By Deepak Ansuia Prasad
Promoting kushti worldwide is one of my aims. And when people from within or outside my country come to me to learn about the sport, it gives me the opportunity to achieve this goal.
In the past I have introduced many foreigners to the world of Indian wrestling, including an American defence official, two prestigious French photographers, an Australian MMA fighter, a World TV crew and many others.
Most recently, diplomats from Costa Rica came to watch kushti. I welcomed them, and found them to be very nice and respectful. We had a long talk about kushti culture in India.
Along with them, software engineers from Delhi, my friends Devesh and Kamal also visited. All shared their concern and good wishes for the kushti fraternity.
As a gesture of respect the diplomats and my friends offered gifts of wrestling trunks for all the wrestlers of the akhada.
I thanked them for their visit and requested them to come again.
कुश्ती से जन मानस को जोड़ना मेरी मंजिल के पड़ाओं में से एक हैं। इसी सिलसिले में देश विदेश के कुश्ती प्रेमियों का मुझसे मिलना और उनका आदर सम्मान करना मुझे अच्छा लगता हैं। पिछले दिनों अमरीका के ऑटोमिक डिफेन्स से जुड़े एक बुजुर्ग कुश्ती देखने मेरे पास आये उनसे मिल कर बहुत अच्छा लगा। उनके साथ एक दिन अखाड़े पर बिताया और उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला , इसी प्रकार दुनिया भर से फोटोग्राफर, वीडियो ग्राफर्स, टीवी क्रू, कोरेस्पोंडेंट , या कुश्ती प्रेमियों का मेरे पास आना कुश्ती के लिए एक शुभ संकेत हैं। इसी सिलसिले में आज लैटिन अमेरिका से राजदूत व् उनके सहयोगी मिलने आये। और साथ ही आये मेरे फेस बुक फ्रेंड्स सॉफ्टवेयर इंजीनियर देवेश व् कमल राठोर , दोनों भाइयों से मिलकर बहुत अच्छा लगा। उन्हें रिसीव कर मै अखाड़े पर ले गया जहाँ गुरु , खलीफा लोगों ने उनका स्वागत किया। गुरु श्याम लाल अखाड़े के गुरु हरिपाल , राजिंदर पहलवान व् कोच टोनी के साथ बातचीत कर उन सभी लोगों को अच्छा लगा। देवेश व् कमल भाई कुश्ती के प्रचार में मेरी मदद करना चाहते हैं। इसी बातचीत में उन्होंने व् लैटिन अमरीकी डिप्लोमेट्स ने अखाड़े के पहलवानो को कुश्ती के कस्टम , लंगोट व् जाँघिया वितरित किये। पहलवानो के खान पान व् रहन सहन पर बहुत से सवालों के जवाब लैटिन अमरीकी डिप्लोमेट्स को दिए , जिनसे वे बड़े प्रभावित हुए। और उनमे से कुछ ने कहा हम प्रैक्टिकली फील करना चाहते हैं की अखाड़े में कुश्ती कैसे होती हैं। सो हमने अगले सफ्ताह का टाइम रखा मुलाकात खत्म की।
1 comment:
Where is this akhada located?
is there a policy followed nationally to safeguard the continued existence of small akhadas that mark the age old system of kushiti in the small towns and mohallas of India?
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