डगरपुर दंगल
लीलू पहलवान डगर पुर गाँव से हैं , कुश्ती के अच्छे और इंटरनेशनल खिलाडी रहे लीलू पहलवान का कुश्ती के प्रति गहरा लगाव भी है और समर्पण भी ! वो जिला बागपत , खेकड़ा ब्लाक , उत्तर परदेश के प्रमुख भी हैं , अपने और अपने आस पास के क्षेत्र में यदि कहीं भी कुश्ती दंगल हो तो समय निकल लीलू पहलवान अवश्य वहां पहुँचते हैं , और दंगल करने में अपना पूरा -2 सहयोग देते हैं , दंगल में किसी पहलवान ने अच्छी कुश्ती दिखाई नहीं की लीलू पहलवान का हाथ जेब गया नही , पहलवान भी लीलू पहलवान से जो भी आशीर्वाद मिला उसे पाकर खुश होते हैं ! ये हमारी कुश्ती दंगल की परंपरा है , जिसे लीलू पहलवान जैसे कुश्ती प्रेमियों ने बखूबी निभाया हैं ! मेरा प्रयास है की कुश्ती के ऐसे ही कद्रदानो के लिए दो शब्द जरूर लिखूं !
लीलू पहलवान दंगल में जाते ही नहीं वो अपने पिताजी की याद में अपने गाँव डगरपुर में उनकी पुण्य तिथि पर प्रतिवर्ष एक दंगल कराते हैं ! जिनमे उनके परिवार के सदस्यों का सहयोग रहता हैं !
इस वर्ष लीलू पहलवान ने दंगल की कवरेज के लिए मुझे आमंत्रित किया जिसके लिए मैं उनका ह्रदय से आभारी हूँ ! लीलू पहलवान ने बताया की यह दंगल वह अपने पिताजी की याद में प्रतिवर्ष आयोजित करते हैं , उन्होंने बताया की वह एक पहलवान हैं और किसान परिवार से हैं , अपने गाँव और समाज के नाम के , लिए तथा पहलवानी को बढाने और बच्चों में खेल कूद खासकर पहलवानी का लगाव बढे इसके लिए वह प्रतिवर्ष दंगल कराते हैं ! उन्होंने बताया की इसमें वः किसी से भी कोई रुपये पैसे का सहयोग नहीं लेते हैं बल्कि अपनी किसानी की आमदनी व् अपने परिवार के सहयोग से यह दंगल कराते हैं !
दंगल की व्यस्था शानदार थी , शानदार मंच उसके सामने एक शामियाना और उसमे दर्शकों के बैठने की व्यस्था , इसी तरह अखाडा भी लीलू पहलवान ने स्वयं , बनाया जिसमे अच्छी मिटटी का प्रयोग हुआ था , अखाडा बड़ा था, जिसमे पहलवान को चोट लगने की परेशानी नहीं थी , अखाड़े के चरों और 100 मीटर के ब्यास का एक वृताकार घेरा बनाया गया था , जिसे पर टाट बिछाए गए थे जिसे पर आम जनता आसानी से बैठ कर कुश्ती का आनंद ले सकती थी , दर्शकों के लिए एक और खाने का फ्री इन्तेजाम और दंगल के बाद रागिनी का प्रबंध था तो दूसरी और एक छोटा सा फ़ूड स्टाल भी था जिससे दर्शक अपनी मन पसंद का सामान खरीद कर भी खा सकते थे , उम्दा साउंड सिस्टम , व् ढोल का प्रबंध भी था ,
दंगल में रेफरी खलीफा सुरती ,चरण सिंह , नूर मुहम्मद , सलीम पहलवान, इत्यादि रेफरी रहे ! नूर मोहम्मद पहलवान रेफेर्शिप तो अच्छी करते ही हैं, कुश्ती के बीच में शेरो शायरी भी ठीक सी ही सुनाते हैं, उन्होंने दंगल की अच्छी रेफेर्शिप की!
दंगल में बंधी कुश्तियां लड़ी गई ! मोगली पहलवान ने एक अछे पहलवान से बराबर कुश्ती लड़ी , बंध्वादी के मनीष पहलवान जो की गुरु राजकुमार गोस्वामी के शिष्य हैं उन्होंने शानदार कुश्ती जीती ! अनिल भाटी ने भी एक कुश्ती जीती ! हरिंदर पहलवान जूनियर भारत केसरी हैं और रेलवे अखाड़े से हैं, उन्होंने सुखबीर पहलवान के शिष्य बाबर से बराबर कुश्ती लड़ी ! जीतू पहलवान की कुश्ती अनिल से हुई समय कम मिलने के कारण ये कुश्ती भी बराबर छूटी ! पतला खेडा के विनोद पहलवान बद्री अखाड़े में कुश्ती सीखते हैं, उन्होंने एक अच्छी कुश्ती जीती ! भारत केसरी संजय अखाड़े के पहलवान प्रताप की कुश्ती पंजाब के गामा से हुई , जो बराबर रही ! अमित पह्लोवान अच्छी कुश्ती ;लड़े राजकुमार गोस्वामी अखाड़े के ही सुमित पहलवान की कुश्ती संजय अखाड़े के रविंदर से हुई कुश्ती में निर्णय को लेकर विवाद भी खड़ा हूआ लेकिन रेफरी के निर्णय को अंतिम माना गया !सिंटू पहलवान ने अच्छी कुश्ती मारी , अपने गाँव में अच्छी कुश्ती दिखा सिंटू ने खूब तालियाँ और नकद इनाम बटोरे !
दंगल की पहली कुश्ती हिन्द केसरी राजीव तोमर और पंजाब के काला पहलवान के बीच हुई , तोमर ने काला पहलवान को नीचे दबा इरानी पर चित्त कर जीत हासिल ,की एक अन्य कुश्ती में प्रदीप पहलवान तब चोटिल हो गए , जब कुश्ती बेहतरीन चल रही थी ! इस प्रकार देर रात तक दंगल चलता रहा , सभी गुरु , खलीफाओं का पगड़ी पहना कर स्वागत किया गया ! लीलू पहलवान ने दर्शकों के बीच मेरे काम की प्रशंशा की जिसका मै तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ ! दंगल ख़तम होने पर लीलू पहलवान ने भोजन का निमंत्र्ण दिया ! रात में रागिनी का प्रोग्राम था लेकिन व्यस्ततता के कारण घर लौटना पड़ा
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ENGLISH VERSION
Leelu pahlwan belongs to village Dagarpur. He is a veteran international wrestler and also the pramukh or the head of village panchayat. Whenever there is a local wrestling competition he is sure to attend and put all his efforts in making it a success. He also rewards outstanding wrestlers.
Leelu Pahlwan organizes a wrestling competition in the memory of his father every year. His family contributes and assists him in organizing the dangal.
This year Leelu Pahlwan invited me to cover the competition and I am very thankful to him. He told me that he is a wrestler and loves wrestling and he wants children of his village to learn the sport. That is why he organizes the dangal. He doesn’t ask money from anybody and organizes the competition only from himself and from his family.
It was a nice day, a little overcast and cool but comfortable. Leelu Pahlwan also arranged refreshments for the public and invitees, and there was traditional folk music called ragini after the competition.
The refrees were khalifa surti, charan singh, nor Muhammad, saleem Pahlwan. Nor mohammad pahlwan is an interesting referee. He sometimes sings, and dances during the bouts.
Moughli pahlwan fought a tough match with his opponent. Time ran out and the bout was declared a draw. Manish pahlwan of bandhwadi won a very good match. Anil bhati won his match. Harinder plahlwan of railway akhada who won bharat kumar recently wrestled babar of sukhbeer akhada to a draw. Vinod pahlwan of patla kheda village, a wrestler from guru badri akhada won a great match. Prataap pahlwan of sanjay akhada took on a Punjabi wrestler named Gama, but the match was ruled a draw. Sumit is a good wrestler of guru rajkumar goswami akhada he fought with ravinder of sanjay akhada, the match was disputed by ravinder but as a tradition the decision of referee was final.
Sintu Pahlwan, the son of leelu pahlwan and bharat kumar title holder pinned his opponent in a long, hard-fought macth. The people of his village cheered and showered him with cash.
The first prize match was between hind kesri Rajeev Tomar, and Kala Pahlwan of Punjab. Rajeev tomar took him down and pinned him using a technique called irani.
The bouts kept on going till dark. All the gurus, and coaches and digntaries were honored with headgear. Leelu Pahlwan introduced me to the crowd and mentioned my services for the wrestling fraternity.
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