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Nov 4, 2012

DUNDAHEDA DANGAL

By Deepak Ansuia Prasad

डुंडा हेडा दशहरा दंगल








डुंडा हेडा गाँव की दंगल कमेटी हर साल दशहरा के अवसर पर एक विशाल दंगल का आयोजन करती हैं ! राव उमराव सिंह पहलवान की याद में यह दंगल हर साल एक नयी विशेषता और भव्यता के साथ संपन्न होता है ! राव उमराव सिंह जी डुंडा हेडा गाँव के एक अच्छे पहलवान और समाज सेवी थे ! उन्होंने अपने गाँव में पहलवानी की परंपरा को कायम रखा और आज उनके बाद उनके गाँव के लोग इस विरासत को दिल से संजो कर रखे हुए है या यों कहें की साल दर साल नयी सोच और आधुनिक बदलावों के साथ अपनी परंपरा का पूरे अनुशासन से निर्वाहन कर रहे हैं ! कुश्ती दंगल के इस गाँव की यह भव्य परंपरा हैरत अंगेज तो है ही मै दावे से कह सकता हूँ की दशहरे के दिन छुट्टी बिताते हुए मनोरंजन का इससे अच्छा विकल्प हो ही नहीं सकता ! पिछले वर्षों की रिपोर्ट में मैंने दंगल के बारे विस्तार से लिखा है सो थोडा हट कर कुछ लिखने का मन हैं ! दशहरा तो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है ही, राम -रावण के बीच हुए युद्ध का प्रतीक भी है ! और युद्ध जुड़ा है लड़ने वालों के कौशल , दम ख़म , चतुरता और अभ्यास से ! युद्ध कला का एक नमूना है मल्ल युद्ध अर्थात दो योद्धाओं की भिडंत कुश्ती दंगल की ये परंपरा मल्ल युद्ध की ही परम्परा है और ऐतिहासिक काल से ही युद्ध से जुडी रही है !

डुंडा हेडा गाँव में इस बार दंगल के काफी अच्छे इन्तेजाम थे , बेहतर साउंड , रख रखाव , सुन्दर अखाडा उसके चारों और बांस के खम्भों और बत्तों की चारदीवारी , एक और मेहमानों और अतिथियों के लिए पंडाल तो उनके चाय पानी की भी उचित व्यवस्था ! पानी पेप्सी की सेवा करने के लिए सेवादार मौजूद ! यूँ तो गाँव के स्टेडियम में कबड्डी और बोलिबाल जैसे खेल भी होने थे और रागिनी जैसे प्रोग्राम भी थे लेकिन मेरी रिपोर्ट मेरे खेल कुश्ती तक ही सीमित रहेगी ! हालांकि इस बार दंगल की माटी को मजदूरों ने तैयार किया लगा जो की बेहतर नहीं कहा जा सकता ! मिटटी में कंकडों का होना पहलवानों के लिए नुकसानदेह होने का कारण हो सकता है ! सिवाय इसके दंगल में हर इंतज़ाम पुख्ता थे, निजी सिक्यूरिटी गार्डों के अलावा हर वर्ष की भाँती इलाके के पुलिस थाना अद्यक्ष की मौजूदगी में दंगल बेहतर और शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ ! इलाकी की पुलिस की प्रशंशा जितनी की जाए कम है क्योंकि सदा की भांति दशहरे जैसे अवसर पर पुलिस की व्यस्तता और बढ़ जाती है , बावजूद इसके हर वर्ष उनका सहयोग रहता है जिसका दंगल कमिटी भी पूरा सम्मान करती है ! हाँ दंगल जब चरम सीमा पर पहुंचा तो साउंड सिस्टम का फेल होना दुर्भाग्य पूर्ण रहा !

पूजा पाठ के बाद बच्चो की कुश्ती से दंगल आरम्भ हुआ और बड़ी संख्या में बच्चों ने 10/- 20/- 50/- 100/- रुपये की कुश्तिया लड़ी ! गुरु मुन्नी, गुरु श्यामलाल, जैसे अखाड़ों के छोटे बच्चों ने कुश्ती का भरपूर प्रदर्शन किया ! बच्चों को अपना कौशल दिखने का पूरा टाइम मिला और भरपूर इनाम ! ये बच्चों के उत्साहवर्धन का एक सुनहरा मौका था ! रेफरी को बच्चों को संभालने में बड़ी दिक्कते हुई तो कभी -2 उन्हें लाठी दिखा कर कंट्रोल किया गया ये कोई गलत काम न होकर एक मनोरंजक दृश्य जरूर बन गया ! गुरु मुन्नी अखाड़े के एक बाल पहलवान ने कुश्ती के अच्छे जौहर दिखा 5 कुश्तियां जीती ! फिर 200/- और 500/- की कुश्तिया चली और बच्चों की कुश्तिया बंद कर दी गई ! अब तक दर्शकों से स्टेडियम खचाखच भर चूका था ! और उनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा था ! इधर बीचों बीच दंगल में आये मुख्या अतिथियों के नामों की भी घोषणा हो रही थी !

हालांकि हिन्दुस्तान के मीडिया का रवैया कुश्ती के प्रती कोई खास सकारात्मक नहीं है और इसके कारणों के मूल में जाना नहीं चाहता लेकिन विदेशी मीडिया कुश्ती से होते मनोरंजन से सराबोर है , मेरी कोशिश रहती है की मेरे अलावा मीडिया से जुड़ा कोई भी पेपर , एजेंसी या , वेबसाइट हो और कुश्ती के ऊपर कुछ लिखना चाहे, और मुझे संपर्क करे तो मै उन्हें जरूर आमंत्रित करता हूँ, इसी सिलसिले में आस्ट्रलिया के दो पत्रकार और मेरे एक पत्रकार मित्र सेम पाटीदार भी इस दंगल को कवर करना चाहते थे सो मेरे साथ वे भी आ जुड़े ! ऑस्ट्रलियन बेन डोहर्टी और उनका फोटोग्राफर मित्र अभी भी मुझ से जुड़े हैं और उनकी कोई भी रिपोर्ट हो मै जरूर आपसे से शेयर करूंगा !
इस बार दंगल में 60 से ऊपर के एक नौजवान ने भी कुश्ती लड़ने की इच्छा प्रकट की और उन्हें जल्द ही जोड़ भी मिल गई वे हारे लेकिन दर्शकों का ठीक मनोरंजन हुआ

मोगली पहलवान गुरु श्यामलाल अखाड़े से है उसकी कुश्ती एक अच्छे पहलवान से बराबरी पर रही और एक बिहारी पहलवान को दो बार चित्त कर उसने 500/- रूपये का नकद इनाम जीता ,

तावडू के अन्नू पहलवान और फतेहपुर के कपिल पहलवान के बीच 1100/- रूपरे इनाम पर अच्छी कुश्ती चली जो बराबरी पर छुटी .

लीलू अखाड़े के प्रदीप पहलवान की कुश्ती 1100/- की पहली कुश्ती थी हालांकि वो भी बराबरी पर ही छुटी

पटौदी के भूरा और योगेश की कुश्ती शानदार थी , पिछली बार भूरा को मैंने जब देखा तो वो चोटिल था लेकिन इस बार उसने अच्छे अटैक लगाये , योगेश ने भी कोशिश की और कुश्ती का रिजल्ट न निकल सका

इसी तरह लीलू अखाडा के मनीष की कुश्ती भी बराबर रही

दुष्यंत और जितेंदर सोहना अच्छे पहलवान हैं, बड़े पहलवानों में उनका नाम है, और दुष्यंत को आने वाले दंगलों में छुट्टी की कुश्ती का हकदार पहलवान माना जाएगा , जितेंदर ने देश भर में अच्छी कुश्तिया लड़ी हैं , 21000/- के इनाम पर इस बार भी उनकी कांटे की कुश्ती रही , दुष्यंत जितेंदर पर भारी पड़े , लेकिन इसे 19-20 ही कहेंगे , अंत में ये कुश्ती भी बराबर रही

नाथूपुर के मनीष पहलवान ने निकाल दाव पर अपने प्रतिद्वंदी पहलवान को चारों खाने चित्त कर कुश्ती और 2100/- का नकद इनाम जीता और दर्शकों को रोमांचित किया , कुश्ती में हार जीत का मजा देखने लायक होता हैं !

गुरु और जाने माने पुराने पहलवान गुरु प्रकाश कुल्हिपूरिया ने कहा की अगर दंगल किसी के नाम रहा तो जीतू पहलवान के गुरु श्यामलाल के पोते जीतू के खून में कुश्ती है, वो जीतने के लिए खेलता है , वो एक कलाकार है , मुझे उनकी ये बात बिलकुल सोने आने खरी लगी , ..अभी -2 चोट से उभरे जीतू ने अपना हौसला बुलंद कर अच्छे रिजल्ट दिए हैं भगतू अखाड़े के सचिन के साथ हुई ये कुश्ती वाकई रोमांचक थी जीतू के पदंदीदा दाव जिसे अंग्रेजी में ' फार साइड क्रेडेल " कहते हैं का सचिन ने बड़ी खूबसूरती से बचाव किया और अपना अटैक लगाया जिसे जीतू बचा गया और बड़ी फूर्ती से अन्दर घुस कर सचिन को कलाजंग पर उठा लपेट कर मारा की गामा पहलवान की याद आ गई , सभी दर्शकों ने तालियाँ ठोकी, 11000/- के नकद इनाम को दंगल कमिटी ने अच्छी कुश्ती दिखने की एवज में 500/- से और बढा दिया , दंगल के मुख्या अतिथि ने भी 1100/- इनाम दिया और लोगों ने भी जी भर कर जीतू की झोली भरी!

नाथूपुर के ही आकाश पहलवान अब देश के नामी अखाड़े गुरु हनुमान अखाड़े में कुश्ती के गुर सीखते हैं, और बड़ी मेहनत और लगन से अपनी कुश्ती कला को निखारने में लगे हैं, दंगल में उनसा जवान कम ही दीखता हैं , उनकी कुश्ती एक अछे पहलवान से हुई जो की सुरक्षात्मक खेलता रहा और कुश्ती बराबरी पर छुटी !

दुसरे इनाम की कुश्ती गोटी और डेसू के किरसन के बीच हुई , गोटी किरसन पर भारी पड़ा और कई बार नीचे लाने के बाद इरानी लगा चित पट के आधार पर जीता !

51000/- की पहली कुश्ती कप्तान चान्दरूप के शिष्य प्रदीप और छारा के विक्रम के बीच लड़ी गई , दोनों बहुत अच्छे पहलवान हैं, लेकिन प्रदीप ने विक्रम को सुरक्षात्मक खेलने पर मजबूर कर दिया, कई बार प्रदीप ने विक्रम को माटी पर दबाये रखा लेकिन चित्त न कर पाया , अंत में कुश्ती को रोक कर बराबर घोषित करना पड़ा . !

परम्परा अनुसार सभी माननीय अतिथियों, गुरुओं, खलीफा, कोच सभी का पगड़ी और मोमेंटो प्रदान कर स्वागत किया गया , सतीश भाई ने जैकारा बोला और लोग बाग़ घर को चले मैंने भी सभी से विदा ली !



ENGLISH VERSION
Every year the dashara dangal committee of Village Dundaheda organizes a huge traditional Indian wrestling competition in the memory of Rao Umrao singh ji, who was a great wrestler and social activist of his time.

Dundaheda village has a small stadium for sports activities it also houses an Akhara for wrestling. The stadium was decorated for the festival and in the middle there was a dirt pit where the wrestling took place. Local policemen handled security for the competition. It is indeed a kind gesture from the station house officer.

The competition was opened with a sanctifying ceremony. Afterwards, young wrestlers were invited to take part in the competition. In every traditional wrestling competition kids are invited to wrestle first for a short time while the older juniors prepare. This dangal allowed more time for the young wrestlers, which is important because they are the future of the sport and it’s good to encourage them.

The referees were: chote lal, leelu pahlwan, master shiv narayan, leelu ram pradhan, and of course Satish pandit ji, a great wrestler in his day, who always is on hand to help and often rewards wrestlers out of his pocket when they win.

Indian media is mostly indifferent to kushti competitions. But often foreign journalists are interested to see what traditional wrestling in India is like. This time, some Australian press came with me to cover the competition. Mr Som Patidar and his Australian counterpart Ben Doherty and one Australian photographer covered the competition for their news. I introduced them to the dangal committee and they were welcomed. Whenever their report is published I hope to share it with you.

More than 100 kid wrestler participated in the opening and winners received 20/- or 50/- rupees as cash prize.

After the kids matches, the junior competition started. Cash prizes were 100/- and 200/- and wrestlers were only allowed one match each to make sure everyone got a chance to compete. So many wrestlers came out to compete, which indicated that kushti is on the rise now.

A veteran wrestler over 60 years old also wanted to have a bout. One senior citizen accepted the challenge and the two had a very entertaining bout. The challenger lost however and the winner was awarded a 2100/- cash prize.

Moughli fought for a cash prize of 500/- with a wrestler of guru satpal akhada. The bout went on for the full allotted time and was declared a draw. He was again challenged by a wrestler form Bihar. Mougli accepted his challenge and pinned him easily.

Annu, a very good junior from guru Satpal Akhada, and Kapil of Guru Shyam Lal Akhada wrestled a great match. Both are junior champion wrestlers. They were so equally matched that neither of them could secure a win. And the match ended in a draw.

The first prize match of 1100/- was won by pradeep pahlwan of guru Leelu Akhada of Ladpur. Pradeep pinned his opponent using a technique called nikal.

Dushyant and Jitender are two very good senior wrestlers. I saw jitender wrestle two years ago at ullahwas dangal. He fought well there and remained undefeated. Since then he was missing from dangles. Seeing him competing again was really good. Dushyant is now a very good wrestler who is fighting very well these days. People say he will be a champion wrestler. Their bout was really entertaining with dushyant on the attack and jitender on defense. The match went on for long a long time and ended in a draw.

In the opinion of 70 year-old veteran wrester prakash kulhipuria pandit ji Pahlwan, the most entertaining match of the dangal was between Jeetu Pahlwan and Sachin Pahlwan of guru bhagtu akhada.
Sachin went on the attack and tried pinning jeetu many times. But jeetu relied on his favorite move, jholi, to save himself. The jeetu sprang at Satish, picking him up with a perfect fireman’s carry, or kalajung as it is called in India. Satish landed on the ground and jeetu turned him to his back and pinned him.
The crows went wild. People were dancing and clapping to celebrate and showered jeetu with cash prizes. The match was for a prize of 11000/- but the dangal committee increased it by Rs. 500/- for putting on such a good show. The chief guest of the dangal also rewarded him with 1100/- rupees.

The first prize match for the prize of Cash 5100/- was between Pradeep of guru Capt. Chandroop Akhada and Vikram of Chhara. The match was a great display of strength, technique and guts. Both were equally matched. Pradeep was slightly heavier than vikram and attacked many times, executing some impressive leg attacks. But vikram fought him off and the match and referee satish pandit ji declared the match a draw.

As a tradition all the dignitaries, chief guests, gurus and coaches were honored with headgear. Satish pandit ji presented me with a headgear as a respect mark for my work on Indian wrestling and I thanked him. I also thanked the village committee for putting on a good show.




















































































































































































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