सलीम पहलवान का दंगल - लोनी दिल्ली
By Deepak Ansuia Prasad
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बेहटा - लोनी के सलीम पहलवान ने अपने क्षेत्र में कुश्ती कि विधा को केवल सजा संजो कर ही नहीं रखा , बल्कि उसका प्रचार प्रसार भी किया है. प्रतिमाह के पहले शनिवार को होने वाले दंगल के वह करता धर्ता है , उनके साथ उनके सुपुत्र , भाई -बंधू और लोनी के लोग मिलकर इस दंगल को यादगार दिन बना देते हैं. सलीम पहलवान उन विरले महान लोगों में हैं जो पहलवानो के लिए इनाम के लिए अपनी मेहनत कमाई खर्च करते हैं , और जितना अच्छा पहलवान उतना अच्छा इनाम , क्योंकि पहलवानो से वे भली तरह परिचित जो हैं। हालांकि दंगल में बहुत ज्यादा बड़ा नकद इनाम नहीं होता लेकिन एक विजयी पहलवान के लिए दर्शकों में उसका, उसके गुरु,, गाँव,अखाड़े, का नाम रोशन होना एक बड़े सम्मान कि बात हैं. दंगल के दिन सुबह से ही दंगल कि व्यवस्था कि कार्यवाही शुरू हो जाती है, अखाड़े को बनाना, साउंड, लाइट कि व्यवस्था करना , दंगल में दर्शकों के लिए स्थान बनाना , दंगल के दिन आस पास के घरों कि छतों को खाली कर दिया जाता है ताकि लोग वहाँ से भी दंगल सकें। दंगल में हमेशा नामी गिरामी गुरु, खलीफा कोच और समाज,राजनीति, तथा अन्य सेवा कार्यों से जुडी हस्तियां भाग लेती है , बड़े चाव से सलीम भाई जनता को उनसे रु बी रु कराते हैं. दंगल में आने वाले लोगों को गले से लगाना , "आजा मेरे भाई" सलीम भाई कि ख़ास अदा है , यही कारण है कि वो क्षेत्र में लोगों के चहेते हैं.मै जब दंगल में पहुंचा तो उन्होंने गले ,लगाया , पगड़ी और माला पहनाकर स्वागत किया , उनका में तहे दिल से आभारी हूँ , तकरीबन हर गुरु , खलीफा या अतिथियों का ऐसा ही स्वागत सलीम पहलवान करते हैं. क्षेत्र के सभी बड़े छोटे , महिला या पुरुष पहलवान सलीम भाई के दंगल में लड़े हुए हैं , और उन्हें इस बात का फक्र हैं. "मुझे ऊपर वाले ने बहुत नियामते दी हैं, मै जब तक जान रहेगी पहलवानी के लिए अपना यह कर्म करता रहूँगा " सलीम भाई कहते हैं वास्तव में ऐसी शक्शियत को मेरा
ENGLISH VERSION
Salim Phalwan has kept the tradition of kushti alive in the village of Behta of Loni, near Delhi. He was a great wrestler himself in his day and now he organizes a traditional wrestling competition every month at Loni.
“I loved kushti in my time and have fought with the best wrestlers,” says Salim Pahlwan. “I want to promote the culture of kushti around my locality and want to keep the tradition of wrestling continue here.” Salim Pahlwan says he will be working for wrestling “throughout my life.”
The wrestling competition draws wrestling gurus and coaches from all over and often influential people like political leaders or celebrities join in.
Salim pahlwan is helped by his son, family members and friends and relatives who contribute prize money which he gives to the winning wrestlers. The awards may not be as great as at some other dangals, but they are sufficient to make the winner happy. After all, it is not only the money which counts here, the announcement of the winner, his guru, village is also a great motivating factor and honorable indeed.
Salim pahlwan welcomes everybody with open an heart and many times announced my name and about how I am working to promote kushti.
Many people came to me requesting a photograph, or to be photographed with their favorite wrestlers. I oblige humbly and the event went on from the bouts of the children to juniors, seniors and then the third, second and first prize matches.
In between the gurus, coaches and dignitaries were brought honored with pagadi as is a tradition at dangala.
Salim pahlwan brought me a pagadi and garland and wished me good luck in my work. You can also go watch the dangal every month on the first Saturday of the month
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