By Deepak Ansuia Prasad
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10 अप्रैल 2016
करगिल युद्ध -शहीद बच्चन सिंह व् स्वर्गीय अरुण पहलवान की मधुर स्मृति में ,
पचेंडा गाँव का विशाल दंगल।
जिला मुज्जफर नगर , उत्तर प्रदेश।
पचेंडा गाँव की पवित्र धरती पर , पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े दंगल में आज नवीन मोर और बेनिया आमने सामने हैं। दर्शकों की संख्या कई हज़ार तक पहुँच गई हैं। भारत सरकार में मंत्री संजीव बालियान से लेकर इलाके के विधायक , प्रमुख व प्रधानों व् विशिष्ट अतिथियों का हजूम मंच पर बैठा हैं। दर्शक तो खेत के बराबर बने अखाड़े के चारों और गोलाकार बैरिकेडों के बाहर हैं , लेकिन पहलवान और अन्य महत्वपूर्ण लोग अखाड़े को घेरे बैठे हैं। सब लोग सांस थामे मुकाबले को आरम्भ होते हुए देख रहे हैं। वहीँ युधिष्ठिर पहलवान घोषणा करते हैं की कुश्ती को पंद्रह मिनट समय दिया जाता हैं और बराबर रहने पर पांच मिनट सडन- डेथ पर खेला जाना हैं।
पहलवान नवीन मोर , अखाडा पदमश्री गुरु हनुमान व जम्मू केसरी बनिया कभी आमने सामने नहीं आये हैं। इसलिए इस कुश्ती के लिए कहना मुश्किल हैं कौन जीतेगा या कौन भारी पड़ेगा। जहाँ एक और बेनिया एक बेहद फुर्तीला , गजब का तेज तर्रार पहलवान हैं। वहीँ नवीन मोर बलशाली , अनुभवी और कलाकार पहलवान हैं। दिल्ली देहात के आस पास अब लम्बी कुश्तियां नहीं होती। जिसका सीधा सीधा अर्थ हैं नवीन मोर ज्यादातर कुश्तियां बीस मिनट तक की ही लड़ते हैं। वहीँ पंजाब , हिमाचल और जम्मू कश्मीर में अभी भी कुश्तियां देर तक चलती हैं वहां बीस मिनट तो मुश्किल ही बड़े पहलवानो को मिलते हैं। अधिकतर कुश्तियां पच्चीस से तीस मिनट की होती हैं जो तय समय से ज्यादा ही खेली जाती हैं। और उसके बाद भी फैसला न होने पर पॉइंट पर या सडन- डेथ पर खेली जाती हैं।
मेरा अनुभव हैं की निश्चय ही नवीन मोर बेनिया से बलशाली पहलवान हैं। तो इसका ये मतलब हुआ की बेनिया अपनी रणनीति में कुछ न कुछ ख़ास बदलाव लाएंगे। जहाँ तक मेरा अनुमान हैं बेनिया नवीन मोर को थकाने का पूरा प्रयास करेंगे। वहीँ नवीन मोर बिना समय गँवाए अपनी पूरी ताकत झोंक कर बेनिये को धुल चटाने की कोशिश में रहेंगे। बेनिया अच्छा डिफेंसिव करता हैं , और नवीन अच्छा अटैक। इस तरह कुश्ती का रोमांचकारी होना और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन होना तो निश्चित ही हैं। ढोल , नगाड़े और रणसिंघे बज उठते हैं , किसी मंदिर के एक बाबा जोश में नाचने लगते हैं। दर्शकों का कर्णभेदी शोर दंगल की शानदार सफलता का संकेत देता हैं। यही सब दंगल कमिटी की सफलता का सूचक भी हैं , इसी के लिए तो दंगल कमिटी ने महीनो , दिन-रात एक कर दिए। वास्तव में युधिष्ठिर , अर्जुन और पांण्डवों के नाम से ये पांच भाई , मुजफ्फर नगर के शेर हैं जिनकी मांद हैं पचेंडा गाँव , और वहां शेरों की ही भिड़ंत हो सकती हैं। कुश्ती जगत के दो शेर नवीन और बेनिया भी हैं। तो आज पूरा मजा आने वाला हैं।
इस कुश्ती से पहले विक्की पहलवान एक लाख रूपये का इनाम जीत चुके हैं , उन्होंने दस मिनट की तय कुश्ती में, अपने प्रतिद्वंदी पहलवान को सात मिनट में ही हरा लिया। उन्होंने कुश्ती के सातवें मिनट में इतनी तेजी से दुहरी पट लगाईं की प्रतिद्वंदी पहलवान चारों खाने चित्त जा गिरा। और विक्की पहलवान दूसरी कुश्ती के विजेता बने। ये लीजिए अब दोनों पहलवान के हाथ मिल रहे हैं। यूँ तो जनता इन तकल्लुफों में उलझना नहीं चाहती और सीधे -सीधा खेल देखना चाहती हैं। फिर भी आज जनता शांत हैं , कारण हैं संजीव बालियान जी , जो की अब यूनियन मिनिस्टर ऑफ़ स्टेट फॉर एग्रीकल्चर एंड फ़ूड प्रोसेसिंग हैं। और यहीं मुजफ्फर नगर से सांसद हैं। राजनीति के अखाड़े में संजीव बालियान जी ने बी एस पी के कादिर राणा को चार लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। ये वही जनता हैं। जिन्होंने अपनी वोटों की ताकत दिखाई। आज यही जनता जानना चाहती हैं की संजीव बालियान क्या कहते हैं , उनका नेता क्या घोषणा करता हैं ? संजीव बालियान ने समस्त जनता का सम्मान भी किया और धन्यवाद भी दिया। कोई लम्बा चौड़ा भाषण न देकर उन्होंने खिलाडियों को आशीर्वाद दिए। वहीँ दंगल कमिटी के सर्वे सर्वा युधिष्ठिर पहलवान ने उन्हें अपने गाँव के पास कोई हाईवे पर पुलिया से सम्बंधित परेशानी बताई तो उन्होंने तुरंत अंडरपास कंस्ट्रक्शन की जिम्मेदारी ले ली। लोगों ने तालियां बजाई। अब उनके काम तुरंत होने लगे हैं , उन्हें महसूस हुआ। वहीँ क्षेत्र के विधायक ने भी कुश्ती का उदघाटन किया और दंगल कमिटी को विधायक फण्ड से इक्यावन हज़ार मदद का आश्वाशन दिया। वास्तव में एक सुनहरा दिन हैं पचेंडा गाँव के लिए। तभी संजीव बालियान जी के ही गाँव के एक पहलवान ने उनके सामने एक बढ़िया कुश्ती दिखाई। और अपने प्रतिद्वंदी पहलवान को "उलटी दांव" ( बैक फ्लिप ) लगा कर चित्त कर दिया , उसने ग्यारह हज़ार रूपये का इनाम जीता। हाँ तो मैं वापस नवीन और बनिए की कुश्ती पर लौटता हूँ , कुश्ती का उद्धघाटन पूरा हुआ तो शोरगुल , ढोल , नगाड़ों और रणसिंघों की आवाजें आस्मां को छूने लगीं , दर्शकों के रोमांच की सीमा न दिखती थी, चारों तरफ जोश भरा माहौल बन चूका था। नवीन और बेनिया ने मिटटी को हाथ लगाया , दर्शकों का अभिवादन किया और अपने गुरु खलीफा और अल्लाह , राम का नाम लेकर भिड़ गए।
कुश्ती के शुरआती दौर ही में बेनिया ने डिफेंसिव रुख अपना लिया और नवीन से दूर हटकर कुश्ती लड़ते हुए , नवीन के आक्रमणों से बचने लिए सुरक्षात्मक नीति अपना ली। फलस्वरूप ऐसा लगने लगा कि ये कुश्ती कम कबड्डी मैच हैं। नवीन ने बार बार वार किये , कभी हाथ चलाये कभी पैर पर बेनिया उछलकर , कूद कर दूर हो बच जाता । जितना कमाल अटैक में था उतना ही बचाव में। पहलवानो के हर पैतरें पर हर एक्शन पर दर्शक जोर से शोर करते ताली बजाते और ढोल नगाड़ों पर थाप बढ़ती जाती। वास्तव में कमाल कर दिखाया युधिष्ठिर पहलवान, उनके भाई अर्जुन , नकुल पहलवान व उनके समस्त दंगल कमिटी ने। बहुत जोर शोर से तैयारियां की गई थी इस दिन की। इतने बड़े आयोजन को खालिस अपनी जेब से धन लगा कर नहीं किया जा सकता , और युधिष्ठिर , अर्जुन , नकुल , मांगे पहलवान जी ऐसे लोग हैं जिन्हे समस्त मुजफ्फर नगर की जनता प्यार और सम्मान देती हैं। लोगों ने स्वयं स्टेज पर चढ़कर दंगल कमिटी को तन मन धन से मदद की । जिससे दो दिनों तक कुश्ती का यह महाकुंभ चला। आज की कुश्ती दंगल के बाद तीन दिनों तक रागिनी कम्पटीशन चलेगा जिसमे राजबाला , प्रीती चौधरी और , और भी अन्य रागनी पार्टियां शामिल होंगी। ऐसा कमाल पचेंडा में ही देखने को मिला , यही कारण हैं कि इस पूरे कार्यकर्म को उत्तर भारत के एक बड़े कार्यकर्म के रूप में देखा जाता हैं। जहाँ देश में एक षड्यंत्र के अनुसार नेता , फ़िल्मी कलाकार , बिज़नेस मैन मिलकर टीवी पर क्रिकेट को प्रोमोट कर रहे हैं और जबरदस्ती टीवी पर क्रिकेट दिखा दिखा कर अपने अपने प्रोडक्ट्स बेच रहे हैं। असल में ये देश के नागरिकों को धोखा देने वाली बात हैं। इसके ठीक विपरीत युधिष्ठिर पहलवान और उनकी दंगल कमिटी क्षेत्र में कुश्ती , रागनी कम्पटीशन करा कर दर्शकों का भरपूर मनोरजन कर रहे हैं। युवाओं में परम्पराओं का समावेश हो रहा हैं , खेलों और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा हो रही हैं , लोक गायन और कलाकारों को भी अवसर मिल रहे हैं। सब कुछ आप आसानी से अपनी खुली आँखों से देखिये सुनिए और वो भी एक दम फ्री। और न ही बीच में कोई ब्रेक या कोई आप से कहे ये खरीदों वो खरीदों। जैसा की टेलीविज़न पर ये खरीदो वो खरीदों कह कह के पकाते रहते हैं। इसके साथ ही महिला पहलवानो की कुश्तियां करा कर उनकी भी हौसला अफजाई की गई। और पुरबालियान गाँव की पहलवान दिव्या सैन कर सार्वजनिक सम्मान कर , क्षेत्र का नाम करने वाली शख्शियतों का सम्मान भी किया गया।
चलिए वापस लौटते हैं , कुश्ती को चलते हुए दस मिनट हो गए हैं , लेकिन बेनिया पर लगे हर हमले छूट से जाते हैं। बेनिया सर्किल में घूम घूम कर नवीन को परेशान किये हुए , जल्दी से हाथ ही नहीं आने वाला हैं। दर्शकों को लगने लगा हैं की कुश्ती बराबर जायेगी। समय आगे खिसकता हैं , नवीन जांघिया पकड़ते हैं तो भी बेनिया फिसल कर अखाड़े से बाहर जाता हैं , नवीन दौड़ दौड़ कर बेनिया को पकड़ने की कोशिश करते हैं , शिकायत भी करते हैं। पर ये तो अखाडा हैं , अपनी अपनी रणनीति हैं। जिसमे बेनिया सफल होते लगते हैं। पंजाब , हिमाचल में बड़ी चतुराई और सूझ बूझ से खेली जाती हैं। जिसमे अधिकतर पहलवान अपने लम्बे दम खम और स्टैमिना के आधार पर ही कुश्ती जीत पाते हैं। थका कर मारने पर वहां ज्यादा जोर दिया जाता हैं। इस प्रकार जोर आजमाइश , धक्का मुक्की , कूद फांद होते हुए कुश्ती पन्द्रहवें मिनट में पहुँच जाती हैं। सोलहवें मिनट में नवीन एक बेहतरीन पट खींच कर बेनिया पर अटैक करते हैं , तो बेनिया उछलकर अखाड़े से बाहर निकल लेता हैं। समय खत्म होता हैं। अब दुविधा हैं की कुश्ती बराबर घोषित की जाए या और पांच मिनट चलाई जाय। पहलवानो से बात की जाती हैं। दोनों पहलवान कुश्ती को पांच मिनट और चलाने तथा सडन- डेथ पर खेलने के लिए राजी हो जाते हैं।
दंगल की ये आखिरी कुश्ती है , इस पर वैसे तो दो लाख रूपये का इनाम था लेकिन इसे बढ़ा कर तीन लाख कर दिया गया हैं। इससे पहले की कुश्तियां एक लाख , पचास हज़ार और पंद्रह हज़ार पर हो चुकी हैं। ग्यारह हज़ार पर तो बीस के करीब कुश्तियां बाँधी गई , और सब एक से बढ़ कर एक। इसी प्रकार इक्यावन सौ , इकत्तीस , इक्कीस और ग्यारह सौ की भी बहुत सी कुश्तियां हुई। महिलाओं की भी अनेक कुश्तियां हुई जिसमे पचेंडा की महिला पहलवानो ने अपने करतब दिखाये। सभी महिला पहलवान अपनी अपनी कुश्तियां जीती। पचेंडा के पहलवानो ने भी शानदार कुश्तियों का प्रदर्शन किया। परंपरा के अनुसार दंगल में आये सभी गुरु , खलीफाओं व गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत , पगड़ी , फूलमाला व मोमेंटो भेंट कर किया गया। इस प्रकार पूरे शानो शौकत और वैभवपूर्ण रहे दंगल की आखिरी कुश्ती के पांच मिनट शेष बचे। इस बार नवीन ने अटैक लगाया और पट खींचे बेनिया छलांग मारकर छूटने लगा और अखाड़े के किनारे तक आ पहुंचा , नवीन ने बाहर निकलने पर पॉइंट माँगा , जिसे रेफ़री ने ख़ारिज कर दिया। फिर एक बार नवीन ने खींच मारी तो बेनिया नीचे झुक गया। वहीँ से बेनिया ने अटैक बनाया , और बिजली की फूर्ति से नवीन के पट खींच लिए। हड़बड़ा कर नवीन गिरे और बेनिया ऊपर। इसे कहते हैं सडन- डेथ। खेल खत्म हो चूका था। रेफ़री ने बेनिया को पॉइंट दिए। बेनिया ने विजयी मुद्रा में हाथ उठाये। प्रशंषकों ने उसे कन्धों पर उठा लिया। आज बेनिया पूरे मुज्जफर नगर में अपने फैंस के बीच घूमेगा। पहलवानो को कोई कितना दे दे क्या मालूम। लेकिन ये तय हैं की अच्छी कुश्ती दिखा चुके बेनिया को अब इनाम तो मिलेगा ही जनता भी पूरा सम्मान देगी।
अपना भी सामान समेटने का समय हो गया हैं। फिर किसी दंगल , अखाड़े या आयोजन में लौटने के लिए। इस बार अपने नाम की आवाज लगती हैं। कुश्ती के लिए काम करने पर दीपक अनुसूया का सम्मान किया जा रहा हैं , सच में अपने काम कोई देखते तो करोड़ों हैं, लाइक लाखों करते हैं , हज़ारों दिल से प्रशंशा करते हों तो सैकड़ों लोग खुलेआम। लेकिन यूँ सार्वजनिक सम्मान करते हुए बहुत जोर पड़ता हैं , इसलिए ऐसे सज्जन तो विरले ही हैं जिन्हे लगता हैं की मेरा भी सम्मान जरूरी हैं। एक गदा हाथ में पकड़ कर जय बजरंगबली कहता हूँ। अल्लाहो अकबर जय श्रीराम। गाँव खेड़ों की जय।
ENGLISH VERSION
10th April, 2016.
Kargil War Martyr - Bachchan Singh and Late Shr. Arun Pahlwan Memorial Dangal
Village Pachenda, District Mujjaffar Nagar, Uttar Pradesh,
Let me take you directly to the final bout played between wrestler Naveen Mor, a wrestler from Padam Shree Guru Hanuman Akhada, Delhi and Jammu & Kashmir Kesri Wrestler Benia Ameen.
The number of spectators reached up to the thousands, The special invitees are all there: Mr. Sanjeev Baliyan , Union Minister for Agriculture and Food Processing, Local Member of Legislative Assembly, Village Headmen, Pradhans, and many other dignitaries.
But before the bout starts, there is opening ceremony. There is much chaos while people wait for the clouds to clear. Divya Sain, who also belongs to Village Pur Baaliyan of Mujaffar Nagar is given honours and some cash prize for her contribution in the field of women wrestling.
The head of the dangal committee, Yudhisthir Pahlwan, declares that the bout go on for 15 minutes with no break and the winner will be decided on the basis of pin. In case neither of the wrestler able to secure a pin, the match will be decided on points in sudden death, which means the wrestler who will score the first point will be the winner.
Naveen Mor, who belongs to Guru Hanuman Akhada, Delhi, is an inspector in Harayana Police, He is an experienced heavyweight champion wrestler. He wrestles both in mud as well as on the mat. He became a national champion in both traditional wrestling and freestyle wrestling. He has won gold in the World Police Games both in freestyle and Greco-roman competitions three times in a row.
Benia, who belongs to Jammu & Kashmir, is basically a kushti wrestler. He has won every title in traditional wrestling. He is fast, agile and has a great defensive technique. Matches at rural dangals often last more than 30 minutes, so his strength and stamina is matchless.
I think bot the wrestler will have different strategies. While Naveen would like to attack in the very beginning and would like an early finish, Benia would like to exhaust Naveen and attack later in the match.
The whole arena is full of noise -- beating drums and blaring trumpets.
In the core of the Dangal Committee are wrestler Yudhisthir, Arjun, Nakul and his other brothers and family members. They are called lions of Mujaffar Nagar, whose den is their village Pachenda. So it is believed that Naveen and Benia are the lions of Kushti, and only lions can fight among lions.
Each wrestler’s prestige is on the line, along with the honor of his village and akhada. And there is a huge prize too. It was originally Rs. 200000/- but increased to 300000/-. It is a good prize for a day’s work.
While Naveen tries to take down Benia, Benia defends every time. The match goes on.
Meanwhile Union Minister Sanjeev Baliayan who inaugurated the bout, also blessed the wrestler and wished them good luck. Yudhisthir pahlwan the member of the dangal committee, told the minister about the bad condition of roads and flyovers around the village. The minister instantly approves their renovation.
Likewise the MLA gifted Rs. 50,000/- to the dangal committee from the MLA funds, followed by villages heads, wrestling fans and many other businessmen. It is impossible to create such a big event out of one's own pocket. Since the whole district loves and respects all the five brothers of Yudhisthir pahlwan, many people contributed for the event. The dangal lasts for two days.
15 minutes has already passed. Both the wrestlers are now covered in mud, neither Naveen nor Benia succeeded in pinning each other. Still they tussle, pulling and pushing each other, using their hands mainly and trying to attack the legs occasionally. Time is almost up when Naveen tries another takedown. He penetrates his Benia’s defences, grabs one leg and goes for the other, but Benia rescues himself by going out of bounds, and time runs out.
The match then went into a 5 minute sudden death period. Whoever scored the first point would win. Naveen attacked on Benia and the two went out of bounds. Naveen tried again, but Benia ducked under him, and with lightning speed went for his legs and brought him down to the ground, scoring him two points, and winning him the match. The crowd cheered wildly for Benia.
Benia was given the cash prize on the spot along with a mace. Naveen Mor was given a consolation prize.
The dangal started that morning with a Pooja ceremony of the Akhada, after which kushti bouts were started for junior wrestlers. They were given Rs. 10/- each . so the ages and weights of wrestlers increased with the price. Many bouts of Rs. 20/-, 50/-, 100/- 500/- 1000/- 2100/- 3100/- and 5100/- were wrestled. Then there were some women’s bouts, which were allotted 1100/- 2100/- 5100/- slots.
Rs. 11000/- were alloted for senior wrestlers and more than 20 bouts for Rs. 11000/- were fought. Bouts for sixth prize Rs, fifth place 21000/- fourth 31000/- third 51000/- ,second 100000/- and first prize match was played for Rs. 200000/- which was later increased up to 300000/-.
Wrestling gurus, coaches and officials were given headgear and mementos as a token of respect for their contribution in the field of wrestling. The chief guests along with other dignitaries were also felicitated on the occasion for their contribution in the field of social service. The dangal committee presented me with a mace (gada) recognizing my contribution to the field of wrestling. I am thankful to the Dangal committee.
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