हरी सिंह स्मृती दंगल 2013
दक्षिणी दिल्ली में क़ुतुब की मीनार के पार्श्व में घिटोरनी गाँव है और पास में ही आया नगर, क़ुतुब की मीनार से ऊँची यहाँ पहलवानी की परम्परा है। आया नगर में जमीन से फसल उगा किसानी कर लोग कमाते और इधर घिटोरनी में दूध का काम करके , दोनों गाँवों में बच्चे पहलवानी करते और एक से बढ़ कर एक कुश्तियां दिखाते ; यहीं दिवंगत श्यामलाल पहलवान हुए , जिन्होंने पहलवानी में बहुत नाम कमाया और क्षेत्र के श्रेष्ठ पहलवान रहे। इसी गाँव में धीरज पहलवान ने भी पहलवानी में खूब नाम कमाया वो अपने पिता हरी सिंह की याद में प्रति वर्ष अपने गाँव घिटोरनी में दंगल कराते हैं। हरी पहलवान एक अच्छे पहलवान रहे , महरौली में एक बार वो सतपाल पहलवान से भी लड़े। भाई विजय वीर बीते कुछ वर्षों से दंगल की तैयारियों की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं , उनकी देखरेख में दंगल का आयोजन हर वर्ष बेहतर होता जा रहा है। इस वर्ष के दंगल के स्थान को भी उन्होंने कुछ हट कर चुना और दंगल की मिटटी को बहुत चुनकर लाये , बहुत समय बाद दंगल में इतनी अच्छी मिटटी देखने को मिली। इसी प्रकार उन्होंने अच्छे साउंड , लाइट , सुरक्षा , और बैठने के इंतज़ाम की व्यवस्था की जो वाकई काबिले तारीफ़ है। मेहमानों के लिए ऊँचा मंच , और अतिथियों के लिए अच्छी कुर्सियों का इंतज़ाम , पहलवानों के नहाने के लिए पानी के टैंकर सभी कुछ दंगल शुरू होने से पहले अपने -२ स्थान पर मौजूद था। इसके लिए विजय वीर भाई (विजय गुज्जर ) और उनके मित्र काबिले तारीफ़ हैं , और मुझे उम्मीद है की उनके होते हुए घिटोरनी गाँव में दंगल की शानदार परम्परा अनवरत चलती रहेगी।
पहलवानों की कुश्तियां
दंगल बच्चों की कुश्तियों से शुरू हुआ , गुरु मुन्नी अखाड़े से बच्चे कुश्तियों में धूम मचा रहे हैं , उनकी कलाकारी देखते ही बनती थे , उन्होंने कई -२ कुश्तियां लड़ी , दंगल में हर बच्चे को मौका मिला। एक साथ ४-४ जोड़ बच्चे कुश्ती लड़े , मैंने देखा की कुछ बच्चे जो पहलवानी भी नहीं करते मौका मिलने पर किसी बाल पहलवान से भिड़ने जा पहुंचे। कुश्ती कोई भी लड़ सकता है इस खेल को नजरअंदाज करने के लिए अंग्रेजों ने क्रिकेट चलाया लेकिन आज बच्चों को खेल में रूचि लेते देख गाँधी के स्वदेशी अपनाओ नारे के बात याद आ गई , में सभी बच्चों से आह्वान करता हूँ की वे अपना देशी खेल खेलें ये देश की बेहतर सेवा होगी। दंगल में तरतीब से कुश्तियां हुई बच्चों के बात जूनियर्स की और फिर बड़े पहलवानों की। जूनियर पहलवानों में मोहित गुरु श्याम लाल और इंदिरा स्टेडियम के पहलवान के बीच अच्छी कुश्ती चली जिसमे मोहित आखरी चंद सेकंडो में चित्त हो गये। बंधवाडी के मनीष जो की गुरु राजकुमार के शिष्य है उनकी कुश्ती एक अच्छे पहलवान से हुई जो की बराबर रही। गुरु श्यामलाल अखाड़े के मोगली की कुश्ती गुरु मुन्नी अखाड़े के मनीष से हुई, कुश्ती अच्छी चली, मनीष ने चोक होल्ड पर मोघ्ली को फंसा कर चित्त , किया जिसे रेफरी ने अनदेखा कर कुश्ती दे दी। संदीप गुरु मुन्नी और विकास गुरु श्यामलाल की कुश्ती में संदीप ने विकास को बड़ी खूबसूरती से चित्त कर कुश्ती जीती। ग्यानेंदर गुरु हनुमान ने मोनू श्यामलाल को चित्त कर कुश्ती जीती। सोहना के रविंदर और गुरु रतन के संजय के बीच कुश्ती का निर्णय न हो सका। इसी प्रकार प्रकाश प्रधान के शिष्य दानिश की कुश्ती भी गुरु हनुमान के शिष्य के साथ बराबर रही। समयाभाव के कारण, मुख्तियार और परवीन छत्रसाल मनीष और रोहतक और सतीश गुरु होते लाल की कुश्तिया बराबर रही।
बड़ी कुश्तियां
बड़ी कुशितियों में अन्नी पहलवान ने अपने प्रतिद्वंदी को नीचे लिटा कर चित्त किया, इसी प्रकार अनिल पहलवान अखाडा रोहतक और गुल्लू पहलवान गुरु हनुमान के बीच बढ़िया कुश्ती चली , जिसमे गुल्लू पहलवान ने अनिल को घुटना रख कर तोड़ कर चित्त किया, भोलू और जीतू गुरु श्याम लाल के बीच कुश्ती काफी देर तक चली, समय ख़तम होने पर दर्शकों ने और समय माँगा , इसके बावजूद कुश्ती बराबरी पर छूटी। पहली कुश्ती के लिए राजीव तोमर, निशांत ठाकुर, वरुण और हितेश ने दावेदारी ठोकी , कमिटी ने सबको लड़ाने का निश्चय कर इकहत्तर हज़ार के इनाम पर दो कुश्ती कराने का निर्णय लिया , जिसमे राजीव तोमर और निशांत तथा वरुण और हितेश के बीच कुश्तियां कराई गई जो की बराबरी पर छूटी
गुरु खलीफा
दंगल में गुरु जसराम , प्रकाश प्रधान, प्रकाश कुल्हिपुरिया , द्रोणाचार्य महा सिंह राव, रतन, श्रीचंद मीर खलीफा, गुरु मुन्नी अखाड़े के संचालक , खलीफा होते, राजिंदर पहलवान, गुरु हरिपाल, खलीफा रघ्बर , अशोक कोच ,श्रीपाल पहलवान,मस्तराम नेता जी, धर्मपाल ,डी एस पी साहब, चरण सिंह, व् अन्य गणमान्य व्यक्तियों का पगड़ी पहना कर स्वागत किया गया। सभी गुरु खलीफाओं व् गण्यमान्य व्यक्तियों के लिए उचित सम्मान का भी प्रबंध किया गया।
दंगल की समाप्ति पर दंगल में उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद किया गया और दंगल समाप्ति की घोषणा की गई।
ENGLISH VERSION
Just a few kilometers away from Delhi’s famous historical site Qutub Minar are the villages of Aaya nagar and Ghitorni. Aaya nagar was a farming village and the people of Ghitorni sold milk to earn a living. Children from both the villages used to learn wrestling at a nearby akhada and made their villages famous by winning dangals all over India. Guru shyam lal was one such international wrestler. Like wise Hari singh ji once he wrestled with Mahabli Satpaal at the Mehrauli Dangal. His son Dheeraj became a very good wrestler too. Now in the fond memory of his father Dheeraj Pahwlan organizes a great wrestling competition every year. This was the 31st wrestling competition in a row.
Vijay veer pawar or vijay gujjar is an old friend of mine. He takes care of the arrangements of the competition, which is going better every year. Brother vijay veer deserves praise, and I am sure in the coming years he will maintain the tradition and people would come and watch the competition like they did this time.
Matches of juniors
The competition was started with the bouts of younger wrestlers. Wrestler of guru munni akhada dominated the competition. All were given chances to wrestle, even the kids who had no kushti training participated. Mohit of guru shyamlal akhda fought with a wrestler of IG stadium and in the end moments was pinned by his opponent. Moughli wrestled with manish of guru munni akhada. Manish used a choke hold, which was illegal, but the referee didn’t notice and he gave the match to Manish. Sandeep of guru munni and vikas of shyamlal akhada wrestled a great match that ended with a pin for vikas. Gyanender of guru hanuman akhada defeated nonu. Ravinder of sohna and sanjay guru rattan remained equal. Danish wrestled two bouts - one victory and one draw. Mukhtiyar pahlwan and parveen chatrsaal remained equal. Manish and a wrestler from rohtak and satish guru hotelal also wrestled to a draw.
The Big Matches
Anni Pahlwan pinned his opponent. The match between anil of rohtak and gullu was magnificent. Gullu pinned Anil after putting his leg over the head of anil and toppling him over. Jitu of guru shyam lal and Bholu of guru hanuman wrestled to a draw even after the match went into overtime.
For the first prize match of rs. 151000/- there were four big wrestlers: rajiv tomar, nishant thakur, varun gujjar and Hitesh. The dangal committee decided to engage all them and so two first prize matches were scheduled for 71000/- each. Rajiv tomar vs nishant and varun vs Hitesh. Both matches ended in draws.
Guru and khalifa’s
Guru jasramji, prakash pradhan, prakash kulhipuriya, dronachary mahasingh rao, kalifa srichand, hote, care taker of guru munni akhada, rajinder pahlwan, hari pahlwan, ashok coach, sripal pahlwan, netaji mastram, dharmal dsp, charan singh kalifa and other dignitaries graced the competition with their presence. All were honored with traditional pagdi.
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