By Deepak Ansuia Prasad
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कुश्ती विश्व के प्राचीनतम खेलों में से एक हैं , भारत में भी गाँव - गाँव में कुश्ती खेल का प्रचलन है. और आप अधिकांश गाँवों में मिटटी के अखाड़े में पहलवानो को जोर आजमाइश करते देख सकते हैं. तैयारी होने पर पहलवान दंगलों में शिरकत कर अपनी कला कौशल का प्रदर्शन जनता के सामने करते है , जिसे देखने दूर दूर से लोग आते हैं, जहाँ एक और दर्शकों को भरपूर मनोरंजन मिलता हैं वहीँ दूसरी और पहलवान को इनाम तथा मान सम्मान। मिटटी में कुश्ती की यह परम्परा अति प्राचीन है जिसका उल्लेख हमारे धर्म ग्रंथो में भी है. प्राचीन काल से ही राजा , महाराजाओं व् बाद में नवाबों , जागीरदारों , बादशाहों ने इस खेल को सराहा , अपनाया और पहलवानो को इनाम , मान सम्मान तथा जरूरी मदद भी दी , अंग्रेज़ों और फिर आज़ादी के बाद भारत सरकार का भी इस खेल के प्राटीन उदासीन रवैया रहा जिससे अखाड़ों और पहलवानो कि संख्या में बहुत कमी आई . लेकिन पहलवानो , गुरु खलीफाओं ने अपना सर्वस्व लगा कर भी अपनी इस प्राचीन परम्परा को बचाये रखा और कुश्ती कला को पीढ़ी दर पीढ़ी बरकरार रखा , इन मिटटी के अखाड़ों से निकल कर ही पहलवान देश -विदेशों में पहुंचे और भारत माता का झंडा पूरी दुनिया में फहराया। ऐसे अनेकों अनेक पहलवान हुए है जिन्होंने अनेकों अनेक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल दिए है लेकिन ऐसा एक भी न होगा जो मिटटी के अखाड़े से मैट पर न आया हो. विश्व विजेता व् ओलिंपिक मेडल विजेता सुशील पहलवान , योगेश्वर दत्त , बजरंग, अमित कुमार , गीता फोगट , अलका तोमर , गीतिका जाखड़ , दिव्या सैन जैसे पहलवानो ने कुश्ती को एक मजबूत आधार दिया है. वहीँ मिटटी और मैट के धनी जोगिन्दर , रोहित पटेल, परवीन राणा , परविंदर डूमछेड़ी, बंसी, राजीव तोमार , सोनू , जगदीश, भगत हिन्द केसरी, राजू, ,सुरेंदर आत्मा राम, संजय, सुभाष, केहर, पलविंदर चीम, नरसिंघ यादव, समाधान घोडके, जैसे पहलवानो ने कुश्ती को बहुत ही रोचक और मनोरंजक बनाया है.
मिटटी कि कुश्ती में सर्वश्रेष्ठ स्थान हिन्द केसरी प्रतियोगिता का है जिसे अखिल भारतीय कुश्ती संघ ( इंडियन स्टाइल ) आयोजित करती है. १९५६ से लगातार आयोजित हो रही इस संस्था को ही हिन्द केसरी टाइटल कराने का श्रेय प्राप्त है. अनेको वर्षों से श्री रोशन लाल पहलवानजी , जो कि संघ के जनरल सेक्रेटरी है , संघ के अध्यक्ष श्री राम आसरे यादव जी ,बाल साहब जी, खजांची शिव कुमार शर्मा जी के साथ
मिटटी कि कुश्ती कि इस प्रतियोगिता को कराते आ रहे हैं। देश के प्रत्येक राज्य में मिटटी कि कुश्ती कि एक उप संस्था है जो कि राष्ट्रिय स्तर कि इस संस्था के साथ मिलकर इस प्रतियोगिता का आयोजन करती है. इस बार का यह भव्य आयोजन हरयाणा राज्य कुश्ती संघ ( इंडियन स्टाइल ) के अध्यक्ष नफे सिंह राठी जी के तत्वधान में हुआ. नफे सिंह जी कुश्ती व् समाज कल्याण के प्रति समर्पित व्यक्ति है. कुश्ती जगत में ऐसी महान हस्तियां विरले ही पैदा होती हैं. नफे सिंह सिंह जी स्वयं एक अच्छे पहलवान रहे हैं व् २ बार बहादुर गढ़ से विधायक रहे हैं
हिन्द केसरी स्तर कि यह 47वीं प्रतियोगिता थी जिसमे वजनों कि कुश्तियां भी थी और कुश्तियों का फैसला अंकों के आधार पे रखा गया था , इसमें पहलवानो को नीले और लाल जांघिये में लड़ना अनिवार्य था और जांघिया पकड़ना फ़ाउल रखा गया था , कुश्ती का फैसला अंकों के आधार पे रखा गया था , जिससे दर्शकों को समझने में आसानी रही. हरयाणा के बहादुरगढ़ में शहीद ब्रिगेडियर होशियार सिंह स्टेडियम में इस प्रतियोगिता का उदघाटन लेफ्टिनेंट जनरल श्री राज कादयान के कर कमलों द्वारा १६ दिसंबर २०१३ को हुआ, जिसमे स्कूली बच्चों द्वारा रंगारंग देशभक्ति कार्यकर्म प्रस्तुत किये गए. दंगल के अंतिम दिन मुख्य अतिथि आल इण्डिया ओलिंपिक संघ के प्रेसिडेंट व् खेल रतन और विधायक श्री अभय सिंह चौटाला जी ने पहलवानो को दर्शन दिए और उन्होंने देश भर में खिलाडियों के प्रति हो रहे दुर्व्यवहार पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि वर्त्तमान सरकार कि खेलों और खिलाड़ियों के प्रति उदासीनता दुर्भागयपूर्ण हैं. उन्होंने बताया की उन्होंने पहले भी खिलाडियों को उचित मान सम्मान , नौकरी व् अन्य लाभ दिए हैं, लेकिन आज खिलाडियों कि संख्या कहीं अधिक है उनके लिए अधिक नौकरियों , सुविधाओं व् मान सम्मान की पहले से कहीं अधिक जरूरत है , उन्होंने इस स्थिति को सुधारने का प्रण लिया। श्री नफे सिंह राठी जी ने जिस शानदार तरीके से प्रतियोगिता का आगाज किया और उसे अंजाम तक पहुंचाया इसके लिए उनका आभार भी अभय सिंह जी ने व्यक्ति किया और उन्हें बधाई दी. वास्तव में नफे सिंह राठी जी पूरे पहलवान व् खेल समाज में धन्यवाद के पात्र हैं.
हिन्द केसरी खिताब में फाइनल में हरयाणा कि ए और बी टीम पहुंची जिसमे पहलवान हितेश और प्रवेश के बीच खिताबी भिडंत हुई, दोनों ही पूर्व में हिन्द केसरी खिताब जीत चुके पहलवान हैं इस बार भी मुकाबला शानदार रहा जिसमे हितेश ने बाज़ी मारी और हिन्द केसरी २०१३ का खिताब साथ में २ लाख रूपये नकद और चांदी का गुर्ज़ हासिल किया। अभय सिंह चौटाला जी ने उन्हें इनाम कि राशि और गुर्ज भेंट किया। प्रवेश पहलवान को भी १ लाख रूपये नकद व् मेडल दिया गया इसी प्रकार तीसरे और चौथे स्थान पर रहे रूबल और मिंटू को भी पचास पचास हज़ार नकद इनाम भेंट किये गए.
वजनी कुश्तियों में 84+ किलोग्राम में दिल्ली के मोनू व् हरयाणा के संदीप , और बाबर ने तीसरा स्थान प्राप्त किया, 84 किलोग्राम में बिहार के कर्णवीर प्रथम , तथा सेना के प्रदीप द्वितीय , चंडीगढ़ के प्रदीप व् गोआ के मंजीत तीसरे स्थान पर रहे. इसी प्रकार ७४ किलोग्राम भारवर्ग में दिल्ली के अनिल, गुजरात के विनोद,पहले दुसरे तथा गोआ के गुरमैल व् एनसीआर के किशन तीसरे स्थान पर रहे. ६६किलोग्रम भार वर्ग में हरयाणा के विकास प्रथम, दिल्ली के संदीप द्वितीय और सेना के प्रदीप ने तृतीय स्थान हासिल किया , ६० किलोग्राम भार वर्ग में महाराष्ट्र के बाबा साहब मढ़ने प्रथम , एनसीआर के विजेंदर द्वितीय , सेना के विजेंदर, व् मध्य प्रदेश के लखन पटेल तीसरे स्थान पर रहे. ५५ किलोग्राम भर वर्ग में हरयाणा के अनिल प्रथम व् दिल्ली के दीपक दुसरे स्थान पर रहे जबकि बिहार के मनीष ने तीसरा स्थान हासिल किया।
हिन्द केसरी के इस भव्य आयोजन में नफे सिंह राठी जी ने अनेकों भूतपूर्व महान पहलवानो को भी बुलाया गया था जिसमे भारत के नंबर १ पहलवान उदय चंद , सुरेश , अशोक गर्ग, सुजीत मान, शोकिन्दर तोमर, सतयवांन , ओमबीर पहलवान
धरमेंदर दलाल इत्यादि तथा कई गणमान्य वयक्ति भी मौजूद रहे. इने साथ ही सभी स्टेट्स से आये कोचेस,गुरु , खलीफा व् बड़े पहलवानो इत्यादि व् मीडिया तथा अन्य सहयोगियों का भी परम्परानुसार शाल , पगड़ी, ट्रैक सूट व् गिफ्ट पैक देकर सम्मान किया गया. दंगल में नफे सिंह राठी के साथ लाडपुर अखाड़े के गुरु लीलू पहलवान ने कंधे से कन्धा मिलकर योगदान दिया, दंगल के शुरू से अंत तक उन्होंने नफे सिंह जी का पूरा पूरा सहयोग किया इसके लिए लीलू पहलवान बधाई के पात्र हैं इसी प्रकार वॉलंटिर्स में विजेंदर राठी व् उनकी टीम ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बहादुर गढ़ कि मशहूर लोक गाईका राजबाला , व् गायक नरदेव बेनीवाल ने दंगल में शानदार देशभक्ति , व् भक्ति प्रोग्राम निशुल्क देकर सहयोग दिया , दर्शकों ने उनकी रागनियां दिले से सुनी राजबाला जी का बहुत -२ धन्यवाद।
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