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Mar 31, 2012

Raja ki Dhani Dangal

By Deepak Ansuia Prasad



दिल्ली से कुछ ही दूरी पर हरयाणा के पास एक क़स्बा पंचगांवां है जिसे राजा की ढाणी के नाम से जाना जाता है ! इसके आस पास तावडू, बिलासपुर, मानेसर आदि गाँव है ! यहाँ पर हनुमान जी का एक अति प्राचीन मंदिर है! प्रतिवर्ष इस मंदिर परिसर में होली के बाद, आने वाले मंगलवार को एक मेला लगता है , जिसमे दूर दूर से गाँव के लोग आते है , और मेले का आनंद लेते है! मेले में पूजा अर्चना, भंडारा , और बाज़ार सजते है जिसमे गाँव के लोग अपनी जरूरतों का सामान खरीदते हैं! मेले में, बच्चे , बूढ़े , स्त्री पुरुष तरह -२ पकवान, खाने के सामान , आइस क्रीम इत्यादि का आनंद लेते हैं! इस मेले का ख़ास आकर्षण है कुश्ती दंगल ! हर वर्ष की भाँती इस वर्ष भी होली के बाद आने वाले मंगल वार को यह मेला लगा ! दंगल में दूर दूर से पहलवान पहुंचे ! चूँकि यह अति प्राचीन परंपरा है इसलिए पहलवान यहाँ अपने आप पहुँच जाते है ! कुश्ती शुरू होने पर लोग इनाम की राशी तय करते हैं , और कुश्ती के साथ इनाम की राशी भी बढती रहती है, जितना अच्छा पहलवान उतनी ज्यादा इनाम की राशी ! सूरज पहलवान ने मुझे दंगल के लिए निमंतरण दिया, उनका आभारी हूँ, वहां पहुँच कर गाँव की मिटटी की सोंधी खुशबू का अहसास हुआ, फिर मंदिर में पूजा की और प्रसाद के रूप में पूड़ी और आलू की सब्जी भरपेट खाई ऐसा आनंद विरले ही मिला करता है , दंगल समिति से परिचय के बाद कुश्ती के सेवा में लगनशील हो गया ! दंगल की पहली कुश्ती गोटी पहलवान गुरु हनुमान और परवीन गुरु सतपाल के बीच लड़ी गई ! कुश्ती लगभग आधा घंटे तक चली , जिसमे गोटी का प्रतिद्वंदी भारी लगता जान पड़ता, पर गोटी ने उसके हर दांव का खूबसरती से बचाव किया जो देखने लायक था , कुश्ती के अंत में बिजली की फूर्ती दिखा गोटी ने अपने प्रतिद्वंदी को धक्का दिया और सखी लगा परवीन को चित्त कर कुश्ती को अपने पक्ष में किया ! राजिंदर पहलवान भी लम्बे अरसे से कुश्ती लड़ रहे हैं, उन्होंने उलटी मार कर अपने प्रतिद्वंदी को चरों खाने चित्त किया , यह कुश्ती भी देखने लायक थी ! बिपनिया ने भी एक अच्छी कुश्ती जीती, इसी प्रकार एक पुराने पहलवान ने दो जवान पहवानो को हरा खूब वाह वही बटोरी ! बिलास पुर के एक अछे पहलवान ने एक नामी पहलवान बिहारी पहलवान को चित्त किया और अपने गाँव का नाम रोशन किया ! गुरु श्याम लाल अखाड़े के पहलवान मोगली ने दो कुश्ती लड़ी जिसमे एक बराबर और एक जीत में तब्दील हुई ! छारा के वीरेंदर की कुश्ती एक अछे पहलवान के साथ हुई ! जिसमे वीरेंदर ने बड़ी खूबसूरती के साथ अपने प्रतिद्वंदी को चित्त कर इनाम पाया !

आज समाचार पत्रों , टी. वी. चैनलों आर राहुल द्रविड़ के रिटायर होने पर सम्मान की ख़बरें छाई रही
मुझे राहुल द्रविड़ से कोई परहेज या शिकायत नहीं, पर

मुझे तो हिन्दुस्तान के, अपने प्राचीन खील कुश्ती का ध्यान आया,

नित दिन मुझे कई पहलवान मुझसे कहते हैं, ( हम तो अब छोड़ रहे हैं , पहलवान जी, कुछ न मिला, अपने बच्चों को पढाओ " )

बड़ा दुःख होता है, पहलवानों चाहें ज्वाइन करें , खेलें या रिटायर हों, सुध लेने वाला कोई नहीं, हाँ जी अपवाद स्वरुप , मुझ जैसा तुच्छ प्राणी हिंदुस्तान भर में घुमने का शौक लिए , पहलवानी की शानदार परम्परा को शिखर तक पहुंचाने के लिए कुछ न कुछ जरूर करता रहेगा ! imposible is nothing

अंग्रेजों ने क्रिकेट खेल को जबरदस्ती सिखाया, जिसका हमारे क्रन्तिकारी शहीदों जैसे भगत सिंह , राजगुरु , सुखदेव ने बहिस्कार भी किया, "आज़ाद" बड़े कुश्ती प्रेमी , और स्वयं पहलवान थे जिनसे अंग्रेज बड़ा घबराते , महात्मा गाँधी ने अपनी जीवनी लिखा है की क्रिकेट को कॉलेज में लाजिमी ( अनिवार्य ) कर दिया गया था, क्योंकि अंग्रेज चाहते थे की भारतीय जनता केवल उनके क्लर्क का ही कार्य करे, और बाकी समय बर्बाद करे, और लड़ने की तो हिम्मत न करे,

उन बीरों के देश में ये सब हो रहा है एक क्रिकेटर रिटायर हो रहा है तो देश का सारा मीडिया उसकी न्यूज़ देने में बिजी हो गया है , ..फायेदे का सौदा समझ इन चैनलों ने लोभ लालच में क्रिकेट के अलावा किसी भी खेल को ज्यादा तवज्जो नहीं दी.. आज के न्यूज़ पेपर, और टीवी चैनल खोल कर देखिये , ये इस बात का प्रमाण है, ..और यही वजह है की ओलंपिक जैसे खेलों में हमारी नगण्य स्थिति है,

और कुश्ती के लिए सरकारी रवये का एक उदाहरण देखिये , इंदौर में पिछले महीने "रुस्तमे जहाँ " दंगल कैंसल कर दिया गया, वजह पाकिस्तानी पहलवानों का वहां खेलना , जब पकिस्तान की अधनंगी औरत अपने नेशनल चैनल पर आ सकती है, जब पाकिस्तानी कलाकार कॉमेडी चनेलों पर महीनो दिख सकते हैं, जब पाकिस्तानी गाये गायक आये दिन हिन्दुस्तान में कहीं न कहीं शो करते रहते हैं , तो क्या साफ सुथरे खेल कुश्ती खेलने चाँद पाकिस्तानी पहलवान हिन्दुस्तान नहीं आ सकते , बड़ी शर्मनाक ऐतिहासिक घटना है, जिसका मई निंदा करता हूँ,

किरपा आप लोग अपने देसी खेलों के प्रति भी जानकारी बढ़ाएं, उन्हें खेलें, उन खिलाडियों का सहयोग करें, और उत्साहवर्धन करें, अन्यथा हमारी ये शानदार परम्पराएं लुप्त हो जायेंगी
थैंक्स
दीपक अनुसूया



ENGLISH VERSION



Every year in Haryana, the village of Panchgavan, also known as “Raja ki Dhani” or fields of a king, holds a great fair to celebrate Holi. People from all over come to pray at the ancient Lord Hanuman temple in the village. A bhandara, or community kitchen, is set up near the temple and people eat traditional puri and aalo ki sabji – all for free, of course. Children buy sweets and toys, while women shop for cosmetics and other things. It’s all great fun.

The main attraction is the traditional wrestling competition. Suraj Pahalwan, who also makes and sells the traditional Indian wrestling trunks, kindly invited me, and I had a great time at the fair and watching the wrestling. Wrestlers have been coming here to wrestle in this festival for hundreds of years, said village resident Rao Dharmpal Yadav. There’s no need for invitations because everybody in wrestling fraternity knows about the competition.

The prize money is decided once the wrestling starts. People start coming to the committee during the wrestling match and keep increasing the prize money, so the best wrestlers get the biggest prizes. It’s a very good idea because it encourages the wrestlers to be very aggressive and wrestle an exciting match. It also means that a wrestler who is not competing for a title may get more prize money than a wrestler in a title match. It all depends on how much the crowd is enjoying the show.

The kids’ bouts went on for a long time. There were so many young wrestlers who came out to compete.

In the juniors division, Moughli of Guru Shyamlal Akhara wrestled two matches. He won one of them but the other was a draw.

The first-prize bout was between Goti and a wrestler named Parveen from Guru Satpal Akhara, Chatrasaal Stadium. Parveen is a great freestyle wrestler and has competed at many international tournaments. Goti is a famous pahalwan on the traditional wrestling circuit, so it was a great bout -- a clash of wrestling styles. If this had been mat wrestling, Parveen surely would have won on points, but in traditional wrestling, there are no points and endurance decides the winner. The match went on until the sun started to set. As darkness descended, Goti charged his opponent and pinned him with a technique called sakhi. It was an astonishing win and the crowd went wild. Goti collected a prize of 51000/- for his victory.

Another great match was between Rajinder Pahalwan, a veteran wrestler of Guru Jasram Akhara and a wrestler half his age. Everyone expected the younger wrestler to beat the old man, but amazingly, Rajinder took him down and pinned him. It was a really inspiring display and shows that you’re never too old to wrestle!



















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Punjab Wrestler Jagroop Lifts Moori Dangal Title

Early Times Report

JAMMU, Mar 26: Pahalwan Jagroop of Amritsar in Punjab lifts the 57th Annual Moori Kesari title defeating Pahalwan Phalla of Himachal Pradesh in an interesting bout that lasted for 27 minutes at Middle School Moori in district Reasi.

Pahalwan Jagroop was awarded Rs 12,000 cash prize by chief guest, Superintendent of Police Katra, Mohan Lal, who distributed prizes among the winners. Runners-up, Phalla of HP got Rs 10,000 prize. Member J&K State Sports Council and president of J&K Indian Style Wrestling Association, Shiv Kumar Sharma presided.

Rakesh Wazir and Virender Kumar Sharma were the guests of honour. Among others present were Papu Lakri, Kuldeep Magotra, Krishan Singh, Sudesh kumar, Pandit Jagdish Kumar and Romesh Chander, SHO Jhajjar Kotli TS Jamwal.

This day-long dangal was organized by Moori Peer Baba Dangal Committee under the aegis of J&K Indian Style Wrestling Association. In all, 44 bouts were played in the dangal. The second main bout went to Her Nek Singh of Jallandhar, who beat wrestler Sabba of Amritsar. In third main bout, Sukha of Rajasthan emerged winner beating Kamaljot of Khanna. Fourth bout went to Bobari of Jammu after he outplayed Bhola of Khanna.

Another main bout between Kalu of Jammu and Kaka of Amritsar ended in draw. All the winners and runners-up of these bouts were given away handsome cash prizes.Moori Dangal Committee members and technical officials who helped for conduct of this vishal dangal included Badri Nath, Sarpanch Romesh Chander, Om Parkash, Mohan Singh, Sukhdev Sharma, Bodh Raj, Parshotam Sharma, Birbal Sharma, Rajinder Kumar, Vijay Singh (Biju), Mohd. Fareed, Raj Singh, Pappu Lakri, P.R Sharma, Virender Kumar Sharma and Ustad Krishan Lal Sharma.

Other Results: Murad Ali of Jammu beat Sarvan of Rajasthan, Johny of Pathankote beat Kuldip of Ladda, Amir Khan of Jammu beat Kaka of Jindrah, Rajinder Fouzi of Udhampur beat Sonu of Jammu, Bushan of Jammu beat Veer Singh of Reasi, Subbu of H.P beat Bagga of Kot Balwal, Atter Din of Jammu beat Munna, Liakat Ali of Panthal beat Kuldip Singh of Ramnagar and Jamit of Nargada beat Ali of Power House Udhamour.

J&K Wrestler Selection Trials on April 2

The J&K Indian Style Wrestling Association will conduct the selection trials of wrestlers at the Dewan Mandir Akhara, Jammu, on April 2 for the 46th Senior National Indian Style Wrestling Championship and the Hind Kesari title for men.

The championship will be held from April 19 to April 22.

DADA KATHAN AKHARA

Kushti In Haveri

Kushti News from Sangali

From Adityaraj Ghorapade, Lokmat Sangali

Mar 24, 2012

Rampur Kasna Dangal

By Deepak Ansuia Prasad



भीम पहलवान की याद में , उनके पैत्रिक गाँव रामपुर कासना में , उनकी स्मृति में दंगल आयोजित किया गया ! यह सोलहवां दंगल था ! हमेशा की तरह कुश्ती प्रेमी, पहलवान , दर्शक गण दूर दूर से दंगल में शिरकत करने पहुंचे ! भीम पहलवान अपने समय के महान पहलवान थे , उनकी गिनती उच्च कोटि के पहलवानों में की जाती है , अपने समय में ऐसा कोई भी बड़ा पहलवान न हुआ जिसने उनकी कला और शक्ति का लोहा न देखा हो ! देश विदेशों में उन्होंने अनगिनत कुश्तिया लड़ी और विजय पाई , मैट के कुशल खिलाडी , और दंगल के योद्धा भीम पहलवान की स्मृति में यह सोलहवां दंगल उनके गाँव की दंगल कमेटी ने सुचारू रूप से संपन्न किया ! भीम पहलवान ने एक लम्बे अरसे तक पहलवानी करते रहे ! १९६६ में तत्कालीन रास्ट्रपति डाक्टर राजेंदर पर्साद जी द्वारा उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया ! १०९६०-७० के बीच १० साल तक भीम पहलवान राष्ट्रिय चैम्पियन रहे ! १९६२-६८ तक ४ साल तक वह राष्ट्रिय हैवी वैट चैम्पियन भी रहे ! १९६२ के चौथे एशियन खेलों में उन्हें रजत पदक मिला ! १९६३ में वह रसिया गए , जहाँ उन्होंने अनेक नामी अंतरास्तीय पहलवानों के साथ कुश्तिया लड़ी , वहां उन्हें चौथा स्थान प्राप्त हुआ ! इसी प्रकार इरान में उन्हें १९६४-६५ में कांस्य पदक प्राप्त हुआ ! १९६५ में वह कनाडा भी गए और उन्हें वहां बेस्ट खिलाडी और पहलवान की पदवी दी गई ! १९६६ में उन्होंने पांचवे एशियन खेलों में भाग लिए और चौथे स्थान पर रहे ! १९६७ में दिल्ली में आयोजित अंतर्रास्तीय कुश्ती प्रतियोगिता में वह फ़ाइनल तक पहुंचे और रूस के विश्व चैम्पियन पहलवान , अलेक्सेंडर से हारे ! १९६५-६६ में उन्हें कुंवर जसवंत ट्राफी से नवाजा गया ! और सर्व स्रेस्थ खिलाडी के सम्मान से नवाजा गया ! १९७० में वह मंगोलिया गए और वहां कुश्ती की अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में भाग लिया ! उन्होंने १९७० के छठे एशियन खेलों में भी भाग लिया ! इस प्रकार लम्बे समय तक कुश्ती से जुड़े रहे और १९७२ में उन्हें भारतीय स्पोर्ट्स कमेटी का सदस्य बनाया गया ! भीम पहलवान के समय और उनसे पुराने पहलवान उनका गुणगान करते नहीं थकते उन्होंने कुश्ती कला को बहुत ऊँचे स्थान तक पहुँचाया जिसका सब आभार मानते है !
इस बार दंगल में , बाल पहलवानों की कुश्तियां छोड़ बाकी कुश्तिया पहले से बंधी गयी थी ताकि कुश्तियां बाँधने में दिक्कत न हो , क्योंकि पिचली बार पहलवानों के हाथ मिलाने में काफी दिक्कत का सामना हुआ था .
दंगल में ६० से ऊपर कुश्तिया बंधी थी , बच्चों की कुश्तिया 51 /- से लेकर ३१००/- तक थी , फिर ५१००/-,७१००/- ११०००/- से होकर आखिरी कुश्ती ५१०००/- पर तय की गई थी !
दंगल में अंतर्राष्टीय कोच धर्मबीर, अशोक पहलवान व् भीम पहलवान के भतीजे किरण पाल जी व् श्याम पहलवान ने रेफेर्शिप का कार्य किया !
दंगल में भीम पहलवान के पोते दीपेश, व् ललित पहलवान, भूपेंदर पहलवान ने बहुत अच्छा पर्दर्शन किया और कुश्ती में विजय हासिल की ! इस प्रकार राजेश भाटी , जगबीर पहलवान की कुश्तिया भी देखने लायक थी ! दंगल की पहली कुश्ती सेना के मोहित उर्फ़ बल्लू पहलवान और रेलवे के वरुण पहलवान के बीच लड़ी गई , देर शाम तक चली कुश्ती में फैसला वरुण पहलवान के पक्ष में रहा और उन्हें ५१०००/- का इनाम दिया गया ! किरण पाल पहलवान जो की दंगल कमेटी के प्रमुख सद्स्स्य है ने दंगल ख़तम होने पर मुझे खान पान के लिए आमंत्रित किया लेकिन अँधेरा हो चूका था अतः मैंने उनसे क्षमा ली और धन्यवाद देकर वापस देल्ली की तरफ लौटा !


ENGLISH VERSION:



Bheem Pahalwan was one of the greatest wrestlers of modern India. In 1966, the president of India presented him with the coveted Arjuna Award for his great contributions to the sport and the country.
Bheem Pahalwan brought great honor to India throughout his long career. He wrestled in 10 consecutive national level games from 1960-1970 and was Indian heavyweight champion for 4 straight years from 1962 to 1968. He represented India at the Asian Games in 1962, 1966 and 1970 and wrestled in lots of other competitions all over the world – from Canada to Mongolia.
Though Bheem Pahalwan is gone, his memory survives and he is honored every year with a great wrestling tournament in Greater Noida’s village Rampur Kasna.
This year was the 16th competition.
Ashok Pahalwan from Railway Akhara and Coach Dharmbeer Pahalwan of Satpal Akhara were the referees along with Kiranpal Pahalwan. The announcers were Charan Singh Pahalwan and Ashok Pahalwan.
More than 60 matches were wrestled, the prize was from 50/- for kids and went on increasing from there to 101/-, 250/-, 501/- 1000/-, 2500/- , 5100/-, 7100/- 11000/- 21000/- and 51000/-.

Match Notes:
Danish of Guru Jasram Akhara
Danish was up against a very tough wrestler from Guru Bishambhar Akhara. The wrestler dominated Danish throughout the bout, but in Indian wrestling, the only thing that matters is the pin and Danish was able to stay off his back the duration of the match. Finally, the referee called time and declared the match a draw.

Deepesh Pahalwan
Bheem Pahalwan’s grandson Deepesh is a powerful wrestler who took down his opponent easily, claiming victory with a pin.

Mohit Pahalwan, Armed Forces Vs. Varun Pahalwan, Railway Akhara
The first-prize match was between two international wrestlers. The match went on until the light faded and it was hard to see who had the upper hand. In the end, Varun won the match by fall.

Rajesh Bhati from Guru Hanuman Akhara
Rajesh Bhati is a very good wrestler from Guru Hanuman Akhara. He was up against another wrestler who had just won a spectacular match a few days before so there was a lot of anticipation to see these two wrestle. But they were so evenly matched that the bout went on for a very long time and in the end it was declared a draw.

Bhupender Pahalwan
Bhupender Pahalwan is a disciple of Guru Jasram. He is a fantastic wrestler and lightning fast. It’s common for him to pin his opponent in just a couple of minutes.

Anni Pahalwan
Anni Pahalwan from Guru Shyamlal Akhara continued his winning streak with another pin.

Lalit Pahalwan of Guru Jasram
Lalit pinned his opponent using an impressive desi technique called “nikal”.

Neha of Guru Rajkumar Goswami
The village of Rampur welcomes women wrestlers. Neha, a disciple of Rajkumar Goswami easily pinned another girl.



















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