By Deepak Ansuia Prasad
पूरी दुनिया को हिन्दुस्तान की अति प्राचीन कुश्ती कला और उससे जुडी परम्पराओ से रूबरू कराते रहना मेरे लिए सौभाग्य का है. इसी सिलसिले में इस बार छपरौली बागपत में गुरु किशन पाल पहलवान के अखाड़े पर जा पहुंचा। अखाड़े के बड़े से गेट के भीतर जाते ही बाहर के बाजारी माहौल से हटकर पहलवानों की दुनिया में कदम पड जाते हैं. अखाड़े का प्रांगन कवर्ड है , गुरु किशन पाल बताते हैं की कुछ अखाड़े के शिष्यों और कुछ सरकारी मदद से यहाँ पर मैट , और बच्चों के लिए हॉस्टल, किचेन, जिम इत्यादि की अच्छी व्यवस्था है. अखाड़े में अभी १ एक गाय और कई भैंस भी हैं जिनसे पहलवान दूध की जरूरत पूरी करते हैं. अखाड़े में एक सुन्दर घोडा भी है जिसे गुरु किशन पहलवान बड़े शौक से दिखाते हैं.आर्य समाज मंदिर में , गुरु किशन पहलवान इस अखाड़े को अस्सी के शुरूआती दशक से चला रहे हैं. उनके अखाड़े से कभी हिन्द केसरी राजीव तोमर और अर्जुन अवार्डी अनुज चौधरी जैसे पहलवान निकले हैं. अखाड़े में एक आर्य समाज मंदिर है जिसमे हवन पूजन की व्यवस्था है. भवन की दीवार पर अखाड़े के बच्चों के द्वारा लाये गए मेडल्स की एक लम्बी लिस्ट है , जिसे पढने में ही लगभग बीस मिनट लगेंगे। ये लिस्ट अखाड़े के बच्चों द्वारा की गई अटूट लगन और मेहनत की प्रतीक है. अखाड़े पर अभी 150 -60 पहलवान है. जिनमे से कुछ यहीं अखाड़े पर ही रहकर कुश्ती कला का अभ्यास करते हैं जबकि कुछ पहलवान आस पास के क्षेत्रों से प्रतिदिन अभ्यास करने पहुँचते हैं. अखाड़े में बच्चे अंतर्राष्ट्रीय और मिटटी की दोनों कुश्ती प्रतियोगिताओ में भाग लेते हैं . अखाड़े के बच्चों ने अनेकों अनेक पदक लेकर अखाड़े को सम्मान दिया है. अखाड़े में बच्चों का अभ्यास देखना सुखद रहा. पहलवानों ने अखाडा तैयार किया, मिटटी की पल्टी लगाई , फिर उस पर मेढ़ी घुमा कर समतल किया , और धुप लगा कर अखाडा जगाया। अखाड़े की धुप को पहलवानों ने सर माथे लगाया और वार्म - अप शुरू किया उसके बाद पहलवानों ने कुश्ती के दाव पेंच का अभ्यास किया। गुरु किशन पहलवान अखाड़े के पास ही खड़े हो कर पहलवानों को निर्देश रहे. इसी बीच अखाड़े में हो रही मैट प्रैक्टिस को भी देखने का मौका मिला। कोच साहब ने नए नियमो के आधार पर एक बोउट का भी प्रदर्शन कराया। जोरों ( कुश्ती प्रैक्टिस ) के बाद पहलवानों ने शारीरिक व्यायाम किये , देसी व्यायाम सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं इससे शरीर अन्य की अपेक्षा अधिक मजबूत और गठीला हो जाता हैं. जब पहलवान नहाने चल दिए तो हम गुरु किशन के साथ बातचीत पर बैठे , उन्होंने बताया की वो पहलवानी को समर्पित हैं और चाहते है उनके क्षेत्र में पहलवानों के लिए स्टेडियम और अकादमी बने, गुरु जी महिलाओं के कुश्ती में भाग लेने के पक्षधर है बशर्ते उनके लिए पृथक सुविधाएं हों. उनकी इच्छा है ही वे भी महिलाओं के लिए एक हॉस्टल और रेसलिंग स्कूल बनाएं।
ENGLISH VERSION
It has been my privilege to showcase the traditions and culture of Indian kushti akhadas through this website. This time I went to Chaproli, Baghpat, in the state of Uttar Pradesh and visited the akhada of guru Krishan Pahlwan. He is running a very good traditional training center as well as freestyle wrestling school at the Arya Samaj temple complex here. Chaproli is a small town with a market straddling both sides of highway. Somewhere in the middle of the market there is a big door to the Arya Samaj Temple and once we enter we forget the outside world and fine ourselves in the world of the akhada. There were more than 150 wrestlers in their traditional attire called janghia and langot waiting for their guru to come and start the days' kushti training.
We were also welcomed by the wrestlers, who look at us curiously. Meanwhile the Akhada is spaded, leveled and sanctified and the wrestlers started warming up.
The akhada premises looks good. Guru krishan pahlwan says that with the help of local people, his pupils and kushti lovers, he has been able to improve the facilities, and now the akhada has an indoor hostel, kitchen, a mat for freestyle wrestling and even cows for milk and a beautiful horse too.
Renowned wrestler like Hind Kesri Rajiv Tomar, Arjun Awardee Anuj Chowdhry, Shokinder and many others started their wrestling careers here. The akhada wall has a very big list of winners in the district, national and international level winners.
After the practice session was over the wrestlers took to desi exercise and rope climbing. Guru ji arranged some sweets and refreshments for us and talked about current wrestling issues and the rise of Uttar Pradesh in wrestling.
No comments:
Post a Comment