Dainik Jagran
संवाददाता, इगलास : नगर के लख्खी मेले में हुए कुश्ती दंगल में आखिरी कुश्ती कुंवरपुर के पहलवान वीरेंद्र ने बिना लड़े ही जीत ली।
वसंत उत्सव पर हुए इस कुश्ती दंगल का की शुरुआत चेयरमैन पति हरीश शर्मा व नंदकुमार शर्मा ने किया। इस मौके उन्होंने कुश्ती को बृज की धरोहर बताया। कुश्ती दंगल में दूर-दराज से आये पहलवानों ने अपने दांव आजमाये। आखिरी कुश्ती के लिए दंगल में उतरे कुंवरपुर (हाथरस) के पहलवान वीरेंद्र से कोई भी प्रतिभागी हाथ मिलाने के लिए नहीं आया। इस पर दंगल आयोजकों ने उन्हें विजेता घोषित कर दिया। विजेता को 51 सौ रुपये व पगड़ी बांध कर सम्मानित किया। वहीं दूसरे नंबर की कुश्ती का रोचक मुकाबला अलीगढ़ के पहलवान ब्रजेश व तिरवाया के पहलवान सोनू के बीच हुआ। दोनों ही पहलवानों की कुश्ती बराबरी पर छूटी। दोनों 11-11 सौ रुपये दिये गये। रेफरी की भूमिका शिवलाल ने अदा की। इस मौके पर मुकेश शर्मा, कोमल शर्मा, पप्पू चौधरी, गौरव, विशाल, वीरेन्द्र बघेल, योगेश अग्रवाल, ओमप्रकाश गुप्ता आदि थे।
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Feb 28, 2013
यहां की मिट्टी से और कोई बड़ा नाम नहीं निकला।
Daily Tribune
बल्लभगढ़ स्थित प्राचीन पथवारी मंदिर व्यायामशाला में कुश्ती के दाव-पेंच सीखते बच्चे।
फरीदाबाद : औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में विश्व का प्राचीनतम खेल कुश्ती सिसक-सिसक कर दम तोडऩे को मजबूर है। सरकार व जिला प्रशासन द्वारा इस खेल के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराने के चलते अखाड़ों से नामचीन पहलवान निकलने बंद हो गये हैं। लेकिन हरियाणा की मिट्टी में रचे-बसे बच्चों की रगों में कुश्ती बहती है और अखाड़ों में पसीने के रूप में बाहर निकलती है। सरकारी नौकरियों के टोटे के चलते इन अखाड़ों से निकलने वाले कुछ पहलवान बाउंसर बनने को भी मजबूर हैं। फरीदाबाद क्योंकि दिल्ली के नजदीक है सो यहां मॉल, नाइट क्लब, पब आदि काफी संख्या में हैं। ऐसे में बाउंसरों की आपूर्ति के माध्यम भी अखाड़े बन रहे हैं।
बल्लभगढ़ के प्राचीन पथवारी मंदिर में स्थित जिले के प्रसिद्ध अखाड़े के संचालक बालकिशन कौशिक जो लीलू पहलवान के नाम से प्रसिद्ध हैं, का कहना है,’जनाब, रोजी-रोटी भी तो कमानी है। उन्होंने कहा,’ अच्छे बच्चों को तो सरकारी नौकरी मिल जाती है लेकिन बाकी क्या करें। उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को सरकारी नौकरी नहीं मिल पाती वह उन्हें सिक्योरिटी एजेंसी में लगवा देते हैं। इनमें से कुछ बाउंसर भी बन जाते हैं। फरीदाबाद के अखाड़ों से निकले जम्भर पहलवान, बेदी पहलवान, धनी पहलवान आदि सरकारी नौकरी न मिलने के कारण बाउंसर के तौर पर नौकरी कर रहे हैं। इसी प्रकार दिल्ली जसराज अखाड़े के बलवान चंदीला, सुंदर पहलवान, नितिन पहलवान, कृष्ण पहलवान और सुनील पब, मॉल, रेस्टोरेंट तथा सिक्योरिटी सर्विस में काम कर रहे हैं।
फरीदाबाद में अखाड़ों में सुविधाओं की कमी की वजह से यहां के पहलवान दिल्ली स्थित अखाड़ों की ओर रुख करने लगे हैं। हालात ये हैं कि अखाड़ों में सुविधाओं की कमी के चलते पहलवान जिम जाने लगे हैं और पहलवानी के थोड़े-बहुत गुर सीखने के बाद कुश्ती में भाग्य आजमाने की बजाय बाउंसर बन अपनी आजीविका कमा रहे हैं। दोहा एशियन गेम कांस्य पदक विजेता नेहा राठी, अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी नेत्रपाल हुड्डा, सेवानिवृत्त कैप्टन गोपीनाथ, मीर सिंह व रामधन पहलवान के अलावा
औद्योगिक नगरी फरीदाबाद के लोगों का ध्यान वर्ष 2006 में अचानक ही कुश्ती की ओर आकर्षित हुआ। 2006 में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के पहलवान एवं फरीदाबाद पुलिस के सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षक जगरूप राठी की पुत्री नेहा राठी ने दोहा में आयोजित 15वें एशियन गेम्स में शिरकत की थी तथा कांस्य पदक प्राप्त कर हरियाणा व देश का नाम रौशन किया था। न तो उससे पूर्व और न ही बाद में कोई महिला पहलवान अखाड़े से निकली।
हिन्द केसरी ओलम्पिक से कुश्ती हटाने से दुखी : वर्ष 1973 में दिल्ली में आयोजित कुश्ती में नेत्रपाल ने पंजाब के पहलवान मेहरुद्दीन को हरा कर हिन्द केसरी का खिताब जीता था। ओलम्पिक से कुश्ती को हटाने के प्रस्ताव से नेत्रपाल हुड्डा काफी दुखी हैं। उनका कहना है कि कुश्ती के लिए हमेशा से ही रेगिस्तान समझी जाने वाली फरीदाबाद की धरती से इस निर्णय के बाद से पहलवानों की खेप निकलनी ही बंद हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि इटली, जापान, मंगोलिया, भारत, रूस, अमेरिका, ईरान जैसे देशों को इस निर्णय के खिलाफ आगे आना चाहिए।
जिले का प्रमुख एवं सबसे प्राचीन अखाड़ा बल्लभगढ़ के प्राचीन पथवारी मंदिर में स्थित है। यह अखाड़ा करीब 50 वर्ष पुराना है। इसका संचालन बाल किशन कौशिक उर्फ लीलू पहलवान व गोपी पहलवान के नेतृत्व में हो रहा है। इस अखाड़े में 15 बड़े पहलवान तथा 20 कुमारों को प्रशिक्षण दिया जाता है। जिनमें भोला, राहुल, निशांत पहलवान, अनूप, योगेश शर्मा, नानक, सुरेन्द्र आदि प्रमुख हैं। इसी व्यायामशाला में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर चुकी नेहा राठी भी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी है। वहीं विनोद पहलवान नेशनल जूनियर, सीनियर कुश्ती में भाग ले चुके हैं।
महाराणा प्रताप व्यायामशाला : यह अखाड़ा 12 वर्षों से चल रहा है। इस व्यायामशाला का संचालन जयप्रकाश व वीरपाल पहलवान करते हैं। इस व्यायामशाला में करीब 12 पहलवान प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस में एक कोच है। यहां के जगबीर पहलवान को जिला केसरी का खिताब प्राप्त है तथा हरियाणा ओलम्पिक में तीसरे नम्बर पर रहे हैं। इस अखाड़े के दीपक पहलवान सौ प्रतिशत दे-दनादन साउथ अफ्रीकी प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं। हरीश पहलवान 66 किलोग्राम में फरीदाबाद में, वजीब पहलवान 76 किलोग्राम में फरीदाबाद में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके है। राकेश पहलवान को पूर्व केसरी व जिला कुमार का खिताब भी प्राप्त है।
ग्यासीवाला मंदिर व्यायामशाला : यह व्यायामशाला पिछले 60 वर्षों से चल रही है। इस व्यायामशाला को कृष्ण व लक्ष्मण पहलवान चलाते हैं। इसमें करीब 13 पहलवान प्रशिक्षण ले रहे हैं। इससे पूर्व इस व्यायामशाला का संचालन रोहताश पहलवान करते थे जिन्हें जिला केसरी का भी खिताब प्राप्त है। इस व्यायामशाला में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके पहलवान प्रदेश स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं।
श्री हनुमान मंदिर व्यायामशाला : इस व्यायामशाला की देख-रेख शीशपाल पहलवान पिछले कई सालों से कर रहे हैं। यह व्यायामशाला पिछले 12 वर्षों से चल रही है। इस में 11 पहलवान प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है।
इसके अलावा गांव झाड़सेंतली में किशन खलीफा व्यायामशाला, गांव फतेहपुर बिल्लोच में सता शिब्बी व्यायामशाला, सेक्टर-2 मुजेड़ी मोड़ पर बलवे पहलवान की व्यायामशाला, मवई रोड पर शिव अखाड़े के नाम से अखाड़े चल रहे हैं।
बल्लभगढ़ स्थित प्राचीन पथवारी मंदिर व्यायामशाला में कुश्ती के दाव-पेंच सीखते बच्चे।
फरीदाबाद : औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में विश्व का प्राचीनतम खेल कुश्ती सिसक-सिसक कर दम तोडऩे को मजबूर है। सरकार व जिला प्रशासन द्वारा इस खेल के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराने के चलते अखाड़ों से नामचीन पहलवान निकलने बंद हो गये हैं। लेकिन हरियाणा की मिट्टी में रचे-बसे बच्चों की रगों में कुश्ती बहती है और अखाड़ों में पसीने के रूप में बाहर निकलती है। सरकारी नौकरियों के टोटे के चलते इन अखाड़ों से निकलने वाले कुछ पहलवान बाउंसर बनने को भी मजबूर हैं। फरीदाबाद क्योंकि दिल्ली के नजदीक है सो यहां मॉल, नाइट क्लब, पब आदि काफी संख्या में हैं। ऐसे में बाउंसरों की आपूर्ति के माध्यम भी अखाड़े बन रहे हैं।
बल्लभगढ़ के प्राचीन पथवारी मंदिर में स्थित जिले के प्रसिद्ध अखाड़े के संचालक बालकिशन कौशिक जो लीलू पहलवान के नाम से प्रसिद्ध हैं, का कहना है,’जनाब, रोजी-रोटी भी तो कमानी है। उन्होंने कहा,’ अच्छे बच्चों को तो सरकारी नौकरी मिल जाती है लेकिन बाकी क्या करें। उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को सरकारी नौकरी नहीं मिल पाती वह उन्हें सिक्योरिटी एजेंसी में लगवा देते हैं। इनमें से कुछ बाउंसर भी बन जाते हैं। फरीदाबाद के अखाड़ों से निकले जम्भर पहलवान, बेदी पहलवान, धनी पहलवान आदि सरकारी नौकरी न मिलने के कारण बाउंसर के तौर पर नौकरी कर रहे हैं। इसी प्रकार दिल्ली जसराज अखाड़े के बलवान चंदीला, सुंदर पहलवान, नितिन पहलवान, कृष्ण पहलवान और सुनील पब, मॉल, रेस्टोरेंट तथा सिक्योरिटी सर्विस में काम कर रहे हैं।
फरीदाबाद में अखाड़ों में सुविधाओं की कमी की वजह से यहां के पहलवान दिल्ली स्थित अखाड़ों की ओर रुख करने लगे हैं। हालात ये हैं कि अखाड़ों में सुविधाओं की कमी के चलते पहलवान जिम जाने लगे हैं और पहलवानी के थोड़े-बहुत गुर सीखने के बाद कुश्ती में भाग्य आजमाने की बजाय बाउंसर बन अपनी आजीविका कमा रहे हैं। दोहा एशियन गेम कांस्य पदक विजेता नेहा राठी, अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी नेत्रपाल हुड्डा, सेवानिवृत्त कैप्टन गोपीनाथ, मीर सिंह व रामधन पहलवान के अलावा
औद्योगिक नगरी फरीदाबाद के लोगों का ध्यान वर्ष 2006 में अचानक ही कुश्ती की ओर आकर्षित हुआ। 2006 में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के पहलवान एवं फरीदाबाद पुलिस के सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षक जगरूप राठी की पुत्री नेहा राठी ने दोहा में आयोजित 15वें एशियन गेम्स में शिरकत की थी तथा कांस्य पदक प्राप्त कर हरियाणा व देश का नाम रौशन किया था। न तो उससे पूर्व और न ही बाद में कोई महिला पहलवान अखाड़े से निकली।
हिन्द केसरी ओलम्पिक से कुश्ती हटाने से दुखी : वर्ष 1973 में दिल्ली में आयोजित कुश्ती में नेत्रपाल ने पंजाब के पहलवान मेहरुद्दीन को हरा कर हिन्द केसरी का खिताब जीता था। ओलम्पिक से कुश्ती को हटाने के प्रस्ताव से नेत्रपाल हुड्डा काफी दुखी हैं। उनका कहना है कि कुश्ती के लिए हमेशा से ही रेगिस्तान समझी जाने वाली फरीदाबाद की धरती से इस निर्णय के बाद से पहलवानों की खेप निकलनी ही बंद हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि इटली, जापान, मंगोलिया, भारत, रूस, अमेरिका, ईरान जैसे देशों को इस निर्णय के खिलाफ आगे आना चाहिए।
जिले का प्रमुख एवं सबसे प्राचीन अखाड़ा बल्लभगढ़ के प्राचीन पथवारी मंदिर में स्थित है। यह अखाड़ा करीब 50 वर्ष पुराना है। इसका संचालन बाल किशन कौशिक उर्फ लीलू पहलवान व गोपी पहलवान के नेतृत्व में हो रहा है। इस अखाड़े में 15 बड़े पहलवान तथा 20 कुमारों को प्रशिक्षण दिया जाता है। जिनमें भोला, राहुल, निशांत पहलवान, अनूप, योगेश शर्मा, नानक, सुरेन्द्र आदि प्रमुख हैं। इसी व्यायामशाला में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर चुकी नेहा राठी भी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी है। वहीं विनोद पहलवान नेशनल जूनियर, सीनियर कुश्ती में भाग ले चुके हैं।
महाराणा प्रताप व्यायामशाला : यह अखाड़ा 12 वर्षों से चल रहा है। इस व्यायामशाला का संचालन जयप्रकाश व वीरपाल पहलवान करते हैं। इस व्यायामशाला में करीब 12 पहलवान प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस में एक कोच है। यहां के जगबीर पहलवान को जिला केसरी का खिताब प्राप्त है तथा हरियाणा ओलम्पिक में तीसरे नम्बर पर रहे हैं। इस अखाड़े के दीपक पहलवान सौ प्रतिशत दे-दनादन साउथ अफ्रीकी प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं। हरीश पहलवान 66 किलोग्राम में फरीदाबाद में, वजीब पहलवान 76 किलोग्राम में फरीदाबाद में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुके है। राकेश पहलवान को पूर्व केसरी व जिला कुमार का खिताब भी प्राप्त है।
ग्यासीवाला मंदिर व्यायामशाला : यह व्यायामशाला पिछले 60 वर्षों से चल रही है। इस व्यायामशाला को कृष्ण व लक्ष्मण पहलवान चलाते हैं। इसमें करीब 13 पहलवान प्रशिक्षण ले रहे हैं। इससे पूर्व इस व्यायामशाला का संचालन रोहताश पहलवान करते थे जिन्हें जिला केसरी का भी खिताब प्राप्त है। इस व्यायामशाला में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके पहलवान प्रदेश स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं।
श्री हनुमान मंदिर व्यायामशाला : इस व्यायामशाला की देख-रेख शीशपाल पहलवान पिछले कई सालों से कर रहे हैं। यह व्यायामशाला पिछले 12 वर्षों से चल रही है। इस में 11 पहलवान प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है।
इसके अलावा गांव झाड़सेंतली में किशन खलीफा व्यायामशाला, गांव फतेहपुर बिल्लोच में सता शिब्बी व्यायामशाला, सेक्टर-2 मुजेड़ी मोड़ पर बलवे पहलवान की व्यायामशाला, मवई रोड पर शिव अखाड़े के नाम से अखाड़े चल रहे हैं।
Feb 23, 2013
Feb 16, 2013
SAFAI DANGAL
By Deepak Ansuia Prasad
उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है और माननीय अखिलेश यादव जी मुख्य मंत्री हैं , इस बार उनके गाँव सैफई में , सैफई महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया ! महोत्सव में रंगारंग कार्यकर्म, मेले बॉलीवुड अभिनेताओं के डांसिंग शो जैसी अनेक धमाकेदार प्रस्तुतियां थी ! ये सबकुछ हो और कुश्ती दंगल न हो , ऐसा स्वयं पहलवान रह चुके एस पी सुप्रीमो मुलायम सिंह जी के होते नहीं हो सकता ! लगातार 15 दिनों तक चलने वाले सैफई -महोत्सव में कुश्ती दंगल का भी एक दिन रखा गया , पुरे हिन्दुस्तान से पहलवानों को निमंत्रण दिया गया ! मिटटी की कुश्ती व् ओलंपिक कुश्ती दोनों संस्थाओं के सभी गणमान्य व्यक्तियों को भी निमंत्रण दिया गया ! कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण सिंह जी, व् सेक्रेटरी राज सिंह जी तथा सुशील पहलवान ने भी दंगल में शिरकत की !कुश्ती दंगल सैफई के शानदार गुरु चन्दगी राम दंगल में कराया गया , दंगल से पहले स्कूल कालेजों के छात्र-छात्राओं ने अनेकों प्रकार के नृत्य संगीत के रंगारंग कार्यकर्म पेश किये ! दंगल में महिला व् पुरुष दोनों वर्गों की कुश्तियां रखी गई थी , दंगल की पहली कुश्ती महिला वर्ग में अंशु तोमर व् पुरुष वर्ग में मौसम खत्री ने जीती ! मौसम ने विजयपाल को हरा सबका दिल जीत लिया ! सूरज पहलवान की लड़की दिव्या ने भी बहुत बेहतरीन कुश्ती दिखाई , मुलायम सिंह व् अखिलेश जी ने उन्हें अपने पास बुलाकर शाबाशी दी ! मुख्यमंत्री स्वयं दंगल देखने वी आई पी शामियाने से उतर कर मैदान में जनता के बीच आ बैठे , और पहलवानों को प्रोत्साहन देते रहे ! जगदीश कालीरमण , भगत पहलवान, राजू हिन्द केसरी , ने दंगल को सुचारू रूप से चलाया , जगदीश भाई ने मीडिया को दंगल की जानकारी दी और दंगल की कमेंटरी भी उनकी जिम्मेदारी रही ! मुझे पहली बार सैफई गाँव देखने का मौका मिला और वहां के विकास को देख कर मै कह सकता हूँ की शायद ही हिंदुस्तान को गाँव इतना संपन्न होगा , गाँव में 2 बड़े इंडोर स्टेडियम, छात्रावास व् क्रिकेट और, स्कूल, कॉलेज , बड़े अस्पताल, बैंक, पार्क, बेहतर जन सुविधाएं, आवास इत्यादि ! इस तरह यदि हिन्दुस्तान के और भी गाँवों की हालत सुधरे तो देश खुशहाल हो जाए !
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ENGLISH VERSION
Uttar Pradesh is one of biggest states of India. It has seen a change in leadership recently and the chief minister is now Mr. Akhilesh Yadav ji, whose father was a great wrestler and teacher, as well as the defence minsiter and chief minister of UP also.
The Safai festival or Safai Mahotsav was conducted with much fanfare. A great kushti dangal was the main event, but there were lots of other festivities and the that attracted VIPs and Bollywod stars for the full 15 days.
Wrestlers from all over the country were invited. President of Indian wrestling Mr. Brajbhooshan ji, Secretary Sh. Raj singh ji and their officials were present to conduct the competition. Also present were officials of the Indian mud wrestling association who organise Hind kesri dangal.
Olympian Sushil Kumar, Hind Kesari Bhagat Singh, Raju, Anuj Chowdhry were also present. Hind Kesari Jagdish Kaliraman ji organised the dangal and acted as the announcer.
Before the competition there were beautiful Indian folk dances and singing.
The dangal featured both men’s and women’s bouts. Hind kesri Mausam Khatree took first prize in the men’s division and Anshu tomar won the women’s division.
Mausam khatree defeated Vijaypal easily that made the crowd go wild.
Sooraj pahlwan's daughter divya, and other girls indu chowdhry, also won their bouts. When the chief minister came to the dangal compound the police had tough time controlling the crowd of wrestlers who wanted to meet him.
I also got a chance to see Safai village, which has grown, with an airport, school, colleges, three big stadiums, and good infrastructure.
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उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है और माननीय अखिलेश यादव जी मुख्य मंत्री हैं , इस बार उनके गाँव सैफई में , सैफई महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया ! महोत्सव में रंगारंग कार्यकर्म, मेले बॉलीवुड अभिनेताओं के डांसिंग शो जैसी अनेक धमाकेदार प्रस्तुतियां थी ! ये सबकुछ हो और कुश्ती दंगल न हो , ऐसा स्वयं पहलवान रह चुके एस पी सुप्रीमो मुलायम सिंह जी के होते नहीं हो सकता ! लगातार 15 दिनों तक चलने वाले सैफई -महोत्सव में कुश्ती दंगल का भी एक दिन रखा गया , पुरे हिन्दुस्तान से पहलवानों को निमंत्रण दिया गया ! मिटटी की कुश्ती व् ओलंपिक कुश्ती दोनों संस्थाओं के सभी गणमान्य व्यक्तियों को भी निमंत्रण दिया गया ! कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण सिंह जी, व् सेक्रेटरी राज सिंह जी तथा सुशील पहलवान ने भी दंगल में शिरकत की !कुश्ती दंगल सैफई के शानदार गुरु चन्दगी राम दंगल में कराया गया , दंगल से पहले स्कूल कालेजों के छात्र-छात्राओं ने अनेकों प्रकार के नृत्य संगीत के रंगारंग कार्यकर्म पेश किये ! दंगल में महिला व् पुरुष दोनों वर्गों की कुश्तियां रखी गई थी , दंगल की पहली कुश्ती महिला वर्ग में अंशु तोमर व् पुरुष वर्ग में मौसम खत्री ने जीती ! मौसम ने विजयपाल को हरा सबका दिल जीत लिया ! सूरज पहलवान की लड़की दिव्या ने भी बहुत बेहतरीन कुश्ती दिखाई , मुलायम सिंह व् अखिलेश जी ने उन्हें अपने पास बुलाकर शाबाशी दी ! मुख्यमंत्री स्वयं दंगल देखने वी आई पी शामियाने से उतर कर मैदान में जनता के बीच आ बैठे , और पहलवानों को प्रोत्साहन देते रहे ! जगदीश कालीरमण , भगत पहलवान, राजू हिन्द केसरी , ने दंगल को सुचारू रूप से चलाया , जगदीश भाई ने मीडिया को दंगल की जानकारी दी और दंगल की कमेंटरी भी उनकी जिम्मेदारी रही ! मुझे पहली बार सैफई गाँव देखने का मौका मिला और वहां के विकास को देख कर मै कह सकता हूँ की शायद ही हिंदुस्तान को गाँव इतना संपन्न होगा , गाँव में 2 बड़े इंडोर स्टेडियम, छात्रावास व् क्रिकेट और, स्कूल, कॉलेज , बड़े अस्पताल, बैंक, पार्क, बेहतर जन सुविधाएं, आवास इत्यादि ! इस तरह यदि हिन्दुस्तान के और भी गाँवों की हालत सुधरे तो देश खुशहाल हो जाए !
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Uttar Pradesh is one of biggest states of India. It has seen a change in leadership recently and the chief minister is now Mr. Akhilesh Yadav ji, whose father was a great wrestler and teacher, as well as the defence minsiter and chief minister of UP also.
The Safai festival or Safai Mahotsav was conducted with much fanfare. A great kushti dangal was the main event, but there were lots of other festivities and the that attracted VIPs and Bollywod stars for the full 15 days.
Wrestlers from all over the country were invited. President of Indian wrestling Mr. Brajbhooshan ji, Secretary Sh. Raj singh ji and their officials were present to conduct the competition. Also present were officials of the Indian mud wrestling association who organise Hind kesri dangal.
Olympian Sushil Kumar, Hind Kesari Bhagat Singh, Raju, Anuj Chowdhry were also present. Hind Kesari Jagdish Kaliraman ji organised the dangal and acted as the announcer.
Before the competition there were beautiful Indian folk dances and singing.
The dangal featured both men’s and women’s bouts. Hind kesri Mausam Khatree took first prize in the men’s division and Anshu tomar won the women’s division.
Mausam khatree defeated Vijaypal easily that made the crowd go wild.
Sooraj pahlwan's daughter divya, and other girls indu chowdhry, also won their bouts. When the chief minister came to the dangal compound the police had tough time controlling the crowd of wrestlers who wanted to meet him.
I also got a chance to see Safai village, which has grown, with an airport, school, colleges, three big stadiums, and good infrastructure.
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