By Deepak Ansuia Prasad
व्हाट्सप्प दंगल : डोमैल , कटरा जम्मू , जम्मू एंड कश्मीर।
( सौजन्य से : व्हाट्सप्प ग्रुप - "यार कुश्ती के शौकीन" )
( एडमिन : गुरदीप ब्राह्मणवाला - दिल्ली )
व्हाट्सप्प ग्रुप का ऐसा उदाहारण आपको पूरी दुनिया में नहीं मिलेगा।
व्हाट्सप्प ग्रुप्स की अनोखी दुनिया और बातों से आज कल कौन परिचित नहीं। मोबाइल पकडे कोई हंस रहा हो तो समझो व्हाट्सप्प ग्रुप पर कोई नया जोक , पिक्चर , या मैसेज आया हैं। इन ग्रुप्स में क्या कुछ शेयर नहीं होता। इन ग्रुप ने फोटो हो वीडियो , लेटर हो या फोटोकॉपी सबको लगभग तुरंत ही दूसरे को पहुंचाने या ग्रुप में शेयर करने का काम एक दम आसान और मनोरंजक कर दिया हैं।
व्हाट्सप्प ग्रुप का ऐसा उदाहारण आपको पूरी दुनिया में नहीं मिलेगा। भाई गुरदीप ब्राह्मणवाला के कुश्ती को प्रमोट करने के लिए ग्रुप बनाया "यारा कुश्ती के शौक़ीन " एक लम्बे अरसे से यह ग्रुप कुश्ती को प्रमोट करता आया हैं। ग्रुप के कुश्ती प्रेमी सदस्यों ने अपनी नेक कमाई को इकट्ठा करके कुश्ती को प्रमोट करने हेतु एक विशाल दंगल चंडीगढ़ में करवाया। उसके बाद दूसरा बद्दी हिमाचल में और तीसरा अब जम्मू में होने जा रहा हैं। कुश्ती के विशाल दंगल में देश के बेहतरीन पहलवान भिड़ेंगे , मुझे ख़ुशी हैं की मैं भी इस दंगल के कवरेज के लिए वहां रहूँगा। और ग्रुप के सभी कुश्ती प्रेमी मेंबर भी।
कुश्ती की शान में और कुश्ती को आगे बढ़ाने के लिए इस प्रयास के जरिये इस व्हाट्सऐप ग्रुप ने , गुरदीप भाई ने और ग्रुप के सदस्यों ने वाकई मिसाल कायम की हैं।
पूरी दुनिया जानती हैं की भारतीय कुश्ती संघ ( भारतीय शैली ) जम्मू कश्मीर के प्रेजिडेंट शिव कुमार शर्मा जी को कुश्ती से लगाव हैं , उनकी नुमाइंदगी में जम्मू कश्मीर की कुश्ती ने कई नए आयाम लिए और निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर हैं। शिव कुमार शर्मा जी को विशिष्ट अतिथि के रूप में माला पहना और मोमेंटो भेंट कर गुरदीप भाई ने उनके कुश्ती के प्रति लगन और समर्पण का सम्मान किया। उन्होंने सहर्ष सम्मान तो स्वीकार किया ही और गुरदीप भाई को धन्यवाद भी दिया साथ ही उन्होंने समस्त जम्मू कश्मीर की जनता , पहलवानो और विशिष्ट अतिथियों की तरफ से गुरदीप भाई को फूल माला , माता की चुनरी भेंट कर प्रोत्साहित किया। इस प्रकार गुरदीप भाई , व्हाट्सप्प ग्रुप - "यार कुश्ती के शौकीन" के सदस्यों और कुश्ती के प्रति उन सबकी समर्पण की भावना का भी सम्मान हुआ। और व्हाट्सप्प ग्रुप के इस नेक काम की भी सराहना हुई।
व्हाट्सप्प ग्रुप - "यार कुश्ती के शौकीन" के मेंबर देश भर में हैं। इनमे से जम्मू के सदस्यों खासतौर पर , डॉक्टर सतपाल जी , रणधीर सिंह जी , संजीव शर्मा , मोहम्मद लतीफ़ , मोहम्मद हनीफ की मांग को मंजूरी मिलने पर व्हाट्सप्प ग्रुप का यह तीसरा दंगल , कटरा, जम्मू में कराने का फैसला किया गया। पहलवानो की टीम और गुरदीप भाई के साथ , इस दंगल को देखने मैं भी सड़क परिवहन से जम्मू पहुंचा। रास्ते में अपनी ही जमीन पर फगत टोल भरते -२ लगा की हम वास्तव में आज़ाद नहीं हैं। हाँ देश के हुक्मरान , अफसर और उनके मातहत फ्री घूम सकते हैं, हालांकि सड़कें बढ़िया हैं। खासतौर पर कटरा से जम्मू की सड़क बहुत बढ़िया हैं , इसमें कई सुरंगे हैं जो किसी वेस्टर्न कंट्री जैसा फील कराती हैं। कटरा पहुँचने पर शिव कुमार शर्मा जी के बसेरा होटल में ठहरे। बजट केटेगरी में फुल एयर कंडिशन्ड होटल हैं होटल बसेरा , सुविधाएं एक दम शानदार। कुश्ती प्रेमी शिव कुमार शर्मा जी ने बिना किसी पेमेंट के सभी को फ्री स्टे और खाना पीना मुहैया करवाया। इस नेक काम के लिए शर्मा जी की जितनी प्रशंशा की जाय कम हैं।
होटल में शर्मा जी का ऑफिस हैं , वहीँ ग्रुप मेंबर्स की मीटिंग हुई। जम्मू कश्मीर कुश्ती के भीष्म पितामह शर्मा जी भी वहां मौजूद रहे। कुश्ती को आधुनिक रूप की और ले जाने की कोशिश की गई। जिसमे प्रस्तावित हुआ की पंद्रह जोड़ बेहतरीन पहलवानो की कुश्तियां होंगी। कुश्ती का समय बीस मिनट होगा। रेफ़री और दंगल कमेटी का निर्णय सर्वमान्य होगा। कुश्ती बराबर रहने पर तीन मिनट अंतर्राष्ट्रीय नियमों के आधार पर करवाई जायेगी , और जिसके अधिक पॉइंट होंगे उसे विजेता घोसित किया जाएगा , ज्यादा पड़े रहने पर , लंगोटा पकडे रखने पर या ज्यादा बाहर जाने की मनाही का नियम रखा गया। पहलवानो के वजन को भी ध्यान में रखा गया। जिससे की कुश्तियों में किसी पहलवान को एकतरफा फायदा न मिले। ग्रुप मेंबर्स की पहचान के लिए "यार कुश्ती के शौकीन" नाम से सफ़ेद टी शर्ट पहनने का नियम रखा गया। प्रतिष्ठित कुश्ती खलीफाओं का रेफेर्शिप के लिए अनुमोदन किया गया , जिसमे से मुख्य रफेरी पप्पू लाकड़ी को चुना गया।
दंगल का स्थान था डोमैल स्कूल का प्लेग्राउंड , डोमैल चौक , डिस्ट्रिक्ट रियासी , कटरा , जम्मू। यहाँ पर जम्मू के तीन डिस्ट्रिक्ट मिलते हैं , और गंगा जमुनी संस्कृति के लोग रहते हैं , इस प्लेग्राउंड में पूरे जम्मू , पंजाब , हरयाणा, दिल्ली और हिमाचल से लोग पहुंचे। सुनील वशिस्ट और JE साहब हिमाचल से , संत भाई और प्रतिष्ठित कॉमेंटेटर कुलबीर भाई आदि पंजाब से , इसी प्रकार पहलवान भी इन सभी स्टेट्स से यहाँ पहुंचे जिनमे प्रमुख थे बिरजू , अमित कड़ोलिया , मंदीप , विकास दिल्ली से , सुनील जीरकपुर हरयाणा से , रोशन, फारूक , निसार , बेनिया जम्मू कश्मीर से। अमित चंडीगढ़ पुलिस इत्यादि। अखाड़े के चारों और बाड़ व्यवस्था , साउंड , पानी , बैठने की अच्छी व्यवस्था के साथ दंगल की सटीक व्यवस्था की गई। हालाँकि अखाड़े में गीलापन , और घास के होने से पहलवानो को दिक्कत पेश आई।
बिरजू दिल्ली बनाम बेनिया जम्मू।
इस सीजन बिरजू पहलवान फुल फॉर्म में हैं , एक समय था जब बिरजू पहलवान को लगने लगा की कुश्ती को अलविदा कहने का समय आ गया हैं। उन्ही दिनों गुरदीप भाई और बिरजू पहलवान की मुलाक़ात हुई , गुरदीप भाई ने बिरजू पहलवान को एक बार फिर तैयारी करने के लिए उत्साहित किया। बिरजू तैयार हुए तो उनकी कुछ अच्छी कुश्तियां भी कराई , बिरजू पहलवान भी उम्मीद पर खरे उतरे , उन्होंने अपनी तैयारी में रात दिन एक कर दिया। और जब बिरजू अखाड़े में उतरे तो एक के बाद एक कुश्तियां , और भारत केसरी टाइटल जीत कर इतिहास बना दिया। पब्लिक को बढ़िया कुश्तियां देखने को मिली , अच्छा मनोरंजन हुआ तो दंगल कमेटियां भी बिरजू की कुश्तियां रखने लगे। एक बार फिर बिरजू पहलवान पूरे देश में घूम घूम कर कुश्ती लड़ आये। चारों और बिरजू पहलवान की जय जयकार होने लगी। आज बिरजू कहते हैं की किसी से भी लड़ा लो। वाकई में पहलवानो को आगे लाने में गुरदीप भाई एक दम माहिर हैं। और बिरजू पहलवान भी उनकी इसी बात की कदर करते हैं। आज बिरजू के मैनेजर की भी भूमिका निबाहते हैं गुरदीप भाई , उनका कहना हैं की इस पहलवान ने दुनिया को बहुत कुछ दिया , इसे भी कुछ वापस मिलना चाहिए। इसी बात पर बिरजू की कुश्ती बेनिया के साथ बंधी तो बेनिया भी राजी हो गया। बेनिया जम्मू की धरती का महान पहलवान हैं , आज सबकी जोड़ हैं। और जम्मू में अनगिनत टाइटल उसके नाम हैं , ऐसा कौन सा बड़ा पहलवान हैं की जो जम्मू आया और बेनिया से न लड़ा हो ? शर्मा जी , और व्हाट्सप्प ग्रुप के सदस्यों ने मिलकर दोनों पहलवानो के हाथ मिलाये। अपने सिग्नेचर स्टाइल , एक लम्बी छाल मारके , बेनिया अखाड़े में कूड़े तो तालियों की गड़गड़ाहट से पहाड़ गूंजने लगे।
दंगल का मैदान पिछली कुश्तियों में लड़ रहे पहलवानो के पसीने और पैरों के बोझ से पत्थर बन चूका था। मैदान की घास में फिसलन बन गई थी। दोनों पहलवानो ने एक दूसरे को परखने का निश्चय किया , बिरजू ने एकहरी पट खैंचि तो बेनिया ने रबर की तरह हवा में पैर उछाल कर बचाव किया। बेनिया तो चीन की दीवार सा लगा होगा बिरजू को। वहीँ बेनिया ने कुश्ती के आठवें मिनट में बिरजू के पट खैंच लिए , पर ये क्या बिरजू ने वहीँ बेनिये की मुंडी दबा दी , जैसे बच्चों के जोर करा रहे हो। दांव तो खाली गया ही बिरजू पीछे आकर कंट्रोल करने लगा। अब कुश्ती समझदारी से लड़नी होगी , बेनिये ने सोचा होगा। दोनों पहलवान एक दुसरे को पकड़ने की कोशिश में जोर आजमाने लगे , समय गुजरने लगा , समय कहाँ रुका हैं। दर्शकों के दिल में सवाल आने लगा क्या ये कुश्ती फाइनल होगी ? बेनिये ने लंगोटा फड़ा तो रेफ़री ने छुड़ाया , कुश्ती चलाने को कहा , फिर बेनिया लंगोट खींचते तो बिरजू टांग मारने की पोजीशन में आ जाते , न तो बेनिया ही हिम्मत जुटा सके , न बिरजू ने ही पूरी टांग मारी। मैदान की फिसलन और मौजूद घास पूरी कोशिश बेकार कर सकती थी। दंगल कमिटी ने भी उस वक्त माना अखाड़े में कमी हैं। इस तरह समय बीत गया , कुश्ती का फैसला न हो सका। बेनिया और बिरजू इस बार बराबर रहे। हाल कुछ ऐसा रहा की तुम्हारी भी जय जय , हमारी भी जय जय , न तुम जीते न हम हारे।
सुनील जीरक पूरिया और फर्रूक जम्मू।
सुनील को दुसरे नंबर की जोड़ माना जाने लगा हैं , ये सुनकर सुनील की कुश्ती देखने का बड़ा मन था। सुडौल और मजबूत कद काठी के सुनील के सामने फारुख छोटा सा दिखा , तो मैंने भी सोचा की सुनील मार लेगा , जल्दी ही। लेकिन ये क्या खूबसूरत बचाव की तकनीक अपनाई फारुख ने , और पीछे आकर कंट्रोल भी किया सुनील को। अपनी पूरी ताकत झोंकी सुनील ने , लेकिन फारुख का बाल भी बांका न कर सके। हालांकि फारुख कई बार हाँफते जरूर दिखे , एक बार तो अखाड़े के बाहर लगभग चित्त कर दिया , लेकिन समस्त जनता , गुरु खलीफाओं ने हाथ हिलाकर कुश्ती नहीं होने का इशारा किया। फारुख पक्ष में जम्मू के लोग भी बहुत शोर मचाते , लेकिन 20 मिनट बीत गए , फारूख नीचे आये , उनकी गर्दन पर घुटना आया , लंगोटी में हाथ डाल कर कई बार सुनील ने मछली गोता लगाया लेकिन अंत तक बाज़ी फारूख के हाथ में रही। एक बार फिर तीन मिनट की कुश्ती कराई गई , जीरक पर में मैट हैं , अच्छे कोच हैं , सुनील जल्दी नंबर ले जाएगा मैंने सोचा। लेकिन ये तीन मिनट भी बराबर रहे। मुझे लगा की अभी सुनील को गुरु खलीफाओं और जनता के और आशीर्वाद की जरूरत हैं। अभी दो नंबर जोड़ बनने में टाइम लगेगा। मेरी समझ में तो फारुख ही ये कुश्ती का समाँ ले गए , कम वजन होने पर उन्हें जीता भी कह सकूंगा। अगले दिन बद्दी दंगल में , सुनील को पदार्थ पहलवान कोहालि के प्रिंस ने घुटना रख कर चित्त किया तो बात पुख्ता हो गई। बड़ा पहलवान बनने में विचार भी बड़े , व्यवहार भी बड़ा और भाग्य भी बड़ा चाहिए।
ENGLISH VERSION
Organised by Whatsapp Group ‘Yaar Kushti Ke Shoukeen’
Group Administrator: Gurdeep Brahmanwala.
Venue: Domail School Playground, Katra, Jammu, Jammu & Kashmir.
Gurdeep Brahmanwala has brought 21st century technology to the ancient art of Indian wrestling. Using the mobile messaging platform WhatsApp, he has brought the wrestling community together in a way that was never before possible and is pioneering an easier and more efficient way of organizing dangals.
After successful WhatsApp dangals in Punjab and Himuchal Pradesh, Gurdeep turned his attention to J&K and with the help of Shiv Kumar Sharma ji -- the face of wresting in Jammu – another great dangal was staged using social media. Shiv kumar Sharma ji generously arranged for wrestlers and organizing group members to stay free at a hotel he owns -- Hotel Basera.
The best wrestlers from neighboring states came to take part in the day long event, which featured 15 main bouts. Matches would have a 20 minute time limit and if the bout was undecided at that point, there would be a 3 minute overtime period based on freestyle wrestling rules.
The first prize match was between Birju wrestler from Delhi and Benia of Jammu and Kashmir. The wrestlers were equally matched and each defended well against the other’s takedown attempts. In the end, the bout was declared a draw.
The second prize match was between Sunil Zeerakpuria of Zeerakpkur near Chandigarh and Farookh, one of the best wrestlers of Jammu. Farookh, though leaner and lighter than Sunil, held his own against the bigger man and the match was also declared a draw.
Wrestler Roshan of Jammu fought a long battle against his nemesis and the match was undecided at the end of the 20 minute time limit. But then he was able to secure a victory in the overtime period.
There were many others wrestlers who fought well including Vikas from Delhi, Amit from Chandigarh police.
The dangal committee honored me for my services to the world of Kushti and I thank them from the bottom of my heart.
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