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Apr 7, 2012

KALYANI VILLAGE DANGAL

By Deepak Ansuia Prasad

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले !
वतन पे मरने वालों का यहीं बाकी निशान होगा !!



करीब आठ दशक बीते , भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को बर्तानिया राज ने , नेशनल असेम्बली में बम फेंकने , इन्कलाब जिंदाबाद कहने, और लाला लाजपत राय पर लाठियां बरसाने वाले क्रूर अंग्रेज अफसर सांडर्स की गोली मार कर हत्या करने के जुर्म में फाँसी की सजा सुनाई ! अंग्रेज उनसे इतना डरते थे की उन्होंने फांसी के तय दिन से एक दिन पहले , 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी पर लटका दिया , भारत माता के वीर सपूत हँसते- २ , इन्कलाब जिंदाबाद कहते, भारत माता की जय कहते फांसी पर झूल गए, उन्हें पुरे एक घंटा यूँ ही लटका रहने दिया गया ताकि मौत निश्चित हो ! उनके मृत शरीर से भी अंग्रेज इतना डरते थे की जेल की पिछली दीवार तोड़ कर गुमनामी में उनका अंतिम संस्कार किया गया और उनकी राख को चुपचाप वहा से कई किलोमीटर दूर नदी में बहा दिया गया !
ये वो लोग थे जिन्होंने भारत माता का , हिन्दुस्तान का विचार रखा , उसकी नींव रखी ! देश प्रेम के विचार दिए , और देश प्रेम में अपना सर्वस्व न्योछावर करने की प्रेरणा दी ! ऐसे वीर सपूतों के बलिदानों ने हमें यह प्यारा भारतवर्ष दिया !

इन वीर शहीदों को आज कितने लोगों ने याद किया ये सवाल जरूर करना चाहूँगा ! और ये भी कहना चाहूँगा की आज भी हमारे देश की आत्मा गावों में बस्ती है, आज भी हमारे गावों - कस्बों में परम्पराएं जीवित है जो हमें मार्गदर्शन देती है !

ठीक इसी प्रकार , राष्ट्रिय राजमार्ग नंबर १ पर , कुर्क्षेत्र डिस्ट्रिक्ट में , हरयाणा के शाहबाद हलके में कल्याणा नाम का एक सुन्दर गाँव है ! २३ तारीख की सुबह से गाँव के लोग बड़े व्यस्त थे , उन्होंने शहीदों की याद एक कुश्ती दंगल का आयोजन किया था, हलके के विधायक श्री अनिल धन्तोड़ी जी ने उन्हें पूरा सहयोग का वचन दिया था ! मेरे दोस्त रैम्बो गिल ने मुझे कुश्ती की रिपोर्ट के लिए निमंत्रण दिया जिसका मै तहे दिल से आभारी हूँ ! उनके घर , माँ के हाथ से बना भोजन , और उनकी मेहमान नवाजी मुझे सदा याद रहेगी !

कल्याणा गाँव के मद्दी पहलवान ने इस दंगल का आयोजन किया था जो हनुमान अखाडा कल्याणा के मुख्य सरंक्षक भी है, नछतर पहलवान जिन्होंने दो बार राष्ट्रिय खेलों में पदक हासिल किये वो अखाड़े की देख- रेख और कोच का कार्य करते हैं, भी दंगल समिति में थे, इसके अलावा दंगल समिति में गौरी पुर के गुरदीप सिंह दीपा, कत्लारी के अजय काजला, सम्भाल्खी के संदीप, और सम्भाल्खी के गोलू जो आस्ट्रलिया में रहते है, लाडी पहलवान जो की थाईलैंड में रहते हैं, राजेश चावला , राज सतीजा, मन्नू रोहित, राजबीर हैप्पी , अशोक शर्मा और सरदार बलविंदर सिंह !गुरदीप सिंह दीपा जी प्रोपर्टी डीलर है जिनका दंगल के सञ्चालन में विशिष्ट सहयोग रहा !

दंगल में मुख्य अतिथि थे, रणधीर राणा, चौधरी ज्ञान सिंह सरपंच, जसविंदर सिंह, अम्बाला के बलकार सिंह गुज्जर, और श्री अनिल धन्तोड़ी जी, जो की शाहबाद से विधायक है, अनिल जी स्वयं भी एक अछे खिलाडी है, और कुश्ती प्रेमी है, उन्होंने दंगल की पहली कुश्ती के इनाम , एक लाख रुपये का सहयोग दिया , उन्होंने शाहबाद हलके को एक डिविजन बनाया, और वहां के लोगो को नशे, शराबखोरी , भ्रूण हत्या जैसी बुराइयों से बचने में बहुत कार्य किया और रोजगार में सहयोग दिया ! ऐसे महानुभाव को मेरा प्रणाम.!


दंगल के रेफरी अमीन पहलवान, हरी सिंह पहलवान, अमीन , चन्नी पहलवान, और शिंगारा पहलवान रहे !

लखविंदर लाख जी और अमनदीप सिंह जी ने माइक संभाला , और मेरे दोस्त राम मेहर गिल पहलवान ने पहलवानों के हाथ मिलाने और कुश्ती लिखने का काम किया , ढोल पर ओमी ढोल वाला रहे !

दंगल में बाल पहलवानों से लेकर बड़े पहलवानों तक की १०० से ऊपर कुश्तिया लड़ी गई ! इनाम की राशी का एक हिस्सा हारने वाले पहलवान को भी दिया गया जिससे की सबका उत्साह वर्धन हो ! दंगल में एक खास कुश्ती दारा सिंह जी के स्टाइल वाली भी लड़ी गई जिसे दर्शकों ने खूब सराहा, एक लंगड़े पहलवान की एक बुजुर्ग पहवान से कुश्ती हुई, कल्याणा गाँव के एक पहलवान ने शानदार कुश्ती जीत अपने गाँव का नाम रोशन किया !

दंगल की पहली कुश्ती परविंदर डूमछेड़ी और बलविंदर के बीच लड़ी गई जो शानदार रही ! कुश्ती १११०००/- के इनाम पर थी, परविंदर भारत के बड़े पहलवान हैं, परविंदर भारत केसरी रहे, और उनकी लोकप्रियता अपनी चरम सीमा पर हैं, जिसका अंदाजा दर्शकों के हजूम लगाया जा सकता है, इस कुश्ती का उद्घाटन अनिल धन्तोड़ी जी ने किया , गाँव के सभी बड़े बुजुर्गो और मुख्य अतिथियों ने भी फोटो खिंचवाए ! काफिर देर तक चली कुश्ती में ये पता करना मुश्किल था की कौन जीतेगा , बलविंदर ने कई बार अपने दांव चले लेकिन बड़ी कुशलता से परविंदर ने अपना बचाव किया ठीक इसी तरह बलविंदर भी अपना बचाव करता रहा , अंत में बलविंदर ने बड़ी फूर्ती से परविंदर पर अटैक लगाया जिसे परविंदर ने कुशलता से बचाया और बलविंदर को चित्त कर कुश्ती जीती ! लोगों ने शोर मचा, हर्ष ध्वनि से विजेता पहलवान का स्वागत किया और बधाई देने वालों ने उन्हें घेर लिया ! इस प्रकार शानदार रूप से दंगल संपन्न हुआ , दंगल समिति को धन्यवाद दे हमने विदा ले, दिल्ली की राह पकड़ी !


ENGLISH VERSION



Living in modern India, it’s easy to forget the sacrifices made by those who fought to win our independence. Some 80 years ago, Sardar Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru were sentenced to death for the assassination of a British police officer. The three were seeking to avenge the death of freedom fighter Lala Lajpat Rai, who was killed in police custody. And they were plotting to throw bombs and leaflets inside the Central Legislative Assembly while calling for revolution.
The British Raj was so afraid of these men that they advanced the execution by one day, and on March 23, 1931 they were hanged. The British authorities wouldn’t return their bodies to their families, but the prison warden secretly had their remains cremated threw their ashes in the river.
These were the people who conceived the idea of an independent India and wanted complete freedom for their homeland.
In the village of Kalyana in Haryana, these sacrifices are not forgotten. On March 23, the people of the village organized a huge wrestling competition in honor of the great martyrs. The MLA of Shahbad Sh Anil Dhantodi ji offered to help with whatever was needed.
My friend Rambo Gill is from this village and I am very thankful to him for his hospitality in arranging my trip to his home.

The dangal was organized by Maddi Pahalwan of Kalyana Village, who also runs the village’s Hanuman Akhara as well as Gurdeep Singh Deepa of Goripur, Ajay Kajal of Katlahri, Sandeep Choudhary of Sambhalkhi. The committee members were Golu Smbhalkhi who live in Australia, Laddi who lives in Thailand, Rajesh Chawla, Raj Sateja, Mannu Rohit, Rajbeer Happy, Ashok Sharma Sardar Balwinder Singh.

The guests were Randheer Rana, Ch. Gyan Singh Sarpanch, Jasvinder Singh, Balkar Gujjar of Ambala, and the chief guests was Mr Anil Dhantodi ji, the Congress MLA from Shahbad. Anil Dhantodi is young leader, who is loved and respected by the people of his area. He himself is a very good sports person and has helped in struggle against poverty and social evils like alcoholism, drug abuse and female infanticide.

Referees were Hari Singh Pahalwan, Ameen, Channi Pahalwan, Shingara Pahalwan.
Mr Lakhvinder Singh Lakha and Amandeep Singh served as the announcers and Ram Mehar, Gill Pahlwan and Rambo Gill were the pairing officials. Dhol instruments were played by Omi Dhol Wala.

The first match, between a wrestler of Akhara Umri and Mandeep was inaugurated by Maddi Pahalwan holding his newborn son.

Indian wrestling - Dara Singh style
A lighthearted match between a Punjabi wrestler and a wrestling from Himachal Pradesh was kind of like pro-wrestling and purely for entertainment. The two punched and kicked each other – ignoring the referee’s objections and one of them even shoved dirt in the other’s mouth. Everyone was laughing.

The first prize match was between Parvinder Doomchedi and Balwinder. Parvinder is Bharat Kesari and runs his own akhara and the prize for the match was 111000/- . The prize money was arranged by Mr. Anil Dhantodi. The wrestlers battled for a long time. They were both even in skill. Balwinder finally tried a takedown, the two landed on the ground, but Parvinder came out on top and managed to pin the other wrestler. The crowd erupted in cheers as they celebrated Parvinder’s victory.






















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1 comment:

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