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Allahabad : नागपंचमी महज एक फेस्टिवल नहीं है. यह यंगस्टर्स को उनके फिजिकल फिटनेस और फाइटिंग स्पिरिट शो करने का एक जरिया भी है. इस त्योहार पर शहर के अखाड़ों में ऑर्गनाइज होने वाले दंगल इसका जीता-जागता एग्जाम्पल है. पिछले कई सालों से ये अखाड़े गंगा-जमुनी तहजीब वाले इस शहर की अनोखी परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं. जहां नागपंचमी के दिन इलाहाबाद ही नहीं, आसपास के शहरों से आए पहलवान कुश्ती के दांवपेंच दिखाकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं.
दिखता है अजीब सा जुनून
शहर के ऐतिहासिक एरिया लोकनाथ चौराहे स्थित लोकनाथ व्यायामशाला में संडे को एक अजीब सा जुनून देखने को मिला. दूर-दराज से आए पचास से अधिक पहलवानों ने यहां ऑर्गनाइज दंगल में अपने टैलेंट का बखूबी परिचय दिया. अखाड़े में अपने प्रतिद्वंद्वी को हराने के उनके जोश और जुनून के सामने सैकड़ों की संख्या में मौजूद दर्शक भी बाग-बाग हो गए. बजरंगबली की आराधना के बाद शुरू हुआ दंगल पांच घंटे तक चला. देश की आजादी के बाद से इस अखाड़े में साल दर साल नागपंचमी के दिन दंगल का आयोजन एक परंपरा के रूप में किया जाता रहा है. सबसे बड़ी बात यह कि इस दंगल में कोई विनर या लूजर नहीं होता, केवल इंटरटेनमेंट और यंगस्टर्स को कुश्ती के प्रति इंटरैक्ट करने के लिए इस तरह का आयोजन किया जाता है.
परंपरा को निभाने में इनका कोई सानी नहीं
फेस्टिवल पर दंगल के आयोजन की जिम्मेदारी लोकनाथ व्यायामशाला की वर्किंग कमेटी के कंधों पर होती है. यंगस्टर्स को एक्सरसाइज के लिए इक्विपमेंट्स प्रोवाइड कराना और फिर उन्हें कुश्ती के दांवपेंच सिखाने की रिस्पांसिबिलिटी ये मेंबर्स बखूबी निभाते हैं. शुरुआत में इस व्यायामशाला में एक्सरसाइज के केवल देसी इक्विपमेंट्स थे लेकिन वक्त की नजाकत को देखते हुए आधुनिक इक्विपमेंट्स भी मेंबर्स ने आपस में चंदा करके परचेज किया. रीजन सिर्फ इतना था कि साल दर साल इस परंपरा का हिस्सा बनने वाले पहलवानों को तैयार किया जा सके.
जुड़ी हैं कई यादें
कुछ साल पहले तक शहर में कई अखाड़ों में इस परंपरा का निर्वाह किया जाता था लेकिन अब इनकी संख्या घटकर चार से पांच रह गई है. इनमें सबसे बड़ा लोकनाथ व्यायामशाला है. वर्तमान में इसे डिस्ट्रिक्ट का सबसे बड़ा अखाड़ा कहलाने का गौरव प्राप्त है. जाने-माने समाजसेवी छुन्नन गुरू इसके फाउंडर थे और डिस्ट्रिक्ट चैंपियन का ताज हासिल करने वाले भोला पहलवान ने इस अखाड़े को नई पहचान दी थी. पचास साल बीतने के बाद भी अखाड़े का रुतबा उसी तरह से कायम है, जैसे पहले हुआ करता था. शेरे हिंद दारा सिंह, चंदगी राम, गामा पहलवान, मोती पहलवान, हरिशंकर बाबा अयोध्या वाले जैसे नामचीन पहलवान इस अखाड़े में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं.
नागपंचमी पर ही क्यों होता है आयोजन
यह अपने आप में बड़ा सवाल है कि नागपंचमी के दिन ही आखिर बड़े पैमाने पर दंगल का आयोजन क्यों किया जाता है. इसके जवाब में व्यायामशाला के मेंबर्स कहते हैं कि ऐसी मान्यता है कि इस फेस्टिवल को स्पोट्र्स से जोड़कर देखा जाता है. पहले गांव में यह परंपरा थी लेकिन बाद में इसे शहरों ने एडॉप्ट कर लिया. साल भर तैयारी करने के बाद यंगस्टर्स इस दिन अपने टैलेंट का प्रदर्शन करते हैं. अच्छा प्रदर्शन करने वाले पहलवान को इंटर डिस्ट्रिक्ट या स्टेट चैंपियनशिप में भेजा जाता है. इस परंपरा के जरिए यंगस्टर्स को स्वस्थ, आत्मनिर्भर और मजबूत बनाने का संदेश दिया जाता है. ऐसा करके वह देश का एक अच्छा नागरिक बनने की मिसाल देते हैं. संडे को दंगल के दौरान एयरफोर्स के जवानों ने भी कुश्ती में पार्टिसिपेट कर सबका इंटरटेनमेंट किया.
वेटलिफ्टिंग में इन्होंने मारी बाजी
दंगल से पहले लोकनाथ व्यायामशाला में वेट लिफ्टिंग कॉम्पिटिशन ऑर्गनाइज किया गया, जिसमें 110 किग्रा भार उठाकर शुभम श्रीवास्तव फस्र्ट, 90 किग्रा भार उठाकर रवि सक्सेना सेकंड और 80 किग्रा के साथ उदय नारायण थर्ड प्लेस पर रहे. योग क्रिया के दौरान दुर्लभ आसनों का प्रदर्शन कर गोपाल यादव ने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा. दंगल के दौरान झूंसी, नैनी, कल्याणी देवी आदि इलाकों के अखाड़ों से आए पहलवानों ने पार्टिसिपेट किया. प्रोग्राम के अंत में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व व्यायामशाला के संरक्षक केसरी नाथ त्रिपाठी ने पहलवानों को 2100 रुपए का नगद पुरस्कार दिए.
दंगल के बाद हुआ सम्मान
मोरी दारागंज स्थित प्राचीन रघुनाथदास व्यायामशाला में फेमस प्रकाश पहलवान की अगुवाई में दंगल ऑर्गनाइज हुआ. जिसमें दीपू, डब्लू, ललई, सरदीप यादव, फूलचंद्र, राज बहादुर, गंगा आदि पहलवानों का सम्मान प्रयागराज सेवा समिति के अध्यक्ष धर्मराज पांडेय व सचिव तीर्थराज पांडेय ने किया. इस दौरान फूलचंद्र और डब्लू पहलवान के बीच हुआ मुकाबला काफी रोचक रहा. समिति की ओर से इस ऐतिहासिक व्यायामशाला के जीर्णोद्धार कराए जाने की मांग भी की गई.
आजादी के बाद से लगातार
नागपंचमी के दिन दंगल का आयोजन किया जाता है. इसमें दूर-दराज से आने वाले पहलवान कुश्ती के दांवपेंच दिखाकर अपने शारीरिक सौष्ठव का प्रदर्शन करते हैं. हमारी कोशिश है कि इस परंपरा का भविष्य में भी ऐसे ही निर्वाह किया जाए.
रामजी केसरवानी, मंत्री, लोकनाथ व्यायामशाला
इस परंपरा का उद्देश्य नौजवानों को एक्सरसाइज और संयम के जरिए खुद को बलशाली व सक्षम बनाना है. ताकि, वह दूसरे यंगस्टर्स के लिए इंस्पीरेशन बन सकें. इस तरह से उनको एक सक्षम नागरिक बनाया जाता है, जिससे देश को मजबूत बनाया जा सके.
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