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Jun 17, 2017

KUSHTI WRESTLING: Late Guru Captain Chandroop Memorial Dangal

By Deepak Ansuia Prasad








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वोडाफोन दंगल -
गुरु कैप्टन चांदरूप स्मृति दंगल सौजन्य से सोनू पहलवान व् धर्मेंदर पहलवान अर्जुन अवार्डी ।
"सोनू अपना भाई हैं "धर्मेंदर अपना भाई हैं"
कल रात को मांडोठी दंगल से वापसी में , जीटी रोड पे एक फ्लाईओवर पहले ही नीचे से राइट कट लिया। गाड़ी का रुख झज्जर की तरफ हो लिया था। अँधेरा हो चुका था , बाहर का सूनापन इंजन की चटर पटर में भंग होता रहा , गाडी सरपट दौड़ती रही । जहाँ तक धरती आसमान मिलते दीखते हैं , वहां तक खेत ही खेत दिखाई पड़ते । कुछ जुते हुए , कुछ में फसल खड़ी , पास आकर दूर होते दरख्तों की कतारों में कभी कभार एक पेट्रोल पंप , या कोई मकान सर्र से निकल जाता। डालों पर पंछी भी सो गए मालूम पड़ते। जब देर तक कुछ भी परिचित न लगा, तो आशंका हुई। सोचा पूछ लिया जाय। दूर एक ढाबे की रौशनी मिली। ब्रेक पैडल पे दाब डाली। चरमरा के गाडी ढाबे पे रुकी , शीशा नीचे कर देखा सोलह सत्रह की उम्र का नौजवान दीवान पे बैठा हैं , भाई नजफगड़ दिल्ली ? उससे रास्ता पुछा। कित जावेगा ? अच्छा ! बहादरगढ़ ते मुड़ना था , हडे गलत मुड गया। फिर और सवाल , और सवाल , और जवाब , और जवाब। उसने जो एक बात कही , वो भी दिमाग में है।

" सोनू पहलवान म्हारा भाई हैं " "धर्मेंदर अपना भाई हैं"। और फिर उसने रास्ता बताया। उम्र में बहुत छोटे उस भाई ने कहा " जा चेले सुखी रह " हरयाणा के लोगों के मजाकिया स्वभाव को सब जानते हैं , "ठीक हैं गुरु" मैंने मुस्कुराते हुए कहा और रास्ता नापना शुरू किया। रास्ता क्या बताया खेतों के बीच एक पतली सड़क की और इशारा कर उसने बहुत से मोड़ों का जिक्र कर दिया था। अपने हिन्दुस्तान में तबियत से रास्ता बताते हैं लोग, ऐसा शायद ही किसी और देश में होता हो ? जी करे तो मंजिल पर ही पहुंचा दें। हालाँकि वो मोड़ पहले दो मोड़ों के बाद याद न रहे। फिर तो गांवों , गाँवों रुक रुक कर रास्ता पूछता रहा। और आगे बढ़ता रहा। फिर वापसी बहादुरगढ़ रोड पे आ गया। भूख लग आई। सो खाने का आर्डर दिया। वहीँ कुछ और भाई मिल गए। कैसी घुलाई हुई ? मेरे कानो में आवाज पड़ी तो मैंने बताना शुरू किया। "सोनू अपना भाई हैं "धर्मेंदर अपना भाई हैं" ये शब्द उनकी भी जुबान पे था। और यही उन गाँव वालों ने भी कहे थे , जहां जहाँ मैंने रूककर रास्ता पूछा।
मुझे लगा ये वो ही लोग हैं , हाँ वो ही। जिन्होंने ऐसी भगदड़ मचाई की मेरा कैमरा स्टैंड ( ट्राइपॉड ) उनके पैरों के नीचे कुचला गया। ये लोग सैकड़ों की संख्या में थे। दो लाख इनाम के लिए जस्सा पट्टी और कृष्ण मैदान में आमने सामने थे। कुश्ती की शुरुआत में उनके नामों की घोषणा हो रही थी। पर सुनने की चिंता कौन करे ? पूरे इलाके को उनकी होने वाली कुश्ती की जानकारी पहले ही से थी। अचानक आये तूफ़ान की तरह लोगों का हज्जूम अखाड़े पर टूट पड़ा और अखाड़े को घेर लिया , जिसे जहाँ जगह मिली वहीँ बैठ गया , बाकी पीछे खड़े रह गए। कुछ देर पहले जो अपने कुर्ते की सलवटों में बल नहीं पड़ने दे रहे थे , उन्हें कुर्ते के फट जाने का भी होश न रहा। किसी का बण्डल गिर गया , किसी के चप्पल जूते छूट गए, एक भाई की तो गाड़ी की चाभी ही गिर गई। हाँ ! ये वो ही लोग हैं जिन्होंने हर डिसिप्लिन तोड़ दिया था। हर बंधन तोड़ दिया था। इनका जुर्म था , इन्हे हर हालत में जस्सा पट्टी की कुश्ती देखनी है। चाहे कुछ भी हो जाय ! जिस काम के लिए सुबह से भूख , प्यास छोड़ रखी हैं , धूप घाम बर्दास्त किया हैं, उस काम को आज ये लोग फट्टे लगा के छोड़ेंगे , सिरा करके छोड़ेंगे। पंजाब के दंगलों में थोड़ा फर्क हैं , कुश्ती की शौक़ीन जनता पंजाब में थोड़ा शांत हैं, और अनुशाषित हैं । शांति के साथ कुश्ती देखना का अलग ही मजा हैं। यहाँ पे तो बस कुश्ती देखना ही मकसद हैं , चाहे खुद ही क्यों न अखाड़े में कूदना पड़े। बड़े जोर शोर की आवाजों के बीच , बड़े रोमांच के साथ कुश्ती शुरू हुई। और पूरे बीस मिनट कुश्ती का जो समां बंधा वो वाकई में देखने लायक था। दोनों पहलवानो ने बेहतरीन कुश्ती दिखा कर दर्शकों का दिल जीत लिया। जैसे अच्छे समय के बीत जाने का पता ही नहीं चलता, वैसे ही ये कुश्ती भी कब ख़तम हुई पता ही न चला। लोगों को लगा की शायद कुछ और समय कुश्ती को दिया जाएगा। लेकिन अभी तीन मोटर साइकिल इनाम की कुश्तियां बची थी , और भी बड़े इनामों की और एक आखिरी कुश्ती जोगिन्दर पहलवान और बेनिया जम्मू के बीच होनी थी।

लोग बाग़ शानदार टेंट , और शामियाने के नीचे पड़ी कुर्सियों को त्याग कर ठीक अखाड़े के चारों तरफ इकट्ठा हो गए थे। उन्होंने अखाड़े में मरकरी की रौशनी को पूरा नहीं पहुँचने दिया। ऐसे में चार बढ़िया जोड़ कुश्तियां चली। जिनमे से एक थी भोला पहलवान कैप्टन चांदरूप व् अजय पहलवान लाखुवास के बीच। कुश्ती का समय आठ मिनट रखा गया। शानदार कांटा कुश्ती हुई। अजय ने भोला को नीचे बैठाया तो भोला ने बेहतर दांव लगा खुद को छुड़ाया , पूरी कुश्ती में दांव पर दांव लगे पर फैसला नहीं हुआ। अब कुश्ती को पांच मिनट पॉइंट पे रखा गया जो की अजय को मंजूर न था। खैर जैसे तैसे कुश्ती चली। कुश्ती में अजय ने दांव लगा कर भोला को पटका और कुश्ती मांगी। पर रेफ़री ने कहा की आपको चार पॉइंट मिलेंगे। इस पर कुश्ती में विवाद हो गया।

कुश्ती की कमेंट्री में भाई देवेंदर दलाल ने जी जान लगा दी। वे कुश्ती की बेहतरीन कमेंट्री करते हैं। गुरु रणबीर ढाका , अखाडा मेहरसिंह रोहतक ने उनका साथ दिया। भाई देवेंदर ने बताया की कुश्ती की कमेंट्री की प्रेरणा उन्हें गुरु जी रणबीर ढाका से ही मिली हैं। गुरु रणबीर ढाका जी ने कमेंट्ररी के साथ साथ बढ़िया शेरो शायरी भी की। उन्होंने कहा " चिड़ियों के घोंसलों में कभी बाज नहीं होते , कायर कमजोरों के कभी राज नहीं होते , जिनमे पुरुषार्थ नहीं उनके सर पे कभी ताज नहीं होते " इसके साथ ही उन्होंने ढोल नगाड़ों और आतिशबाजी के बीच हो रहे दान दाताओं के स्वागत में दो शब्द कहे और दर्शकों से उनका परिचय कराया। सोनू पहलवान और उनके भाई अर्जुन अवार्डी धर्मेंदर पहलवान ने सभी मुख्य अतिथियों को पगड़ी और हनुमान जी की बड़ी फोटो भेंट की।
मांडोठी गाँव - भाई देवेंदर दलाल ने उपस्थित लोगों को मांडोठी गाँव के बारे में बताया। मांडोठी पहलवानो के गाँव के नाम से भी जाना जाता हैं। इस गाँव में रेकॉर्ड 31 इंटरनेशनल पहलवान हुए हैं। 7 nis कोच हैं। जिसमे की 27 पहलवान रतन सिंह अखाड़े से हैं जिसमे कुक्कड़ खलीफा हैं। नरेंदर कोच भी यहाँ सिखाते रहे हैं। गाँव में आठ हिन्द केसरी पहलवान हुए हैं। गाँव की आर्यावर्त गौशाला देश की एक बड़ी गौशाला हैं। जिसमे पिछली मकर सक्रांति पे रिकॉर्ड चंदा इकट्ठा हुआ। लाला हरकिशन प्रधान ने इस गौशाला की आधारशिला रखी थी और इस समय योगेश्वर पहलवान इसके प्रधान हैं। इसी गाँव में लखि राम प्रधान निर्विरोध प्रधान चुने गए। व् यहाँ से विधायक भी हुए।


सुशील पहलवान , योगेश्वर पहलवान , आई जी रोहतक श्रीकांत जाधव जी , भाई गुरदीप ब्राह्मणवाला , जयंत वत्स , नितिन गुलिया , करण सेहरावत। सोनी पोचनपुर , सोनू प्रमुख , रणबीर ढाका , रेफ़री - जगबीर कोच , नरेश दाहिया , नरेंदर , हितेन्दर , गिरीश , सतीश और बहुत से गणमान्य लोगों ने दंगल की शोभा बढ़ाई।

दंगल में विश्व विजेता व् ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील पहलवान ने गुरु कैप्टेन चांदरूप को याद किया। साथ ही पहलवानो को गुरु खलीफाओं का सम्मान करने की प्रेरणा दी , व् लगन और मेहनत से पहलवानी करने को कहा। उन्होंने इतने शानदार आयोजन के लिए वोडाफोन व् सोनू पहलवान की भी प्रशंशा की। उन्होंने अपना मान सम्मान गाँव की गौशाला में भेंट कर दिया।

चार ओलंपिक्स खेलने के लिए क्वालीफाई करने वाले एशियाई स्वर्ण पदक और ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त ने भी लोगों को सम्बोधित किया। उन्होंने पहलवानो को कठिन मेहनत की सलाह दी व् अपने से बड़ों और देश से प्रेम करने की सलाह दी। उन्होंने गुरु कैप्टेन चांदरूप को श्रद्धांजलि दी और अपने मान सम्मान की रकम दंगल में आई महिला खिलाडियों को भेंट की।

जोगिन्दर पहलवान ने बेनिया को दो मिनट में चित्त कर वाह वाही लूटी। वहीँ पवन पहलवान ने बढ़िया कुश्ती मारी। सुनील चोटीवाला , छोटू पहलवान ने मोटरसाइकिल जीती। और इस प्रकार दंगल शानदार रूप से संपन्न हुआ।


ENGLISH VERSION


11th June 14, 2017
Vodafone Dangal
Late Guru Captain Chandroop Memorial Dangal, Village Mandothi, Jhajjar, Haryana India.
Organized by Sonu Pahlwan Hind Kesari and Arjuna Awardee Dharmender Dalal.

Sonu Pahlwan and Dharmender Dalal organized a great competition in memory of their late guru, Dronacharya Awardee Guru Captain Chandroop.

1st Prize Match

Jassa Patti of Punjab vs Hind Kesari wrestler Krishan of Haryana
The crowd pushed and shoved to get a glimpse of these two star wrestlers. Jassa attempted many takedowns but Krishan defended well. It was a hot day and both wrestlers were drenched in sweat, preventing either from securing a hold. The match went on for the full 20 minutes after which it was declared a tie.


Motorcycle Prize Match

Ajay of Sohna vs Bhola of Captain Chandroop
Ajay is a heavier wrestler, but Bhola is more experienced. The last time these two met Bhola dominated Ajay. But this time was different. Ajay took control of the match from the start but couldn’t secure a fall against Bhola before the 8 minute time limit ran out. So the match went into overtime. Ajay turned Bhola to his back and appeared to get the pin, but the referees refused to give it to him and instead awarded him 4 points. The match went into dispute.

Wrestlers Sunil Chotiwala, Bhola, Chotu , Pawan won motorcycles as well.

Final Match

Joginder of Guru Captain Chandroop Akhada vs Benia Bean of Jammu and Kashmir.
Joginder overwhelmed Benia and finished him in two minutes. Benia is a great defender but he could not take Joginder’s power and skill.


The comemtrator of the match was Devender Dalal, accompanied by guru Ranbeer Dhaka of Mehar Singh Akhada Rohtak. Devender Pahlwan, who also worked as an announcer during the Commonwealt Games, said he took inspiration from his late guru.

Sonu Pahlwan and his brother Dharmender Dalal welcomed guests, who donated generously for the event. He bestowed the guests with a Pagari, and a big photograph of Hanumanji.

VIP Guests:
Olympic Medalist Sushil Pahlwan, Olympic Medalist Yogeshwar Dutt, IG Rohtak Shrikant Jadav, Gurdeep Brahman wala, Nitin Guli, Jayant Vats, Karan Sehrawat, Sonu Pramukh, Sony Pochanpur, Ranbeer Dhaka, Jagbeer coach, Naresh Dahiya , narender , hitender, Girish, Satish, and many others.

Sonu Pahlwan is a great wrestler and he still competes. He was the first official Bharat Kesari wrestler in Delhi and is a Hind Kesari wrestler. Sonu Pahalwan also runs a great akhada in the main GT road , that goes to Bahadur Garh from Delhi. His Brother Dharmender Dalal helps him run the akhada as well. Dharmender Dalal is an Arjun Awardee wrestler working with Indian Railways.

Mandothi Village is called “Village of Wrestlers”. The village is situated on the main road to Bahadurgarh from Delhi. It has produced 31 international wrestlers. Out of them 27 were from Guru Ratan Singh Akhada. Kukkad Khalifa is running the Akhada now. Narender coach also teaches wrestling in the Akhada. Lala Harkishan started a cow shelter (Go- shala ) here which is the biggest in the area now. Wrestler Yogeshwar Dutt is its current head. The cow shelter received record amount of donation in the time of demonetization as well, during the festival of Makar Sakrtanti in March 2017.



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