पिताजी समाज सेवी और सज्जन पुरुष थे ! वो अपने समाज के लोगों को शिक्षित , स्वस्थ अवं समृद्ध देखना चाहते थे ! वो चाहते थे की उनके समाज में बुरे लोग न हों और सभ्य - सुसंस्कृत लोग हो ! उनके बड़े मकान की छत पर अक्सर बैठकें होती जिनमे समाज के हित के लिए निर्णय लिए जाते ! उन्हें अपने समाज को शिक्षित बनाने का बड़ा चाव था , वो आस पास के सरकारी स्कूलों में जाते और होनहार छात्रों को छात्रवृतियां व् इनाम इत्यादि का वितरण करते ! एक बार वो अपनी भैंसों को पानी पिलाने ले गए तो उन्होंने देखा की एक भैंस अपनी साथी भैंसों के साथ लड़ रही है , उन्होंने घर आकर कहा की इस भैंस का दूध बच्चों को न पिलाया जाय , अन्यथा बच्चे आपस में लड़ने लगेंगे ! वह चरित्र निर्माण की और बहुत ध्यान देते, उन्होंने समाज में लड़कियों की शिक्षा की वकालत भी की और स्वयं की लड़कियों को पढने के लिए स्कूल भेजा , जो कालांतर में स्नातकोत्तर तक पहुंची !
अपने पिता से प्ररेणा लेकर धर्म प्रकाश जी ने अपने भाइयों ॐ प्रकश , सत प्रकाश, वेद प्रकश जी के साथ मिलकर सन २००० में स्कूल की स्थापना की जिसका उधेश्य न केवल किताबी ज्ञान देना, अपितु खेलों और अन्य किर्या कलापों में भी नाम अर्जित कर देश को बेहतर स्वस्थ , शिक्षित नागरिक देना है ! स्कूल की स्थापना के बाद स्कूल , दिन दूनी रात चौगुनी रफ़्तार से सेवा की और अग्रसर हो गया !
आज स्कूल में सभी सुविधाओं जिनमे विज्ञानं के विषयों के लिए प्रयोग शालाएं, हवादार कमरे, कंप्यूटर रूम, आधुनिक कक्ष, हॉस्टल , मेडिकल सुविधाएँ, खेलों के लिए स्कूल में और क्रिकेट के लिए अकादमी , जुडो व् कुश्ती के लिए हाल , बोक्सिंग के लिए रिंग, लान टेनिस , बास्केट बाल कोर्ट , हैण्ड बाल व् वोलीबाल मैदान, इसी प्रकार कबड्डी, खोखो , अथलेटिक्स इत्यादि के लिए पृथक मैदान की व्यस्था है !
मैंने प्रताप स्कूल की डेरी देखने की इच्छा व्यक्त की , वहां देखा की एक बड़े खुले , हवादार स्थान पर डेरी बनाई गई है, जिसमे खुले शेड, पंखे , पानी के छिडकाव, हरे चारे, दवाइयाँ इत्यादि का उचित प्रबंध था, सभी गाय और भैंसे बेहद खुश और संतुष्ट लग रही थी , इन गाय भैंसों का दूध और दूध से बनी अन्य चीज़ें वास्तव में ही बच्चों में बहुत अच्छा असर पैदा करेंगी , डेरी का रखरखाव सतप्रकाश जी करते है, उन्होंने बताया की उनकी कटिया पिछली बार डिस्ट्रिक्ट में प्रथम घोषित की गई थी ! उन्ह्होने बताया की सभी गाय भैंसों की उचित देखभाल , खान -पान, और चिकत्सा की व्यस्था की गई है, तबेले में पंखे है जिनके साथ वाटर स्प्रिंकलर हैं जो गर्मी में भैंसों को आराम देते हैं, साथ ही बिजली जाने पर भैंसों के लिए जनरेटर से लाइट की व्यस्था है ! साथ ही उन्होंने हमें फार्म हाउस दिखाया जिसमे फल एवं सब्जियां उगाई जा रही थी ! स्कूल के बच्चों को ठीक दूध- घी, सब्जियां , फल मिले इस उद्येश को पूरा करता हुआ यह डेरी फार्म हाउस अपने आप में किसी भी स्कूल हॉस्टल से बेहतर लगा, यां यूँ कहें की प्रताप स्कूल ने हॉस्टल सुविधा को नई परिभाषा दे दी है !
जब डेरी से वापस आ रहे थे तब प्रताप स्कूल की क्रिकेट अकादमी भी देखी , बच्चे मैदान में क्रिकेट का अभ्यास कर रहे थे, क्रिकेट देश का सबसे ज्यादा प्रचलित खेल भला इसमें क्यों पीछे रहें , साथ ही कुछ बच्चे दौड़, बोली बाल, फ़ुटबाल, लम्बी कूद, गोला फ़ेंक का अभ्यास कर रहे थे , सभी खिलाडियों के पास प्रशिक्षित NIOS कोच थे ये जानकार बड़ी प्रसन्नता हुई की प्रताप स्कूल ने किसी भी खेल में खिलाडियों को विधिवित शिक्षा देने में कोई कसर न रख छोड़ी है !
वापस आ कर प्रिंसिपल साहब के साथ स्कूल को देखा, हालाँकि स्कूल बंद हो चूका था लेकिन ताले खोले गए, एक एक कर , भौतिकी, रसायन, जीव विज्ञानं, कंप्यूटर की प्रयोग शालाएं देखी, स्वच्छ हवादार , आधुनिक कमरे, हाल, टॉयलेट सब कुछ परफेक्ट ! निस्संदेह स्कूल प्रिंसिपल साहब का अपने पिताजी के सपनो को साकार करने का माध्यम बन गया है !
खेलकूद के अभ्यास शुरू हो गए थे, अतः मैंने उन्हें देखने का निर्णय लिए और मैदान में आ गया स्कूल के बहार पार्क में बच्चे वुशु का अभ्यास कर रहे थे , हालाँकि ये हिन्दुस्तान के लिए एक नया खेल है लेकिन स्कूल ने इस खेल की राष्ट्रिय प्रतियोगिता का आयोजन भी कराया हुआ है ! इसी प्रकार बोक्सिंग और जुडो के हाल , और अभ्यास देखा ! अन्तः में मास्टर चन्दगी राम कुश्ती हाल की और बढ़ा , बच्चे दौड़ के बाद गुरु और कोच का आशीर्वाद ले मेट पर पहुंचे , वहां वार्म अप किया , फिर मेट प्रक्टिस , प्रशिक्षित कोच अभ्यास करा रहे थे , इसी प्रकार गयम करते और रस्सा चढ़ते बच्चों को देखा ! प्रताप स्कूल के पहलवानों, गुरु , कोच , और प्रिंसिपल साहब के आशीर्वाद ने पहलवानी जगत में प्रताप स्कूल का एक अच्छा रूतबा कयाम किया है, जिसे मैंने अपनी आँखों से देखकर पुष्टि की ! पहलवानों को अंतराष्ट्रीय अस्तर पर मैडल लाने के लिए अभ्यास कराया जा रहा है !
अभ्यास ख़त्म होने के बाद , जलपान की व्यस्था थी , डेरी से आये दूध , और मिठाई के साथ कुछ समय तक , खेल विभाग के अध्यक्ष , कोच और प्रिंसिपल साहब के साथ समकालीन खेल और कुश्ती विषय पर चर्चा की ! रात गहराने लगी तो हमने प्रिंसिपल साहब और सभी विद्वान् कोच महानुभाओं से विदा ली, वापसी में ठंडी - हवा और बारिश के झोंके प्रताप स्कूल से मुलाकात की यादों को और मीठा बना रहे थे !
ENGLISH VERSION:
Haryana produces some of the best wrestlers in India and many times I had seen wrestlers from the Pratap School in Kharkhoda competing in dangals. I wanted to see the school that produces such a superior sportsmen, and a friend of mine, Suraj Pahlwan, put me in touch with the Senior Sports Coach of the school, who invited me to come and visit.
The school is approx 40 kms from Delhi and it was pleasant drive. As I left the city, the air became cleaner and the landscape changed from tightly packed buildings to farms with lush greens crops.
When I reached Khakhoda, I was welcomes by the school principal, Mr. Dharm Parkash Dahiya , a calm, confident and determined person. He told us that his father, Prataap Singh ji, was a social worker and a teacher. He wanted people of his area to be educated, self reliant and responsible citizens. He also believed that children of his area should be physically fit as well as mentally fit. He used to take his sons to a wrestling school everyday. And he made sure his daughters were educated.
Dharm Prakash and his three brothers: Sat Prakash, Ved Prakash and Om Prakash decided to put his fathers dream into reality. They sold their ancestral properties, and put their savings and contributions from relatives and friends into a school with all the facilities their father dreamed off. In 2000 the school’s foundation stone was laid. And since then there was no turning back. The dedication and determination of the founders along with the management of school, teachers, coaches, and the students and parents has become a model for the whole nation. The school has brought countless laurels in every field be it sports, education, cultural activities.
The school has plenty of facilities, good class rooms, science labs, library, hostel, kitchen, playground, gym, wrestling room, judo hall, tennis hall, cricket grounds. Remarkably the school has its own cows for milk and a farm for vegetables.
Dharmprakash ji told me that when the dormitories opened they received complaints about the inferior quality of milk, vegetables and other food which plays a vital role in the development of a healthy body. They decided to establish their own dairy and farmhouse separately so that they could provide better quality food for the students.
I saw more than 400 cows and buffaloes at the dairy. All the animals were healthy as well. I was told that that a veterinarian visits every fortnight to check on them. The caretaker, Om Prakash ji, told me that they also breed livestock and one calf was awarded the best in the district.
Such advanced facilities explain why Haryana is so far ahead in sports compared to other states of the country.
I then went to the judo hall where I saw an NIOS coach teaching his students. I was told that the players bought medals at national level, and recently a CBSE judo competition was held there. Outside, some of the students were playing basketball and volleyball. There was also a big boxing ring where boxers were sparring.
Then the wrestling practice began. There were more than 100 wrestlers who came into the hall seeking blessings from the coaches and gurus. They warmed up and climbed ropes and then they drilled some wrestling moves.
I was offered badam milk, followed by ghever specially made by the school dairy. I sat down with the school principle had he told me that the message they try to give to students is that any of them can be a top student, or star athlete as long as they work hard. He also told me that there is planning for a girls school in the future.
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