ग्रेटर नोयडा के दनकौर गाँव में सैकड़ों वर्षों से वार्षिक मेला लगता है , जो की पुरे सफ्ताह भर चलता है ! मेले में गाँव देहात के पुरुष और स्त्रियाँ अपनी जरूरतों का सम्मान खरीदते है, बच्चे मिठाइयाँ , खिलौने , झूलों इत्यादि का आनंद लेते हैं ! मेले की खासियत है ऐतिहासिक कुश्ती दंगल ! दनकौर में हिन्दुस्तान भर के जाने माने पहलवानों ने अपने करतब दिखाएँ है, ! हर वर्ष की भाँती इस बार भी दनकौर का कुश्ती दंगल ३ दिन तक चला ! दंगल के आखिरी दिन मैंने भी दंगल देखने का निर्णय लिया और दनकौर जा पहुंचा ! स्वर्गीय गुरु श्याम लाल जी के पुत्र राजिंदर पहलवान भी साथ थे , उनके रिश्ते के भाई के यहाँ पहुंचे कुछ देर आराम कर चाय पानी पी, दनकौर स्टेडियम जा पहुंचे ! दंगल कमेटी से खलीफा चरण सिंह ने हमारा परिचय कराया , दंगल में बहुत अधिक संख्या में पहलवान पहुंचे थे , इसलिए घोषणा की गई की जो पहलवान पिछले दो दिनों में कुश्ती लड़ चूका है वह आज नहीं लड़ सकता ! इस प्रकार कुश्तियां चलती रही , दंगल में मुख्य अतिथि राजू पहलवान रहे ! राजू पहलवान हिंद केसरी पहलवान हैं ! दंगल की एक आकर्षक कुश्ती में सिंटू गुर्जर पहलवान ने अपने प्रतिद्वंदी पहलवान जो की एयर फ़ोर्स से था उसको चरों खाने चित्त कर खूब वह वाही बटोरी ! वहीँ जीतू पहलवान बराबरी पर रहे, ठीक इसी प्रकार विनोद पहलवान भी अपने प्रतिद्वंदी पहलवान से बराबरी पर रहे , दंगल के आखिरी कुश्ती राजेश भाटी की थी , उसने अपने प्रतिवंदी के साथ काफी देर तक कुश्ती लड़ी लेकिन समय के अभाव में बराबर हो कर कुश्ती छोडनी पड़ी ! सभी दर्शकों, अतिथियों , पहलवानो , गुरु , खलीफाओं को धन्यवाद दे दंगल कमेटी ने जैकारा बोला !
ENGLISH VERSION
Dankaur is a small town in Uttar Pardesh, just outside of Delhi, that hosts an annual week long mela. Hoards of people come to enjoy the festivities, shop, eat sweets and the kids love the fun fair rides. The centerpiece of the festival is a three day traditional wrestling tournament.
I went on the final day with my friend Rajinder Pahlwan, son of late Shree Shyamlal Pahlwan, whose son, Jitu Pahlwan was competing. Jitu had taken a long break from wrestling due to an injury, but now he is making a triumphant comeback. His match on this day was against a local wrestler named Vinod Pahlwan. The two wrestlers were equally skilled and the bout was declared a draw.
So many wrestlers had turned out to compete that the final day’s competition was limited to wrestlers who hadn’t yet had a match. It was a great competition. The dangal committee did an excellent job organizing everything and the police made sure that the crowd was peaceful.
In one of the main matches, Sintu Gujjar Pahwlan pinned a might wrestler from the armed forces and the crowd went wild celebrating his victory.
The first-prize bout for 21000/- was between Rajesh Bhati and a local wrestler. The bout went on for a very long time and finally the referee stopped it and declared the match at draw.
1 comment:
My cousin brother wants to join an akhara. I saw that you are very much into wrestling. Can you please give me address of all the akharas in and around Shahbad Dairy? Thanks in advance.
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