By Deepak Ansuia Prasad
Rampur, Kasna 31 May 2013
एक बार फिर दंगल के आयोजक विपिन अग्रवाल जी से दंगल में मुलाकात हुई , वे और उनके कमिटी के सदस्य कई दशकों से दंगल को चला रहे हैं , गंगा दशहरा के त्यौहार पर प्रतिवर्ष इस दंगल का आयोजन होता है! कपिल ऋषि के श्राप से , राजा सागर के साठ - हजार पुत्र , जो की ये सोच कर की कपिल ऋषि ने उनका अश्वमेध यग्य का घोडा पकड़ रखा है , उन्हें तंग कर रहे थे। कपिल मुनि के श्राप से राजा सागर के वे साठ - हजार पुत्र भस्म हो गये थे . कालांतर में सागर के प्रपौत्र भागीरथ ने उनके श्राद्ध का निश्चय किया पर पानी नहीं था। फिर देवताओं के कहने पर उन्होंने गंगा को धरती पर लाने का भागीरथ प्रयत्न किया और स्वर्ग से शिव की जटाओं पर गंगा उतरी। तब जाकर बंजर प्यासी धरती की प्यास बुझाई। जिस के स्पर्श मात्र से ही भागीरथ के साठ हज़ार पुरखे तर गए , उसी पतित पावनी गंगा के सम्मान में ज्येष्ठ के माह में दस दिन तक ये त्यौहार मनाया जाता है। इन दिनों लोग - बाग़ माँ गंगा की पूजा अर्चना करते हैं। कई स्थानों जैसे ऋषिकेश, हरिद्वार, गढ़ , प्रयाग ,बनारस में मेले लगते हैं ! कासने का यह मेल भी उतना ही प्राचीन है। गाँव के बुजर्गों से पूछने पर पता चला की इस दंगल में वे भी लड़ चुके है , और उन्होंने अपने बाप दादा को भी इस दंगल में लड़ते देखा है। हर बार की तरह इस बार भी दंगल पूजा अर्चना से शुरू हुआ, पहले छोटे बच्चों और फिर बड़े पहलवानों की कुश्तियां हुई। तेज धुप और गर्मी भी दर्शकों विचलित न कर सकी और सब लोग शांति से बैठ पसीने -२ हो दंगल का आनंद लेते रहे। गुरु श्याम लाल अखाड़े के बाल पहलवान मोनू ने दंगल की पहली कुश्ती सौ रूपये से जीती , दर्शकों ने तालियाँ बजाई और दंगल का शुभारम्भ हुआ। इसी प्रकार Rs.100X10, Rs.200X10, Rs.500X5, Rs.1000X5, Rs.2100X3, Rs.3100X3, Rs.5000X2, Rs.11000X1 Rs.21000X1 कुश्तियां हुई। दंगल में रेफेर शिप चरण सिंह ,महावीर , विपिन अग्रवाल जी ने की। दंगल देखने गाँव और आस पास के सभी गण मान्य व्यक्ति भी पहुंचे जिनका दंगल में स्वागत किया गया। गुरु प्रकाश प्रधान, गुरु जसराम, गुरु हनुमान, गुरु श्यामलाल , अखाडा दलवीर , अखाडा सर्फाबाद, जैसे बड़े अखाड़ों से तो पहलवान पहुंचे ही , अलीगढ़, बनारस, बिहार से भी पहलवान दंगल में भाग लेने आये। दंगल की एक कुश्ती में विक्की गुरु श्याम लाल ने अपने प्रतिद्वंदी पहलवान को उलटी दांव पर चित्त किया , खलीफा चरण सिंह ने कुश्ती दे दी , और सीटी बजाई जिससे कमिटी को इतेफाक न था , सो कुश्ती दुबारा शुरू की गई , इस बार विक्की ने अपने प्रतिद्वंदी को मिटटी में बैठा , झोली दांव पर चित्त किया। इस प्रकार के किस्से हमेशा के लिए अमर रह जाते है, क्योंकि जिस पहलवान में दम है वो कैसे भी हो जीत उसी की है चाहे पहलवान की कुश्ती दुबारा ही क्यों न हो जाए । वहीँ गुरु श्याम लाल अखाड़े के मोहित और प्रकाश प्रधान अखाड़े के एक पहलवान के बीच अच्छी कुश्ती चली जो बराबर रही। सद्दाम गुरु जसराम ने एक अच्छी कुश्ती मारी। हालांकि, दानिश , बाबू सर्फाबाद, सोनू पंडित जैसे नामी पहलवानों को कुश्ती दिखाने का अवसर नहीं मिला। वहीँ पर रविंदर सोहना की कुश्ती अलीगढ़ के पहलवान से , और भूप पहलवान की कुश्ती भी बराबर रही। दंगल में हर बार की भांति सभी गुरु खलीफाओं का सम्मान किया गया। दंगल की आखिरी कुश्ती जीतू पहलवान गुरु श्यामलाल और फिरे नागर गुरु प्रकाश प्रधान के बीच पर हुई जिसे फिरे नागर ने अपने नाम किया।
इस दंगल की मेरी पिछली रिपोर्ट भी आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं !
लास्ट लिंक
ENGLISH VERSION
Ganga is a sacred river for India. We call it mother Ganges. According to Hindu mythology, Sage Kapil was meditating in a cave when 60000 sons of King Sagar came following their horse of Ashawmedha sacrifice. Not seeing the horse in the cave, they presumed that Kapila had captured it. They disturbed his meditations and in response, Kapila burned them all.
After many years, Bhagiratha, the great grandson of King Sagar decided to perform their last rites, but there was no water, so he decided to bring River Ganga, flowing in the heaven, to earth. She descended on the head of Lord Shiva and then came running down to Rishikesh and Haridwar where last rites of the ancestors of bhagiratha were performed. That is why the Ganga is also called Bhagirathi. Ganga made the earth look like heaven. In the Hindu mythology even a dip in the river is considered holy and washes all the sins.
Every summer people, go to the river Ganga and do rituals. The holy cities near the banks of Ganga are full of people and melas.
When I enquired about the dangal of Ganga Dussehara, the old men of the villages told me that they remembered this festival from their youth and saw their fathers and grandfathers either wrestling in it or watching it.
The dangal started by sanctifying the akhada, followed by the kids’ bouts. The first match was won by monu pahlwan of guru shyamlal akhara, who won 100/- cash prize. Following cash prize matches were awarded: Rs.100X10, Rs.200X10, Rs.500X5, Rs.1000X5, Rs.2100X3, Rs.3100X3, Rs.5000X2, Rs.11000X1, Rs.21000X1.
The referees were charansingh, mahaveer pahlwan, and vipin agarwal ji. All the respected people of the area were honored with pagadi and some cash, including me.
Wrestlers from big akhadas like guru hanuman akhada, guru jasram akhada, guru shyamlal akhada, guru prakash akhada, dalbeer akhada, sukhbeer akhada came to compete.
Even wrestlers from neighboring states of Haryana, Rajsthan, Uttar Pradesh and Bihar came to compete.
In one match, Vicky of guru shyamlal akhada pinned his opponent with a move called “ulti” and the referee signaled his win, but the committee did not think it was a clear pin so the match started again. Vicky was clearly the superior wrestler and he pinned his opponent again, this time with a move called “jholi” that was great.
Mohit of guru shyam lal fought with a very good wrestler of guru prakash, but the bout remained undecided as nobody could secure a pin.
A fine pin was secured by Saddam of guru jasram akhada, while good wrestlers like saddam, babu and sonu pandit could not be paired.
Ravinder of sohna wrestled a very good bout against a wrestler from aligadh. He turned his opponent upside down, and almost pinned him, but the other wrestler kept his shoulders off the ground and managed to avoid being pinned.
The first prize match was between Jitu Pahlwan of guru shyam lal and Phire nagar of guru prakash pradhan. Jitu is a very strong wrestler, but Phire turned him to his back and pinned him, winning the match.
You can watch my report of last year’s dangal by clicking here.
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