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सेवा नगर दंगल - स्वतंत्र व्यायामशाला
सेवा नगर में स्वतंत्र व्यायामशाला एक बहु - प्रतिष्ठित और प्राचीन रजिस्टर्ड व्यायामशाला है. खेल कूद को प्रोत्साहन देने वाली यह संस्था प्रतिवर्ष एक बेहतरीन दंगल सेवा नगर में कराती है , जिससे पहलवानों को कुश्ती लड़ने इनाम पाने और नए बच्चों में खेल कूद के लिए प्रेरणा उत्पन्न होती हैं.
कुश्ती के यह दंगल १५ अगस्त स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है , गौरतलब है की असहयोग और अहिंसा के सिद्धांत पर हमारा स्वतंत्र्ता के लिए संघर्ष हुआ था , जिसमे हमें इसी दिन आजादी मिली थी. इस दिन में देश भर में भारत का झंडा लहराया जाता है, राष्ट्रीय गान होता है , लोग पतंगे उड़ाते है, देशभक्ति के गाने गाते और फिल्मे देखते हैं, और स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को याद करते हैं , और कई रंगारं प्रोग्राम होते है, प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हैं. दंगल का यह प्रोग्राम इसी दिशा में एक कदम है.
इस दंगल की महत्ता और प्राचीनता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है की पहली बार यह दंगल 1962 में गुरु कप्तान रामसिंह के तत्वाधान में कराया गया और 1979 तक वे इस प्रोग्राम को कराते ,रहे उसके बाद 1980 में श्री प्रेम सिंह वर्मा जी ने यह भार संभाला और तब से लगातार वह इस दंगल का आयोजन कराते आ रहे है.
अनेकों अखाड़ों से बच्चों ने दंगल में भाग लिया , जिसमे दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, हरयाणा इत्यादि प्रदेशों से भी पहलवान दंगल में भाग लेने पहुंचे, रेलवे के अशोक कोच ने दंगल में रेफरी का काम किया। सुशील उर्फ़ बल्लू पहलवान और भूरा के बीच पहली कुश्ती ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। दोनों पहलवानों ने बहुत दम लगाया लेकिन बराबरी पर छूटे। उत्तर परदेश गोरखपुर के पहलवानों की कुश्ती पर दर्शक बहुत खुश हुए. एक बाल पहलवान के पास लंगोटी नहीं थी तो मगर वो खेलना चाहता था , मैंने अपनी पहनी लंगोटी उतार कर दी, और उसने बढ़िया कुश्ती लड़ी. " ये पुराने पहलवानों की लंगोटी का जादू है " मैंने हंसकर कुछ जिज्ञासु दर्शकों को बताया। दंगल की दूसरी कुश्ती गोरखपुर और चरनी अखाड़े के पहलवान के बीच हुई, बच्चों के बहुत से मैच हुए जिसे आप मेरे चैनल यूट्यूब पर ansuuia1974 के नाम से ढूंढ कर देख सकते हैं.
दंगल में सभी गुरु खलीफाओं और मेरा भी पगड़ी और नकद सम्मान किया गया , और दंगल के अंत में सभी को चाय पानी के लिए आमंत्रित किया गया.
वर्मा जी के इस सराहनीय कार्य के लिए मै उनकी तहे दिल से प्रशंशा करता हूँ, मुझे आशा है की वे भविष्य में इस दंगल को सुचारू रूप से कराते रहेंगे। पहलवानी का भविष्य उज्जवल दीखता है , और यदि सेवा नगर और आस पास के बच्चे पहलवानी से जुड़ते हैं तो उनके निरोग, हृस्ट पुष्ट जीवन का मजबूत आधार तैयार होगा
ENGLISH VERSION
The Swtantra Vyamshaala, or “Freedom wrestling club and gym” in English, is a very old institution in the heart of Delhi at Sewa Nagar. Every year the club organizes a great dangal on 15th August to celebrate the India’s independence from British rule.
The competition was launched in 1962 under the guidance and care of the guru of the wrestling club, Khalifa Capt. Ramsingh. He continued to oversee and guide the event until 1979. The following year, the general secretary of Swatantra Vyayamshaala, Mr. Prem Singh Verma, took over the responsibility for organizing the event under the guidance of Capt. Ramsingh.
Wrestlers from various akhada or wrestling clubs came to compete along with their coaches and gurus. The referee of the event was Coach Ashok Pahlwan of Railway.
The first prize match was between Susheel “Ballu Pahlwan” and Bhura Pahlwan of Akhada Charan Singh. It was an exciting match, but neither wrestler could secure a pin to the match was declared a draw.
The second prize match was between a wrestler from Gorakhpur and a wrestler from guru charni akhada delhi. It also ended in a draw.
All the gurus, khalifa, coaches and dignitaries who attended were honored with pagadi and cash prizes. Verma ji also valued my services and honored me with a pagadi and cash reward. I give thanks to Mr Prem Singh Verma ji for the grand event and promotion of peace, sports and entertainment culture.