CLICK HERE FOR MORE VIDEOS
20 जून 2017
किशनगढ़ मेहरौली में अब होगा हर महीने दंगल।
किशनगढ़ मेहरौली के भारत केसरी दंगल की यादें सभी पुराने पहलवानो , गुरु खलीफाओं और कुश्ती प्रेमियों की जुबान पर रहती है। यहाँ बहुत बहुत शानदार कुश्तियां हुई , जयप्रकाश पहलवान की एक बड़ी कुश्ती सुरेश पहलवान के साथ , सुभाष और संजय पहलवान की एक घंटा पचास मिनट चली कुश्ती कुछ उदाहरण हैं । जानकारों के दिलों में ऐसे सैकड़ों किस्से कहानियां हैं जिन्हे वे गर्व से कुश्तीप्रेमियों को सुनाते हैं।
ये वही दंगल हैं जिसे भीम पहलवान के भारत केसरी दंगल किशनगढ़ के नाम से लोग पहचानते हैं। कभी इस गाँव के अखाड़े में देश दुनिया के महानतम पहलवान कुश्ती लड़े। उन्हें देखने हजारों हज़ार लोग आते , बड़ी बड़ी हस्तियां तक दंगलों में शरीक हुई। प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर भारत के उपराष्ट्रपति तक। नेता, अभिनेता , खिलाडी , यहाँ आते और दंगल देखते।
कुश्ती रतन भीम पहलवान जी के असामयिक निधन से कुश्ती प्रेमियों को बहुत निराशा हुई। किशनगढ़ का शानदार दंगल क्या अभी होता हैं ? किशनगढ़ के शानदार अखाड़े , और मंदिर का क्या हुआ ? क्या कुश्ती की परम्परा वहां अब ख़त्म हो चुकी हैं ? मेरे दिमाग में ये सवाल हमेशा रहे। आखिर अपने बचपन में इस दंगल में भाग लेने की मेरी यादे आज भी मेरे जेहन में हैं। मैंने निश्चय किया की किशनगढ़ अखाड़े पर जाकर हालचाल पूछे जाएँ। और एक दिन शाम को , किशनगढ़ अखाड़े पर जा पहुंचा। वहां पर पहुँच कर मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा।
पहली महिला गुरु।
अखाड़े पर जाकर देखा की भीम पहलवान जी की धर्मपत्नी अखाड़े को चला रही हैं। उन्हें नमस्कार किया। उन्होंने बताया की कुश्ती रतन भीम पहलवान के साथ भी और उनके बाद भी वे कुश्ती और अन्य खेलों से जुडी रहीं। किशनगढ़ का ये अखाडा मास्टर प्लान के अंदर हैं। लेकिन अखाड़े को यथावत बनाये रखने के लिए वे आज एक लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं। जब वे कोर्ट कचहरी में या फिर सरकारी दफ्तरों में अखाड़े की पैरवी करने के लिए जाती तो लोग हैरानी से पूछते , आप भी कुश्ती करती हैं ? लेकिन कोई न कोई उन्हें पहचान ही जाता। ये देश का शायद पहला अखाडा होगा जिसे एक महिला चला रही हैं। उन्होंने बताया की सर्दी , गर्मी , बरसात वे अखाड़े पर आती हैं। बच्चों को कुश्ती प्रशिक्षण देने के लिए उन्होंने एक कोच नियुक्त किया। आजकल अशोक कोच रेलवे वहां बच्चों को पहलवानी के गुर सिखा रहे हैं। बच्चों को कसरत के बाद वे दूध केले खिलाती हैं। और उनकी अखाड़े को लेकर भावी योजनाओं में अखाड़े में बच्चों के लिए कमरे , किचन बनाना , कांफ्रेंस हाल , मैट हाल बनाना , अखाड़े को पक्का करना इत्यादि हैं। अखाड़े के चारों ओर गिरी दिवार के बाबत उन्होंने बताया की कुछ लोग दिवार तोड़ कर कुछ कंसट्रक्शन करना चाहते थे , जिसका उन्होंने स्टे लिया। उन्होंने कहा की वे नहीं चाहती की कुश्ती रत्न गुरु भीम की विरासत नष्ट हों। वो चाहती हैं की आने वाले भविष्य में नई पीढ़ी इन सुविधाओं का भरपूर फायदा उठाये। मैं देश भर में घूमता हूँ , मैंने किसी महिला को अखाडा चलाते नहीं देखा , निश्चय ही वे पहिला महिला हैं जो अखाडा चला रही हैं।
बातचीत में उन्होंने बताया की वे भारत केसरी दंगल के उस स्वरुप को एक बार फिर दुहराना चाहती हैं जो कुश्ती रतन भीम पहलवान जी के समय में हुआ करता था , लेकिन उनके इंतकाल के बाद व्यक्तिगत वजहों से बंद हो गया। इस तरह से एक बार फिर किशनगढ़ की इस धरती पे देश दुनिया के बड़े पहलवान देखने को मिलेंगे। साथ उन्होंने बताया की वे चाहती हैं की प्रतिमाह एक छोटा दंगल हो जिसमे खासतौर पे बाल पहलवानो को मौका मिले। और उनकी इसी इच्छा को पूरा करते हुए हमने इस मंथली दंगल की रूप रेखा रखी।
जुलाई महीने के इस दंगल में लगभग सौ से ऊपर पहलवानो ने भाग लिया। बाल पहलवानो ने बहुत बढ़िया कुश्तियां दिखाई गुरु माता जी ने उन्हें स्वयं नकद इनाम बांटे। कुश्ती रतन गुरु भीम अखाड़े के पहलवानो ने सबसे ज्यादा कुश्तियां जीती। शिवा पहलवान , शिवम् , विशाल , तीरथ , कृष्ण ने बढ़िया कुश्तियां जीती वहीँ अभिषेक , हरीश , पिंटू और मोनू शीशपाल अखाडा तिगरा से जीते। रामदल अखाडा से सुरजीत , और शामलाल अखाड़े से काले पहलवान ने बढ़िया कुश्ती जीती। आखिरी कुश्ती में साहिल शीशपाल अखाडा तिगरा ने राहुल कुश्ती रतन गुरु भीम अखाडा को हराया। ऐसी ही बहुत सी और कुश्तियां हुई। दंगल देखने के लिए बहुत से दर्शक जुटे , जिन्होंने पहलवानो को इनाम देकर उनकी हौसला अफजाई की। यह दंगल अब प्रतिमाह हर दूसरे मंगलवार को किशनगढ़ अखाड़े में हुआ करेगा। जिन पहलवानो को कम्पटीशन चाहिए और साथ में कुछ नकद इनाम भी वे इस दंगल का भरपूर फायदा उठा सकेंगे। साथ ही दर्शकों को कुश्तियाँ देखकर अपना मनोरंजन करने का अवसर मिलेगा। खेलों को का प्रचार प्रसार होगा , समाज स्वस्थ होगा व् कुश्ती रतन गुरु भीम के सपने साकार होंगे , उनकी विरासत परवान चढ़ेगी। यही देश के इस महान सपूत को एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
ENGLISH VERSION
20 June 2017
Bharat Kesari Dangal at Kishangarh Village, Near Mehrauli was one of the biggest kushti events in and around Delhi, attracting some of the best wrestlers of the area. Jaiprakash Pahlwan of Guru Jasram and Suresh of Guru Chandgi Ram battled it out here and there was a famous hour and fifty minute match between Subhash vs Sanjay.
The dangal was most commonly known as Bheem Pahlwan’s Bharat Kesari Dangal at Kishan Garh. The Prime Minister of India, Late Sh. Rajiv Gandhi, the Vice President of India, and many celebrities related to Kushti, art, cinema, politics etc. used to come here and watch the Dangal along with thousands of spectators.
With sudden death of Bheem Pahlwan ji everything seemed to stop. I wondered whether they are still running the akhada. What about the great Dangal? I used to take part it in myself when I was young.
I decided to go to the Akhada and see for what was going on.
Fortunately, the akhada is still running. Around 60- 65 children are practicing and it is being run by none other than late Kushti Ratan Guru Bheem’s widow. I have never seen a lady running an akhada. She told me that since the Dangal was started by Bheem Pahlwan in the 1980’s she had helped her husband in arranging everything for the event. She also used to help her husband run the Akhada.
She knew how much Late Bheem Pahlwan loved kushti so for him she decided to relaunch the dangal. She told me that Lord Hanuman himself spoke to her in a dream, telling her to fulfill Bheem Pahlwan’s wishes. She told me that sometimes when she is visiting state govt. offices, courtrooms and other places for the akhada people ask her surprisingly “do you run an akhada?” But when they hear her mention the Kishangarh Dangal and her late husband, they understand and help.
She told me that she has to fight for the land for the akhada and she is going to make rooms for wrestlers and expand it. She also told me that she wants to produce champion wrestler from here and it will be a great tribute to the late guru. She wanted to revive the Bharat Kesari competition to its original level, and also wish to start a competition for juniors wrestlers. And so now we have this monthly dangal called Kushti Ratan Guru Bheem Dangal. The dangal will be held on second Tuesday of every month.
This month’s Dangal was a great success. Around 100 young men took part in it. Many from Guru Bheem Akhada Kishangarh fought and won, mainly, Shiva, Shivam, Vishal, Tirath, krishan etc. Winning wrestlers from Sheeshpal Akhada tigra were Abhishek, Harish, Pintu, Sonu.
Kale from Guru Shyamlal Akhada and Surjit from Ramdal Akhada won too. It was great to watch these young men fighting and showcasing their skills. The dangal will help promote sporting spirit and will keep the heritage of Kishangarh Dangal alive. That it will be a great tribute to the great legendry wrestler and Kushti Ratan Guru Bheem Pahlwan.
No comments:
Post a Comment