रुस्तमे दिल्ली दंगल , सौजन्य से खलीफा दलीप चांवरिया।
स्पॉन्सर्स पताका चाय व् ओनजीसी
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खलीफा दलीप चांवरिया गुरु श्यामलाल अखाड़ा ( काली खोजी वाले ) के संरक्षक हैं। दिवंगत पहलवान व् गुरु श्यामलाल के पुत्र भी हैं। खलीफा दलीप अच्छे पहलवान रहे हैं , और आज , अपने अखाड़े में वे देश के लिए पहलवानो को तैयार कर राष्ट्रभक्ति में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। उनका कुश्ती प्रेम जगजाहिर हैं। कुश्ती तो उनके खून में ही रची बसी हैं , कुश्ती के लिए वे जी जान लगाकर अपनी अमूल्य सेवाओं से कुश्ती का महती प्रचार प्रसार कर रहे हैं। प्रतिवर्ष अपने अखाड़े , दिल्ली गेट पर , पताका चाय व् ओनजीसी के स्पॉन्सरशिप में वे एक विशाल दंगल करवाते हैं। इस वर्ष उन्होंने अपने दंगल को और अधिक विशाल रूप दिया। जिसकी भव्यता और वैभव की कहानी मैं आज आपको सुनाने जा रहा हूँ।
लगभग छह महीने पूर्व से ही खलीफा दलीप इस रुस्तम ऐ दिल्ली की रूप रेखा बनाते रहे। दंगल का प्रबंधन , अखाड़ों को निमंत्रण , दंगल के लिए जरूरी सामग्री जुटाना , गुरु खलीफाओं , कोचेस और मेरे साथ वे लगातार संपर्क में रहे। इसके अलावा शहर के गणमान्य हस्तियों और कुश्तीप्रेमियों , नए पुराने पहलवानो को दंगल की सूचना देना व् निमंत्रण करना काफी बड़ा काम था। इस नेक काम को बड़ी मेहनत और शिद्दत से निभाया दलीप खलीफा ने।
दंगल का दिन 11 तारिख को रखा गया , लेकिन नोट बंदी ने इस काम में बाधा उत्पन्न कर दी। दलीप खलीफा पहलवानो को तय इनाम ऑन द स्पॉट देते हैं , इसके अलावा भी दुनिया भर का खर्च हैं , बिना नकदी के कुछ भी संभव नहीं। लेकिन दलीप खलीफा हारे नहीं , रुके नहीं चाहे कुछ दिन बैंको की लाइन में ही लगाना पडे। कितना बड़ा त्याग हैं इस खलीफा का , सच बताओं तो मुझसे तो अपने घर खर्च के लिए बैंकों की लाइन में लगना भारी जान पड़ता हैं। लेकिन दलीप खलीफा ने ये कैसे और कितनी मुश्किल से संभव किया होगा , वो ही जाने। खैर , नोटबंदी ही वह कारण था की दलीप खलीफा ने दंगल को 17 , 18 तक के लिए स्थगित कर दिया , पर कैंसिल नहीं किया।
दिसम्बर की अठ्ठारह तारीख को सुबह दस बजे से ही कुश्ती का मेला सज चूका था। मिटटी और मैट दोनों पर कुश्तियां कराई जानी थी। दिल्ली के सभी बेहतरीन पहलवानो ने इस दंगल में भाग लिया।
पहलवानो की संख्या ज्यादा होने पर फाइनल की कुश्तियों को छोड़ कर , बाकी सभी कुश्तियों का समय तीन मिनट करना वाकई में एक सूझ बूझ भरा कदम था , अन्यथा कुश्तियों को देर रात तक भी पूरा नहीं किया जा सकता था। दंगल में निम्न वजन की कुश्तियां हुई।
40 किलोग्राम , 45 , 50 , 55 , 61 , 67 , 74 किलोग्राम और 74 + या रुस्तम ऐ दिल्ली टाइटल प्रतियोगिता।
रुस्तमे ऐ दिल्ली रहे , हनुमान अखाड़े के संदीप पहलवान। संदीप पहलवान दिल्ली के नाहरी गाँव से हैं। बचपन से ही अपने गाँव के अखाड़े में कुश्ती सीख रहे इस होनहार पहलवान ने वर्ष 2007 से पदमश्री गुरु द्रोणाचार्य हनुमान अखाड़े में अपनी कुश्ती मल्लविद्या को निखारना शुरू किया। संदीप राष्ट्रिय स्तर कुश्ती में गोल्ड मैडल जीत चुके हैं। मिटटी व् मैट के माहिर पहलवान हैं संदीप। चोटिल होकर संदीप को कुछ समय अभ्यास से बाहर रहना पड़ा। किसी भी बाहरी मदद या स्पॉन्सरशिप या सरकारी सहायता के अभाव में संदीप ने बहुत बुरे दिन गुजारे। संदीप के पिताजी भी इस दुनिया में नहीं। संदीप के बड़े भाई विकास ही संदीप की पहलवानी का खर्च उठाते हैं। धुन के पक्के संदीप को पहलवानी में कुछ कर गुजरने की इच्छा हैं। और इसकी भावना के साथ वे भी ये जानने और जोर आजमाने के लिए अखाड़े में उतरे की आज का रुस्तम ऐ दिल्ली कौन हैं। अखाड़े में धुँवाधार कुश्तियां जीतते हुए संदीप जब फाइनल में पहुंचे तो दूसरी तरफ से तूफ़ान की तरह गरजते हुए होनहार और तेज तर्रार पहलवान कपिल धामा उनके सामने आ खड़े हुए। कपिल और संदीप दोनों एक ही अखाड़े के पहलवान हैं। लोग सोचते हैं की अब क्या होगा ? क्या दोनों कुश्ती लड़ेंगे ? लेकिन वक्त की बात थी और सब जानते हैं की महाभारत भी तो आपसी भाइयों के बीच ही हुआ था। यहाँ धर्म , अधर्म का सवाल नहीं। यहाँ तो लोग दिल्ली के रुस्तम को देखने आये हैं। और मुकाबला भी चाहते हैं। सो कुश्ती हुई जिसमे अंकों के आधार पर संदीप ने कपिल को हरा कर रुस्तम ऐ दिल्ली का टाइटल अपने नाम किया। संदीप पहलवान को रुस्तम ऐ दिल्ली बनने पर बहुत , बहुत बधाई।
अन्य विजेता इस प्रकार रहे।
वजन 40 kg
- गोल्ड मैडल कन्हैया , गुरु मुन्नी अखाडा
- सिल्वर सचिन , घनश्याम अखाडा
- फर्स्ट ब्रोंज अतुल , गुरु ब्रह्मचारी अखाडा ,
- सेकंड ब्रोंज। आशीष , श्यामलाल अखाडा
वजन 45 किलोग्राम
- गोल्ड मैडल अभिषेक
- सिल्वर मिलन
- फर्स्ट ब्रोंज जितेश
- सेकंड ब्रोंज। तुषार
वजन 50 किलोग्राम
- गोल्ड मैडल अनिकेत गुरु मुन्नी ,
- सिल्वर प्रदीप
- फर्स्ट ब्रोंज नदीम
- सेकंड ब्रोंज।
वजन 55 किलोग्राम
- गोल्ड मैडल अमित वीरेंदर छारा
- सिल्वर दानिश लालाराम अखाडा
- फर्स्ट ब्रोंज अनूप नरेश अखाडा
- सेकंड ब्रोंज। अनूप रवि।
वजन 61 किलोग्राम
- गोल्ड मैडल राकेश छत्रसाल
- सिल्वर भूपिंदर गुरु मुन्नी
- फर्स्ट ब्रोंज आमिर
- सेकंड ब्रोंज। मोहित
वजन 67 किलोग्राम
- गोल्ड मैडल रोहित चांदरूप अखाडा
- सिल्वर जतिन छत्रसाल
- फर्स्ट ब्रोंज बाबर
- सेकंड ब्रोंज। उमेश
वजन 74 किलोग्राम
- गोल्ड मैडल विकास बीरेंदर अखाडा
- सिल्वर मोहित अनिल मान अखाडा
- फर्स्ट ब्रोंज
- सेकंड ब्रोंज।
ENGLISH VERSION
Every year Guru Dalip Chanwaria organizes a great dangal at his akhada with the backing of Pataka Tea and ONGC. But this year he made it even greater and gave it a name to match its importance “Rustam e Delhi Dangal”, which means top wrestler of Delhi.
Dalip Khalifa is the patron of Guru Shyam Lal Akhada (Kali Khoji Wale). The akhada is at the back entrance of Dr. B.R. Ambedkar Stadium, opposite Delhi Gate. Being the son of Late Sh. Guru Shyam Lal Chanwaria, Khalifa Dalip learned wrestling at a very young age and became a successful pahalwan.
Now, he trains his disciples to also become bright wrestlers and he has earned the love and respect from the people of Delhi because of his immense contributions to kushti.
Dalip Khalifa started working on the dangal more than six months before commencement, lining up wrestlers, inviting VIPs and media, and arranging funding.
The dangal was originally set for 11th of December 2016, however demonetization of 500 and 1000 rupee notes and the subsequent cash crunch made it impossible to hold it on that date. The dangal was postponed until the 18th while Dalip Khalifa worked tirelessly to exchange money for prize distribution and other related services. Many dangals were cancelled for the same reasons, but Dalip Khalifa’s was determined to keep his dangal on track.
More than five hundred wrestlers took part in the competition. There was one mat and one traditional mud arena. The lower weight category wrestlers competed on the mat while the higher weight category wrestlers fought in the mud arena. The time for the bouts was lowered due to lack of time to three minutes each. Weigh categories were: 40kg, 45kg, 50kg, 55kg, 61kg, 67kg 74kg. Wrestlers above 74kg competed for the Rustam e Delhi Title.
In the end wrestler Sandeep Pahlwan, from Nahari Village of Delhi, won the title. He started wrestling at a very young age and in 2007 he entered Padam Shree Guru Dronacharya Hanuman Akhada, Delhi. He won a gold a medal at national level. Injuries kept Sandeep away from kushti for a short period, but he has made a comeback and is working hard, even without any sponsorship. His father has passed away but his elder brother is helping him to fulfill his dreams. Congratulations Sandeep, Delhi Kesri of 2016!
The runner up was Kapil Dhama. If I speak about Kapil Dhama’s future now, I can say he is the future champion wrestler of India. He is in great shape and like a leopard he pounces on his prey. He finishes his opponents quite easily. His techniques something to behold.
Winners in other weight classes:
40 kg
- Gold: Kanhiya guru Munni Akhada,
- Silver: Sachin Ghanshyam Akhada,
- First Bronze: Atul , Guru Brahmchari Akhada,
- Second Bronze: Ashish Guru Shyam Lal Akhada
45 kg
- Gold: Abhishek
- Silver: Milan
- Bronze: Jitesh
- Bronze: Tushar
50kg
- Gold: Aniket Guru Munni
- Silver: Pradeep
- Bronze: Nadeem
55kg
- Gold: Amit of Virender Chhara
- Silver: Danish Lalaram Akhada
- Bronze: Anoop of Naresh Akhada
- Bronze: Anoop Ravi
61kg
- Gold: Rakesh Chhtrsaal
- Silver: Bhupender Guru Munni
- Bronze: Amir
- Bronze: Mohit
67kg
- Gold: Rohit Guru Chandroop
- Silver: Jatin Chhtrsaal
- Bronze: Babar
- Bronze: Umesh
74kg
- Gold: Vikas
- Silver: Mohit Anil Man
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