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डगरपुर गाँव का मासिक दंगल - सौजन्य से लीलू पहलवान
लीलू प्रमुख पहलवान जी डगरपुर गाँव की शान हैं। वे क्षेत्र में पहलवानो के मसीहा हैं। कुश्ती और पहलवानो के प्रति उनका गहरा लगाव हैं। लीलू पहलवान स्वयं एक अच्छे पहलवान रहे। और इसी परंपरा में उनके सुपुत्र सिंटू पहलवान एक बहुत अच्छे उभरते हुए पहलवान हैं। सिंटू पहलवान भारत कुमार पहलवान हैं। वे रेलवे अखाडा , दिल्ली में गुरु राजकुमार के शागिर्द हैं।
क्षेत्र के कुश्ती दंगलों को सजाने में लीलू पहलवान की ही मुख्य भूमिका होती हैं। जब वे दंगल में आते हैं तो दंगल कमिटी को चिंता नहीं रहती की किस पहलवान को क्या देना हैं , लीलू पहलवान जो हैं। कोई अच्छा पहलवान हैं , और दंगल कमिटी कम इनाम उसकी कुश्ती पे रखती हैं तो लीलू पहलवान ने इनाम मुंहमांगा दे देना हैं , कुश्ती अच्छी दिखाओ। मुझे पैसे की क्या कमी , वे मजाक में कहते हैं , भाई गुज्जर हैं , किसी की भैंस खोल लेंगे , तड़के रटौल में बेच देंगे पैसा ही पैसा , जनता में जोश आ जाता हैं। खैर ये तो मजाक हैं। पर लीलू पहलवान को मैंने पहलवानो की मदद करते खुद भी देखा हैं। एक गरीब पहलवान का मकान बनने लगा , रूपये कम पड़े तो लीलू पहलवान जी के पास आ पहुंचा। लीलू पहलवान ने कहा दिवार बना ले , लेंटर के पैसे मेरे ले जाना। बाकी मेहनत करो और ऊपर वाले पर भरोसा रखो। सच में बहुत बड़ा दिल हैं पहलवान का। देश भर के पहलवान लीलू पहलवान पर जान देते हैं। उनके साथ उनके भाई मनुपाल बंसल , कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं। कुश्ती के दीवानो इन लोगों के दर्शन आप भी करिये , इन्ही लोगों की , स्वार्थविहीन सेवा ने ही कुश्ती को आजतक बचा कर रखा हैं।
कुश्ती के प्रचार प्रसार के लिए , क्षेत्र के पहलवानो की हौसला अफजाई के लिए , क्षेत्र में पहलवानो की फसल को तैयार कर रहे हैं लीलू पहलवान। अपनी जमीन पर एक बड़ा अखाडा और सभी सुविधाएं पहलवानो को देकर उन्होंने बड़ा ही नेक काम किया हैं। आज अखाड़े में पहलवानो की भरमार हैं। पहलवानो को घर पर ही देश भर के पहलवानो के साथ लड़ने और अपनी तैयारी परखने का मौका मिले इसलिए पहलवानजी ने हर महीने दंगल कराने का निर्णय लिया। और अब हर महीने अपने गाँव डगरपुर में कुश्ती दंगल करा भी रहे हैं। यहां पर सभी पहलवानो को कुश्ती लड़ने का मौका और जीतने पर उचित इनाम भी मिलता हैं।
जनवरी की इस पंद्रह तारीख को ठन्डे मौसम में भी दंगल की शुरुआत गर्मजोशी से हुई , छोटे और बाल पहलवानो की कुश्तियों के साथ दंगल शुरू हुआ और फिर अच्छे पहलवानो ने दांव आजमाए। दीपक पहलवान गुरु राजकुमार , गौरव रेलवे , प्रदीप पहलवान रेलवे , काला पहलवान , भूरा पहलवान ने बढ़िया कुश्तियां दिखाई।
दंगल में चरण सिंह खलीफा , गुरु रघुबीर मास्टर , सलीम पहलवान , रामकुमार चेयरमैन , भट्टे वाले , राकेश खलीफा , चौधरी गजराज सिरोही , अजय सिंह पहलवान , राहुल पहलवान , भीम पहलवान ने शामिल होकर दंगल की शोभा बढ़ाई।
खेकड़ा ब्लॉक की छत्तीस बिरादरी व् डगरपुर गाँव के लोग लीलू पहलवान से बहुत प्रसन्न हैं , उन्होंने दंगल में नोटों की माला पहना कर लीलू पहलवान का स्वागत किया। लीलू पहलवान के भाई मनुपाल बंसल का भी स्वागत हुआ वे हमेशा लीलू पहलवान के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर कुश्ती के प्रमोशन में लगे रहे हैं। मेरे साथ यूरोप से पहुंचे मेरे मित्र मिलान उर्बसेक ने भी दंगल देखा , कुश्ती के प्रचार और प्रसार के लिए उन्हें और मुझे दंगल कमिटी ने पगड़ी पहना कर सम्मानित किया।
ENGLISH VERSION
Dangals are traditional Indian wrestling competitions, in which wrestlers from various wrestling schools are paired against each other on the basis of their size, weight and experience. The only way to win a match is by pinning your opponent and a cash prize is fixed for the winner by the Dangal Committee.
Mostly Dangals are organized on a yearly basis, however wrestling lovers organize a few monthly dangals in India. Leelu Pramukh Pahlwan is one such enthusiast who holds a monthly dangal in his village, Dagarpur.
On 15th January, Leelu Pahalwan and his brother Manupal Pahalwan held an event despite the freezing cold weather. Leelu Pahalwan is a retired wrestler who also organizes a great annual dangal in the loving memory of his father, late Ch. Brahmpal Singh Ji.
Many skilled wrestlers came to compete here today. Everyone was given a chance to show his skill and strength before the crowd. Leelu Pahalwan also gave cash prizes to the winners.
The younger wrestlers started things off, putting on a great show. Then the main matches were held.
Deepak Pahalwan Rajukumar Goswami Akhada fought a tough wrestler Gaurav who is from railway Akhada.
Pradeep Pahalwan from guru Leelu Pramukh fought a very tough and skilled wrestler from NOIDA.
The final Match was between Kala Pahalwan from Bhagot and Bhura from railway Akhada. Bhura dominated his opponent for most of the match but wasn’t able to get a pin so the match ended in a draw.
The Dangal was blessed with many important guests, including Guru Raghubir Master ji of Barot, Saleem Pahalwan, Ramkumar chairman (Bhattewale), Rakesh Khalifa, Ch. Gajraj Sirohi, Ajay Singh pahalwan, Charan Singh Khalifa, Rahul pahalwan And Bheem Pahalwan.
Leelu Pramukh has also opened a great wrestling school in Dagarpur near the Brick Kiln. The akhada has every facility for wrestlers who want to learn Kushti.
Accompanying me today was my friend Milan Urbášek from the Czech Republic, a central European country known for its beautiful buildings, cathedrals and also native beers. Leelu Pahlwan felicated Milan with a traditional headgear Pagadi.
Leelu Pahlwan has started a great tradition in his area, earning the respect of people from the village and the surrounding areas.This time the people of the village also honored Leelu Pahwlan with a garland made of currency notes. They also honored his brother Manupaal Bansal for supporting such a great cause.