By Deepak Ansuia Prasad
सिकंदर पहलवान अखाडा ,
गाँव आलमगीर , लुधियाना , पंजाब।
हिन्द केसरी दंगल की कवरेज के लिए मैं लुधियाना पहुंचा। वहां आलमगीर अखाड़े की कवरेज का मौका मिला। सिकंदर पहलवान आलमगीर अखाड़े में गुरु है। कुश्ती के अप्रतिम और ज्ञानी सिकंदर पहलवान ने कुश्ती की सेवा में आजीवन ब्रह्मचारी रहने का व्रत लिया हैं। अखाड़े के पहलवान उनके बच्चे हैं , मिटटी से समझो वैवाहिक सा बंधन। एक अच्छे कुश्ती पहलवान के लक्षणों को वे बताते हैं की सच्चाई , अनुशाशन , गुरु के प्रति समर्पण आदर भाव , व् बाहरी आकर्षणों से वैराग्य ही सच्चे पहलवान की निशानी हैं। वे कहते हैं की यदि एक पहलवान अपने से बड़ों का आदर सम्मान करता हैं , इधर उधर नहीं भागता , नशा पत्ता नहीं करता , अखाड़े की सेवा करता हैं और अनुशाशन में रहता हैं तो निस्चय ही वह विश्व विजय पहलवान बनेगा। अमीरी गरीबी से पहलवान नहीं बनता कोई।
गुरु सिकंदर पहलवान कहते हैं की वह ऐसे बच्चों को शिष्य नहीं बनाते जो भटके हुए हों , और न ही ऐसे भटके लोगों के नजदीक रहते हैं। अखाड़े में कठोर अनुशाशन हैं , और इधर उधर की बाते करना , नशाखोरी , या भटकाव वाली बाते निषेध हैं। सिकंदर पहलवान कहते हैं की मल्लों वाली बाते करों।
साठ के दशक में सिकंदर पहलवान ने अखाड़े की शुरुआत की थी। तब से आज तक सैकड़ों नामी मल्लो ने अखाड़े से निकल कर देश दुनिया में धूम मचाई हैं। सिकंदर पहलवान कहते हैं की किस किस का नाम लूँ ? यहाँ तो बहुत बड़े बड़े रुस्तम हुए हैं , यदि किसी का नाम रह जाएगा तो वो कहेगा गुरु जी ने मुझे याद नहीं किया। फिर भी वे बताते हैं , फत्तेह सिंह , नंदा पहलवान , कारन सिंह लीला , केहर सिंह , सतीश , जगदीश , हरविंदर जैसे महान पहलवानो ने इसी अखाड़े में कुश्ती कला का अभ्यास किया और उसमे पारंगत होकर पूरी दुनिया में जलवे दिखाये।
सिकंदर पहलवान कहते हैं की वे स्वयं राष्ट्रिय चैंपियन व् पंजाब केसरी पहलवान रहे हैं। और पचास साल की उम्र तक कुश्ती दंगलों में उनका बोलबाला रहा हैं। फिर उनके शिष्य बड़े हो कर छुट्टी की कुश्तियों पर लड़ने लगे तो उन्होंने उनको बनाने में अपनी ताकत झोंक दी। वे अपनी सबसे बढ़िया कुश्ती बताते हैं एक पकिस्तान के पहलवान के साथ। पाकिस्तान के उस भारी भरकम पहलवान से लड़ने को कोई तैयार नहीं था। अखाड़ों की पंचायतें सिकंदर पहलवान के पास आई और बोली की आप ही उस पहलवान से लड़ सकते हैं , बाकी या तो मना कर गए या हार चुके हैं। सिकंदर पहलवान बताते है की पहले तो उन्होंने मना किया , क्योंकि उन्हें डर था की यदि वे हार जाएंगे तो वे दुबारा उस पाकिस्तानी पहलवान से नहीं लड़ पाएंगे क्योंकि वो तो उन्हें हराकर पाकिस्तान चला जाएगा। खैर ज्यादा करने पर उन्होंने लड़ने का निश्चय किया और उस पाकिस्तानी पहलवान को चित्त कर पूरे देश में अपने नाम का डंका बजवा दिया। सिकंदर पहलवान बताते हैं , की उन्हें ख़ुशी का इतना नशा हुआ की वे रात भर वर्जिश करते रहे। और आज भी वो बात याद करके उनका मन रोमांच से भर जाता हैं।
आज सिकंदर पहलवान अखाड़े को स्वयं ही सम्भाल रहे हैं। उनके साथ मैट पर कोच हैं वीरपाल। वीरपाल आधुनिक युग की कुश्तियों और मैट के पक्षधर हैं। उनका मानना हैं की मैट की कुश्तियां ही आपको अंतर्राष्ट्रीय ख्याति और मैडल दिला सकती हैं। वे आज की पीढ़ी के नए पहलवानो को सिकंदर पहलवानजी की संरक्षण में कोचिंग दे रहे हैं। हालाँकि ये उनका पहला ही साल है , लेकिन बच्चों ने लोकल कम्पटीशन में मैडल लाने शुरू कर दिए हैं।
हरविंदर आलमगीर।
ऐसा कौन सा पहलवान हैं , जिसे हरविंदर आलमगीर ने नहीं हराया। परविंदर पहलवान के भाई ने बताया। परविंदर डूमछेड़ी , भगत , गुलाम साबिर , राजू , राजीव तोमर , चीमा , सोनू , सतेंदर डागर और सैकड़ों अन्य पहलवान। हिन्द केसरी , महान भारत केसरी , भारत मल्ल सम्राट , भारत केसरी , पंजाब केसरी जैसे अनेकों टाइटल जीते हैं हरविंदर ने । ऐसा पहलवान कभी न हुआ न होगा। सिकंदर पहलवान बताते हैं। बहुत से पहलवानो ने तो कुश्तियां बहुत सी जीती , लेकिन जितने पहलवानो की हारी हरविंदर ने बुलवाई उतनो की किसी ने नहीं। बड़े अफ़सोस की बात हैं एक दिन कुश्ती के बाद पहलवान चोटिल होकर दिमागी रक्तस्राव के कारण लाचार हो गए। बड़े मुश्किल से जान बची। आज पहलवान ठीक ढंग से सुन नहीं पाते , और बोल नहीं पाते। ऐसे बड़े पहलवान की ऐसी हालत देख कर बहुत दुख होता हैं। ऐसा स्टार पहलवान , जिसने अभी कुश्ती की दुनिया में बहुत रंग भरना था , मजबूर हो गया। लोग बाग़ तो हरविंदर को बहुत पूछते हैं , लेकिन सरकार ने क्या किया इसका कुछ अंदाजा नहीं। हैरानी की बात हैं की इतना सब कुछ होने के बाद भी पहलवान नित्य प्रति अखाड़े पर जाता हैं। वर्जिश करता है। बड़े पहलवान की आदतें भी अनुकरणीय हैं। अखाड़े या घर में कोई भी आये झट से उसके लिए कुर्सी खींचना , खाना पानी पूछना उनकी दिनचर्या में शुमार हैं। ऐसे पहलवान के घर दो चार दिन रहने का मौका मुझे भी मिला। और पहलवान की मेजबानी से मन बहुत प्रसन्न हुआ। अपने अतिथि सत्कार और नेकदिली के लिए पहलवान के पूरे परिवार को मैं बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ।
ENGLISH VERSION
Akhada Sikandar Pahlwan,
Village Alamgeer , Ludhiana , Punjab.
Sikandar Pahlwan, the Guru at Alamgeer Akhada is totally devoted to wrestling. He vowed to remain unmarried his whole life time. He considers his pupils as his children. And he wants them to become champions.
He says, those who are not good learners and adopt bad morals and values are not welcome.
Wrestlers who are sincere, honest and disciplined, however, are welcomed. Any forms are drugs and talking about sex is a strict no. Talking about wrestling is encouraged.
Alamgeer Akhada has seen many great wrestlers.
“I can’t name everybody,” says Sikandar Pahlwan. “And If I name a few and do not name others they will be unhappy.”
There were: Fateh Singh, Nanda Pahlwan, kehar singh, Sumer Singh, Satish, Harvinder, Jagdish.
The Akhada was established in sixties by Sikandar Pahlwan, who used to teach a few students was himself a wrestler. He once beat a famous Pakistani wrestler, who until he faced Sikander Pahlwan had been undefeated. His victory brought great honor to Punjabi kushti.
Sikandar Pahlwan also became the champion wrestler of Punjab, winning the Punjab Kesri title, for which wrestlers from all over India competed.
The Akhada houses both a sand pit for traditional Indian wrestling and mat facilities. A national champion wrestling coach, who is an NIS degree holder has been teaching students. While Sikandar Pahlwan takes care of everything else.
The gym in the Akhada, however, is worn out, I have seen many buffaloes inside the big Akhada premises, these buffaloes must have been providing an uninterrupted supply of milk.
HARVINDER PAHLWAN
Incidentally, I want to tell you about one of the greatest wrestlers of his time, Harvinder Alamgir. He went on to defeat every big wrestler of his time, and won almost every title in the land.
During one of his bouts he got injured, had brain hemorrhage, and recovered long after. He can’t hear and has speech problems now. I was shattered to see such a great wrestler in such
pain.
While I went to cover a wrestling competition in Ludhiyana, I stayed at Harvinder’s house, which is nearby the Akhada. He has a big family. His father controls the family business, while his mother monitors the household chorus. Harvinder and his brother are married and the women help their mother in law. The small kids go to school. A typical Punjabi united family. I felt honored to stay with them during the dangal days.
Only thing I wondered, when scores of people asked about Harvinder’s health, was that the govt. shouldn’t forget him.