By Deepak Ansuia Prasad
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रोहित पटेल लड्डू और किरसन बैयाँपुरिया दोनों भारत के एक नंबर पहलवानो में से हैं। दोनों के बीच कुश्ती मैच विरले ही देखने को मिलता हैं। पंजाब के इस लल्हेड़ी गाँव में दोनों के बीच कुश्ती का एक मैच शानदार अंदाज़ में खेला गया। बड़े जोर शोर और ढोल नगाड़ों के बीच मुख्य अतिथियों, गण मान्य व्यक्तियों व् दंगल कमिटी के सदस्यों व् मुखिया लखवीर जी ने कुश्ती की शुरुआत की। एक बड़े खेत को ट्रेक्टर की मदद से जोत कर व् समतल कर अखाडा बनाया गया था। खेत के बीचों बीच एक बड़ा पोल गाड़ा गया था जिस पर रंग बिरंगे झंडे और छुट्टी की झंडी बढ़ी थी , जो माँ का दूध पिए उन माई के लालों को न्योता दे कह रही थी आओ इस झंडी पे और दावा करो दिखा दो की कौन है आज हिन्दुस्तान में रुस्तम पहलवान ! दंगल में हज़ारों पहलवानो ने शिरकत की , और छुट्टी की झंडी पे दावा करने भी बहुत से पहलवान आये लेकिन रोहित पटेल , लड्डू के पहुँचने पर उसका चलेंगे किरसन पहलवान ही स्वीकार कर सके। इस प्रकार यह ऐतिहासिक कुश्ती दोनों पहलवानो के बीच हार जीत के फैसले तक खेली जाने वाली थी। कृष्ण और रोहित अब भिड़ चुके थे , कृष्ण दांव लगता तो बिजली की फुर्ती से रोहित उसे काटता , रोहित ने दांव लगा कृष्ण को बिठा लिया और उस पर चढ़ बैठा लेकिन कृष्ण मौका देख निकल कर सामने आ डटा , ये देख कर दंगल के मैदान के चारों और बैठे दर्शकों , यहाँ तक की पेड़ों पर चढ़े , खम्बो पर लटके और शामियाने में बैठे मुख्य अतिथियों ने तालियां पीट कर शोर मचा कर अपनी ख़ुशी का इज़हार किया , आस्मां ढोल नगाड़ों की आवाजों से गूँज उठा। माइक पर जोर शोर से दर्शकों को मैच का हाल बता रहे उद्घोषकों ने रही सही कसर पूरी कर दी। उनकी शेरो - शायरी और कुश्ती का हाल सुनाने का एक अनूठा ही स्टाइल था जो पंजाब में ही देखने को मिलता हैं। कुश्ती देर तक चली , दिन की रौशनी में आरम्भ हुई ये कुश्ती , शाम होने तक अपने शबाब पर पहुँच गई थी और सूर्यास्त तक लड़ते लड़ते दोनों पहलवान थक कर चूर हो चुके थे , उनके शरीर से बहा पसीना अखाड़े को भीगा चूका था , मिटटी में लथपथ दोनों पहलवान लड़ते जाते पर दोनों में कौन जीतेगा फैसला न हो सका। अंत में दंगल कमेटी को कुश्ती रोककर दोनों पहलवानो को बराबर घोसित पड़ा , लोगों ने दोनों पहलवानो की जय जयकार की और अपने -२ घर को निकले।
लल्हेड़ी गाँव के दंगल प्रबंधन कमेटी द्वारा करवाया गया ये एक शानदार कुश्ती दंगल था। जिसके प्रमुख अधिवक्ता लखवीर मोहम्मद कलेर जी थे। उन्होंने दंगल में बेहतरीन इंतजामात के उदहारण पेश किये। बहुत बड़ा शानदार अखाडा। अखाड़े को वृत्ताकार बैरिकेड किया गया था , जिसके अंदर पहलवानो और गुरु खलीफा अपने -२ शिष्यों को लेकर अपनी पूर्व निर्धारित जगहों पर बैठे थे। दंगल कमिटी के सदस्यों में गोलू पहलवान और सुभाष मालिक जी गुरु खलीफाओं के पास जाकर उनके पहलवानो के जोड़ मिलाते , जोड़ मिलने पर उनकी पर्ची उद्घोसकों के पास भेज दी जाती जो पहलवानो के नाम बोलकर उनकों अखाड़े में कुश्ती दिखाने के लिए आमंत्रित करते , पहलवान आकर अपनी कुश्ती दिखाते , विजेता पहलवान को पर्ची दे जाती और वो दंगल कमिटी से अपना इनाम लेता। हारने वाले और बराबर रहे पहलवानो को भी सांत्वना पुरष्कार दिए गए। दंगल में अच्छा साउंड सिस्टम , पहलवानो के नहाने के लिए बेहतरीन प्रबंध , विशिस्ट अतिथियों के लिए एक बड़ा शामियाना और कुर्सियों का प्रबंध और उनके लिए जलपान में चाय , पानी और कोल्ड ड्रिंक्स का प्रबंध ख़ास तौर पर किया गया था। ऐसा मैंने किसी और खेल प्रतियोगिता में न देखा। यहाँ न टिकट है न कोई इनविटेशन , आइये और देखिये। यही वजह थी की हज़ारों की संख्या में लोग इस दंगल को देखने हाजिर हुए।
पटियाला के पहलवान अमित और शाह में भी एक अच्छा मुकाबला हुआ , दोनों नए पहलवान है लेकिन उनकी कुश्ती कला से लोग बहुत प्रभावित हुए। मोनू एक बाल पहलवान है उसने अपने से बड़े वजनी पहलवान को पटखनी देकर खूब तालियां बटोरी। गोलू मुल्लापुर से रिशु पहलवान की अजय से बेहतरीन कुश्ती हुई। राजवीर मालिक अकादमी के पहलवान हैं उनकी कर्मवीर के साथ बढ़िया कुश्ती हुए। थी इसी प्रकार जगमोहन मुल्ला पर की कुश्ती पटियाला के हैरी से हुई जिसमे जगमोहन विजय रहे। दंगल में पप्पु हरयाणा , कमलजीत और अन्य पहलवानो की शानदार कुश्तियां भी देखने को मिली दंगल में इन अखाड़ों से पहलवानो ने भाग लिया
1) Malik Wrestling Academy Patiala (Subhash Malik Coach
2.) Akhara Doomcheri Parminder Singh
3.) Akhara Raja Pehalwan Chandigarh
4.) Akhara R.S. Kundu Zirakpur
5.) Akhara Rauni
6.) Akhara Dhuleta
7.) Akhara Kainour
8.) Akhara Dhaluana
9.) Akhara Chandigarh ( Darshan Coach)
10.) Akhara PAP Jallandhar
दंगल में रेफरी रहे गुरमेल सिंह मेलि। उद्घोषकों में कुलबीर सिंह काइनोर , और संधु धुरा वाले रहे। सिक्योरिटी का इंतजामात एस एच ओ सदर खन्ना के सुपुर्द रहा , उनकी देख रेख में बेहतरीन दंगल का आयोजन हुआ जिसके लिए वे भूरि भूरि प्रशंशा के पात्रः हैं। इस प्रकार विशिस्ट अतिथियों में देश विदेश से राजनीती , समाज सेवा और ज्ञान विज्ञानं से जुड़े बहुत से लोगों ने भाग लिया। लखवीर जी की अगुवाई में सब लोगों का मान सम्मान किया गया और मोमेंटो प्रदान किये गए।
और अंत में अधिवक्ता लखवीर जी लखि की प्रशंशा करना चाहूंगा जितने इतने बड़े पैमाने पर इतने बढ़िया इन्तेजाम किये। जिन पहलवानो को देखने को नहीं मिलता उनकी कुश्तियां करवाई , लाखों के इनाम बाटें और किसी को भी निराश न किया। उन्होंने गुरु खलीफाओं व् पहलवानो के लिए बेहतर इंतज़ाम किये जिसके लिए इस दंगल को हमेशा के लिए याद किया जाएगा। लखवीर जी के आमंत्रण पर उनके साथ व् सामूहिक लंगर में रात्रि भोज किया। और उन्हें और सभी गुरु खलीफाओं खास तौर पे गोलू पहलवान को धन्यवाद दे वापस दिल्ली लौटा।
ENGLISH VERSION
It was the battle everyone had come to see. India's best wrestler, Rohit Patel, from Indore squared off against Krishan from Baeyanpur in Haryana. Wrestlers, coaches and people from all around gathered at Village Lalheri in Punjab grabbed whatever place they could find to witness the main event of the dangal.
The two wrestlers battled it out for over an hour in a grueling match for a grand prize of one lakh fifty thousand rupees. The crowd sat mesmerized as the two circled each other, groping for an opening to take the other down. Soon the sun went down and it was impossible to see the action and in the end the match was declared a draw.
Earlier in the day, wrestlers from the akhadas like Golu Mullapur, Raja pahlwan, Kainor, Zeerakpur came out to compete.
Young Wrestler Monu scored a great victory against a much heavier wrestler. The crowd roared as he pinned the bigger man and he received a nice cash prize.
Other wrestlers competing were Rishu pahlwan of Golu Mullapur akhada, who took on Ajay in a memorable match. Rajveer, a wrestler of malik academy fought Karmveer to a draw in a fantastic match. Wrestler Jagmohan of Mullapur defeated Harry of Patiyala in another great match.
The dangal was organised by Village committee of Lalheri, chaired and managed by Manager lakhvir mohammed Kaler Advocate. Luckily I was on my trip to Punjab when I got an invitation from Vakeel sahab lakhvir ji through one of my friends, Golu Pahalwan.
It was my first chance to see a wrestling competition in Punjab and I found this competition to be more organised, glamourous and eventful than the ones I have seen in other states.
It is truly said that Kushti culture in Punjab is old and beautiful.
The Chief Guest was Hazrat Nigahia Bakash Ji Gaddi Nashin of Dargah Sakhi Sarwar Lakh Data Lalan Wala Pir ji Village Lalheri. At the shrine, Golu Pahlwan of Mullapur Garibdar Akahda and Subhash Malik of patiyala paired the wrestlers and decided who will be paired against whom. There was a community kitchen and food for all participants and even for public later on. I was also invited to see the shrine of Pir ji and I had food with along with many others at the Shrine Kitchen.
Akhadas represented in the dangal were:
1) Malik Wrestling Academy Patiala (Subhash Malik Coach)
2.) Akhara Doomcheri Parminder Singh
3.) Akhara Raja Pehalwan Chandigarh
4.) Akhara R.S. Kundu Zirakpur
5.) Akhara Rauni
6.) Akhara Dhuleta
7.) Akhara Kainour
8.) Akhara Dhaluana
9.) Akhara Chandigarh ( Darshan Coach)
10.) Akhara PAP Jallandhar
The referee of the dangal was Gurmail Singh Meli, and the announcers were Kulbir Singh Kainaur and Sandhu Dhurawale. Security was handled by SHO Sadar Khanna. I thank The Lalheri village committee for inviting me especially from Delhi.
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