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Apr 13, 2014

Choor Mazra Village Kushti Dangal Punjab

By Deepak Ansuia Prasad














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मार्च 15 2014

चूर , माजरा, मोहाली पंजाब

सरपंच प्रीतम सिंह जी कि अगुवाई में , चूर माजरा गाँव कि पंचायत ने गाँव के प्राइमरी स्कूल में एक शानदार कुश्ती दंगल का आयोजन किया। दंगल कमेटी के सदस्यों में अमरजीत सिंह व् नाथ सिंह ठेकेदार भी शामिल रहे. वहीँ कमेटी के अन्य सदस्यों दारा सिंह व् गोलू पहलवान ने पहलवानो के हाथ मिलाये और कुश्तियाँ बाँधी। एनाउंसर का काम संत सिंह जी ने बखूबी किया , उनकी आवाज में बढ़िया कमेंट्री और बीच बीच में उनकी मजेदार शेरो शायरी ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।

दंगल में पहली कुश्ती गौरव उना व् गौरव माशिवारा के बीच हुई , जिसमे माशिवारा के गौरव ने उना के गौरव को चलती कुश्ती पे चित कर इनाम हासिल किया। गौरव इस सीजन में बहुत बढ़िया प्रदर्शन कर रहे हैं, अभी हाल ही में गौरव की एक कुश्ती जोगिन्दर पहलवान से भी बराबर रही और देश भर में चर्चा का विषय बनी थी।

वहीँ दूसरी कुश्ती में चंडीगढ़ पुलिस के पहलवान अमित एक लम्बी कुश्ती लड़े और बराबरी पर छूटे , मुल्लापुर गरीबदास विष्वकर्मा अखाड़े के जगमोहन ने कुश्ती जीत कर बता दिया कि अखाड़े में जॉर्जिया से आये कोच पहलवानो को एक अच्छी तैयारी करा रहे हैं हालांकि अभी इस सफर की शुरआत ही हुई हैं।

पंजाब में दंगल बेहतरीन होते हैं. और दंगल का अपना एक अनोखा स्टाइल है , अमूमन एक खेत के बराबर बड़ा अखाडा होता हैं. अखाड़े के चारों और बड़े- बड़े रंग बिरंगे लाल पीले झण्डे अखाड़े कि हद बताते हैं. और अखाड़े की सुंदरता में चार चाँद लगाते हैं। दंगल के बीचो बीच छुट्टी की झंडी लगाई जाती हैं। जिसपे दंगल के बड़े पहलवान दावेदारी पेश करते हैं। दंगल की व्यवस्था तो बेहतरीन होती ही हैं, अखाड़े के चारों और मैट या दरिया बिछाई जाती हैं, जिन पर अलग अलग अखाड़ों के गुरु खलीफा अपने पहलवानो के साथ बैठे होते हैं. दंगल के आयोजक वहीँ पहुँच कर पहलवानो के नाम लिखते हैं और फिर उनके जोड़ मिलाते हैं, दंगल में कुश्ती आयोजकों की मर्जी के अनुसार ही होती हैं। दंगल में पहलवानो के जोड़े मिलाने को हथजोड़ी कहती हैं जिसको बखूबी अंजाम देती हैं दंगल कमिटी। दंगल कमिटी के अधिकारी तय करते हैं कि किसको किस से जोर आजमाइश करनी हैं. वे दंगल में दो पहलवानो के नाम बोल कर , उन्हें अखाड़े में बुलाकर सबके सामने हाथ मिलाने के लिए आमंत्रित करते हैं . यदि दोनों ने यह चैलेंज स्वीकार किया तो दंगल कमेटी उनके नाम कि पर्ची बना देती हैं। समय आने पर उस पर्ची से पढ़ कर उनका नाम बोला जाता हैं और वो अपने -२ कुश्ती का हुनर दर्शकों को दिखा कर तालियाँ बटोरते हैं और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन होता हैं । इनाम क्या होगा ये भी दंगल कमेटी ही तय करती हैं जैसा पहलवान। पब्लिक भी शांति से बैठ कर दंगल देखती हैं। पब्लिक के सहयोग के बिना दंगल में अव्यवस्था का माहौल बन जाता हैं। इस प्रकार सब कुछ शानदार अंदाज़ में संपन्न होता हैं।

दंगल में कई पहलवान या करतबी मल्ल , अपने -२ करतब दिखाते हैं जैसे कोई अखाड़े के 50 चक्कर दौड़ कर लगाता हैं, तो कोई दांतों से क्विंटल वजन या गाड़ी उठा देता हैं, कोई ह्यूमन रेल ही चला देता हैं सब कुछ मजेदार। यहाँ पर भी ये सब देखना मेरे लिए एक नया अनुभव था। दंगल में सभी दर्शकों, अतिथियों के लिए चाय पानी कि व्यवस्था भी थी। अच्छा माइक, अच्छा एनाउंसर , अच्छे ढोल नगाड़े इत्यादि , इन सब व्यस्थाओं ने दंगल को शानदार बना दिया।

परम्परा अनुसार दंगल में आये सभी गुरु खलीफाओं, मुख्य अतिथियों का पगड़ी पहना कर सम्मान किया गया. दंगल में गाँव के सरपंच परमजीत सिंह जी ने मेरा भी सरोपा भेंट कर मान सम्मान किया उसके लिए मै तहे दिल से उनका शुक्र गुजार हूँ।


ENGLISH VERSION


March 15, 2014
Village Choor Majra, Mohali, Punjab, India.

Village Sarpanch Preetam Singh ji is a proud man. He has been organising a wrestling competition at local school grounds of this Punjabi village for many years. The reason is to remember a local saint, and also to promote the culture of sports, especially wrestling. His committee members include Amarjit Singh, Nath Singh Thekedar, Daand Dara Singh, Golu Pahlwan and many others. While Dara Singh and Golu pahlwan paired the wrestlers, Anouncer Sant Singh ji acted as commentator. He entertained the spectators with his wit and poetry.

The first prize match of the Dangal, which is called Chinj in Punjab, was between Gaurav of Machivara and Gaurav of Una. The match ran for a long time around 20-23 minutes, in which Gaurav Machivara defeated Gaurav of Una and claimed the prize of 1 Lakh ( Rs 100000/-). Gaurav of Machivara has been doing well this season. His kushti match with Joginder of Delhi became famous in Indian kushti circles.

The second prize match was fought by Amit of Chandgarh Police. The match went on for a long time also. Both the wrestlers were equally skilled and with both men totally exhausted, the referee declared the bout a draw.

In other matches, young wrestlers of Mullapur Gareeb Das Akhada did well. These wrestlers are now being trained by a Georgian coach, courtesy of Golu Pahlwan and his brother. Their kushti matches showed how well they are being trained.

I have wanted to cover a Punjab dangal for a long time. Punjab has a great history of wrestling and there are many excellent akharas there. I have to thank Golu Pahlwan of Mullapur Gareeb Das wrestling institute for inviting me and introducing me into the Kushti circles of Punjab. I am very thankful to him for his kindness and hospitality.

Chinj competitions in Punjab are different in many ways from the kushti dangal in Delhi and Haryana. The wrestling arena is the size of a field. There are huge poles with colored flags around the field and in the centre of the field there is one pole with the flag for the best wrestler to claim.

Everything is so well organized, with good sound systems, commentary, refreshments. Mats are laid around the field and wrestling contingents from different akharas sit there with their wrestlers and coaches.

The dangal committee notes down the name of the wrestlers who want to compete and then pairs them with suitable opponents. If the wrestlers accept the pairing the dangal committee members announce the matches and decides the amount of the prize to be awarded for the match. The better the wrestlers, the better the cash prize. Spectators also contribute to the cash prizes.

In between the bouts there are other forms of entertainment, like different tests of strength. At this competition, a man used his teeth to lift weights five times his own weight. And two wrestlers ran 50 laps around the field. Drums kept beating to motivate the crowd and the wrestlers.

There is also the tradition of honoring respectable people, gurus, coaches, and special invites. I was also honored with a headgear by the village head and the chairman of the dangal committe. I will be thankful to him forever.

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