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Jun 30, 2013

Guru Prakash Pahlwan Wrestling School in Uttar Pradesh

गुरु प्रकाश प्रधान - कुश्ती व्यायाम शाळा , नलगढ़ा , सेक्टर 145 नॉएडा उत्तर परदेश

By Deepak Ansuia Prasad




उत्तर प्रदेश में पहलवानी की बहुत पुरानी और शानदार परम्परा देश के किसी भी अन्य शहर से किसी भी मायने में उन्नीस नहीं हैं। यहाँ पहलवानों और अखाड़ों की भी कमी नहीं हैं। पहलवानों व् जनता के मनोरंजन के लिए होने वाले दंगलों की संख्या में भी किसी अन्य राज्य से कमी नहीं हैं। कुश्ती संघ के अध्यक्ष ( प्रेजिडेंट ऑफ़ रेसलिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया ) श्री ब्रजभूषण जी ( सांसद ) भी इसी प्रदेश से ही हैं। इसी धरती पर एक और महान हस्ती , कुश्ती प्रेमी और प्रतिष्ठित प्रकाश प्रधान जी उत्तर प्रदेश के हलकों में एक बहुआयामी सामाजिक व्यक्तित्व के धनी सज्जन हैं। उनके कुश्ती प्रेम से नॉएडा और आस पास के क्षेत्र में पहलवानों के लिए भरपूर सुविधाओं के नए आयाम स्थापित हुए हैं। पहलवानों को एक बेहतर और मूलभूत सुविधाओं से सुसज्जित अखाड़ा उपलब्ध कराने की प्रकाश प्रधान जी बलवती इच्छा थी। पिछले वर्ष 2012 में उन्होंने अपनी इस इच्छा को सेवा भाव से अमली ज़ामा पहनाते हुए , पहलवानों के लिए एक स्टेट ऑफ़ आर्ट अखाड़ा तैयार कराया। जिसमे 35 X 40 फीट का एक बड़ा अखाडा जो की मजबूत लौह -स्तंभों और आयरन शीट्स से कवर किया गया। साथ में ही ठीक इसी प्रकार का फुल्ली कवर्ड मैट रेसलिंग हाल , पहलवानों के लिए सुन्दर - और सभी सुविधाओं से युक्त वातानुकूलित कमरे , 24 घंटे नहाने धोने के लिए जलकूप , और वाटर स्टोरेज , आधुनिक किचन , बड़े फ्रीजर , दूध के लिए गाय , भैंस और राशन - पानी का फ्री इंतज़ाम। स्वयं अपने बलबूते पर पहलवानों को इतनी सुविधाएं बहुत कम गुरुजनों ने दी है। पूछने पर उन्होंने बताया की इस गाँव में भगत सिंह और उनके साथी अंग्रेजों की खिलाफत के लिए बहुत समय तक रुके रहे और क्रांतिकारी कार्यों को अंजाम देते रहे , उनकी क्रांतिकारी सोच और विचारधारा ने ही उन्हें पुराने ढर्रे पर चल रहे अखाड़ों से हट कर कुछ नया करने की सोच और जज्बा प्रदान किया। हाल में अखाड़े में 50-60 बच्चे है। आर्मी से सेवा निर्वृत हवलदार कोच मनोज साहब ने बताया की यहाँ पर छोटे और नए बच्चे ज्यादा है, उनके खान पान , रहन सहन , और मेहनत और प्रैक्टिस पर ख़ास तवज्जो दी जाती है। प्रधान जी हर बच्चे पर व्यक्तिगत ध्यान देते हैं और बच्चों को प्रेरित करते हनी उन्हें किसी भी प्रकार की कोई भी जरूरत हो तो पूरा करने की कोशिश करते हैं। इतनी सुविधाओं और मोटिवेशन के बाद बच्चों का अच्छी कुश्ती दिखाना लाजिमी है। कुश्ती के क्षेत्र में तन मन धन से जुड़े ऐसे महानुभाओं के दर्शन मात्र से भी मेरा जीवन धन्य हो जाता हैं।

ENGLISH VERSION

Wrestling is flourishing in the state of Uttar Pradesh. There are many akharas and they are rising in numbers. Throughout India wrestler showcase their skill and strength in the local wrestling competitions called dangals, which are also becoming more and more popular.
The president of the wresting federation of India, Mr. Brajbhooshan Saran ji (Member of Parliament) is also from this state. Another distinguished person who loves kushti and is a prominent social worker, is Shree Prakash Pradhan Lakhnavli wale. His work on behalf of the sport has resulted in improved facilities for wrestlers in Uttar Pradesh. He is keenly interested in changing the existing wrestling practice in order to motivate wrestler to practice more and bring laurels to the state and to the country. He dreamt of a wrestling school with all the facilities a wrestler can imagine. He started a new wrestling school with his own funds at Nalgadha Village Sec. 145 NOIDA Uttar Pradesh.
The akhada is 35’ by 40’. Covered with iron pillars and sheets. An equally big fully covered wrestling hall has a mat, throwing dummies, and air conditioning. There are also big air-conditioned rooms for wrestlers, a small swimming pool, a gym, and desi work out facilities like rope, mugdar etc. He also facilitated wrestlers with a community kitchen with free ration, freezer, R.O. Plant for water purification.
The akhara also offers transportation for wrestlers. Coach Manoj Kumar, who is retired from armed forces, told me that due care is given to wrestler’s food, practice and workouts. Presently the akhara houses 50-60 wrestlers, mainly young boys who are working two times a day to bring glory for their area, state and nation.
The idea came to him after the revolutionary ways of shaheed Bhagat singh who stayed there during the british era and did their work from here to bring freedom to the country told Prakash Pradhan ji. People like him are rare and I feel grateful for such dedicated men who are contributing to survive the ages old sport.