By Deepak Ansuia Prasad
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शट्ला गाँव मवाना का दंगल। सौजन्य से इरशाद व् क़ादिर भाई।
गंगा मइया से लगभग दस किलोमीटर दूर , मवाने का क्षेत्र यूँ तो "मवाना शूगर मिल" के नाम से प्रसिद्द हैं। लेकिन ऐतिहासिक दृस्टि से मवाना एक महत्वपूर्ण क़स्बा है। मवाना "मुहाना" शब्द से निकला हैं। प्राचीनकालीन महाभारत के समय से ही , भारत की राजधानी हस्तिनापुर के मुहाने पर बने इस प्राचीन शहर का नाम मुहाना से मवाना कब हो गया शायद ही कोई जानता हो। आज मवाने की मिली जुली या यूँ कहें की "गंगा जमुनी" संस्कृती हैं। विभिन्न सम्प्रदाय के मुसलमानो , हिन्दू जाटों , गुर्जर , यादव ( अहीर ) राजपूत , त्यागी , बनिया , जैन , चौहान , जैसे भिन्न भिन्न सामाजिक ताने बाने में बने लोगों का यह एक छोटा सा शहर सम्पूर्ण भारत की विभिन्नता में एकता को समेटे हुए अमन चैन से जी रहा हैं।
अमन चैन से जी रहे इस शहर में कई मेले लगते हैं , जिनमे अमर शहीद चंद्रभान " शहीद चंद्रभान प्रदर्शनी " , मेला मखदुमपुर , गंगा स्नान इत्यादि। आप माने या न माने , कोई लिखे या न लिखे , दिखाए या न दिखाए मवाने के लोगों को एकता के सूत्र में पिरोने वाला एक धागा और भी हैं , और वो हैं कुश्ती की प्राचीन परंपरा से जुड़ा , मवाने का अति प्राचीन दंगल। मवाने के दंगल का भी मवाने जैसा ही प्राचीन इतिहास हैं। खुले खेत में दंगल जुड़ता हैं , भीड़ उमड़ती हैं , दूर दराज से पहलवान आते हैं , खूब कुश्तियां होती हैं , मनोरंजन ही मनोरंजन। दंगल में हुई कुश्तियां लोगों के जहन में हमेशा हमेशा के लिए दर्ज हो जाती हैं। हाँ , इस बार दीपक अनसूया भी यहाँ मौजूद रहा , कितनी ख़ुशी की बात हैं , मवाने का ये दंगल वर्षों बाद रेकार्ड में चढ़ेगा। और जो पहलवान यहाँ कुश्ती दिखा गया वो लोगों के जहन में तो उतरेगा ही, फोटो , वीडियो और समाचार बन कर हमेशा हमेशा के लिए कुश्ती के और मवाने दंगल के इतिहास के पन्नो में अपना नाम दर्ज करा लेगा। मुझे कुश्ती दंगल की कवरेज के लिए आमंत्रित करने का श्रेय हैं भाई इरशाद और क़ादिर को जिसके लिए मैं उनका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।
प्रत्येक वर्ष की ही तरह इस बार भी शटला का दंगल धूम धाम से संपन्न हुआ। इरशाद और कादिर भाई ने बढ़िया इंतजाम किये। अच्छा टेंट , कुर्सियां , माइक , पानी की व्यवस्था , पार्किंग , बेहतरीन अखाडा और देश के नामी पहलवान। दंगल में पार्किंग की व्यवस्था , पुलिस प्रशाशन सभी चाक चौबंद रहे। वहीँ कुश्तियों के जोड़ मिलाने , दंगल का संचालन करने , कमेंटरी व् पहलवानो को नकद इनाम बांटने का जिम्मेदारी ली स्वयं इरशाद भाई व् कादिर भाई ने। दंगल में लोकल व् आस पास के क्षेत्रों से आये पहलवानो के अलावा , पंजाब , हरयाणा व् दिल्ली से भी पहलवान पहुंचे। कुश्तियाँ देखने के लिए हज़ारों हज़ार कुश्ती प्रेमियों की भीड़ उमड़ी , जिन्होंने शांति से बैठ कर दंगल का आनंद लिया।
दंगल में पहले इनाम की कुश्ती हुये नासिर पहलवान गुरु हनुमान अखाडा , दिल्ली और रिंका पहलवान घग्गर सराय पंजाब के बीच। रिंका को नासिर ने नीचे बैठाया तो रिंका ने लोट मारकर पीछे आने की कोशिश की। कुश्ती को ज्यादा देर रुकने न दिया गया और रेफेरे अशोक पहलवान ने दुबारा कुश्ती चलाई। नासिर ने एक बार फिर रिंका को नीचे लाकर , ईरानी दांव लगा कर चित्त कर कुश्ती अपने नाम की। अनुभवी और बड़े पहलवान को हरा कर नासिर ने पैर छु कर रिंका से आशीर्वाद लेकर कुश्ती की शानदार परम्पराओं की याद दिलाई।
दंगल की दूसरी कुश्ती में शेरू गुरु जसराम ने गयूर कैराना को चित्त किया। इसी प्रकार मुबारक गुरु हनुमान ने अपने प्रतिद्वंदी रविंदर सुभाष स्टेडियम को चित किया। वहीँ शमशाद गुरु जसराम और संदीप पंजाब , तालिब और शेरू बराबर , सुमित खरखड़ी और नसीम , नीरज बराबरी पर छूटे। वहीँ गुरु जसराम के शिष्य और शटला गाँव , मवाना के उमर , अहमद , कैफ , दानिस , सलमान , जोगा , पवन, हनी ने भी बेहतरीन कुश्तियां दिखाई।
दंगल में गुरु खलीफाओं का परंपरागत स्वागत किया गया। रहमान पहलवान मलेरकोटला , उस्ताद फरमान पहलवान , हिलाल पहलवान , खलीफा नाइकुल्ला पहलवान , भूरे पहलवान शटला से व् गुरु जसराम अखाड़े से आज़ाद पहलवान , विक्रम पहलवान का विशेष स्वागत किया गया।
ENGLISH VERSION
About 10 kilometers from the sacred river Ganges and Meerut city lies a beautiful town called Mawana. known for its “Mawana Sugar Mill”.
The city is full of “Ganga Jamuni” culture, with people of different communities like Muslims, Hindu Jat, Gurjars, Yadav, ( Ahir), Rajput, Tyagi, Baniya, Jain, Chauhan etc.
The ancient tradition of Kushti in nearby Shatala Village keeps all the clusters of society united into a single and unique society.
The Dangal at Shatala village is organized in an open field. Wrestlers are invited from all over India and the event draws a big crowd. Wrestlers who shine here are remembered forever. Every wrestlers is given a cash prize; the wrestlers who put on a good show are rewarded by the public too.
The Dangal was organized by Irshad Bhai and Qadir Bhai of Shatla Village. The security and law and order were maintained by the Uttar Pradesh Police who did their job very well. Both Irshad and Qadir bhai paired the wrestlers, acted as commentators, and gifted the cash prizes to the winners.
The first prize match was between Nasir Qureshi of Guru Hanuman Akhada and Rinka Pahlwan of Maler Kotla Punjab. Rinka is a seasoned wrestler, while Nasir has become a star at the national level recently. Rinka was pinned by Nasir who won a cash prize of Rs. One Lakh.
In other matches, Sheru Pahlwan, Guru Jasram Akhada, pinned Gayur of Kairana. Mubarak pinned Ravinder of Subhash Stadium.
Big matches that ended in draws were: Shamshad vs Sandeep, Talib vs Sheru, Sumit vs Naseem.
Young wrestlers of Shatla and disciples of Guru Jasram, Umar, Ahmad, Kaif, Danish, Salman, Joga, Pawan, honey put on a great show.
As the tradition goes, the gurus were honored with headgear and some cash. These were Rahman of Maler Kotla, Farman Pahlwan, Hilal Pahlwan, Khalifa Naikulla, Bhore Pahlwan. While Wrestler Azad and Vikram Pahlwan were given a warm welcome and honored in public.
I would like to thank Mr. Irshad and Mr. Qadir for sending me an invitation to cover the event. Along with Ashok Coach of Railway I reached the venue well on time where Irshad and Qadir Bhai welcomed me.
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